tag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post5935993621515519195..comments2024-02-29T16:51:42.410+09:00Comments on Bombayman's Diary: कायरता का जवाब कायरता है हिंदू आतंकवादJitendra Dixit, author and journalist.http://www.blogger.com/profile/17338246687195742670noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post-36134083634370185942008-11-11T22:56:00.000+09:002008-11-11T22:56:00.000+09:00आतंकवाद कायरतापूर्ण ही नहीं अमानवीय व घृणित कृत्य ...आतंकवाद कायरतापूर्ण ही नहीं अमानवीय व घृणित कृत्य है लेकिन इसे किसी धर्म विशेष के नाम के साथ नही जोड़ा जाना चाहिए |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post-55833670940239031272008-11-11T20:35:00.000+09:002008-11-11T20:35:00.000+09:00सचमुच आतंक का कोई मजहब नहीं होता। (हालांकि वीपी सि...सचमुच आतंक का कोई मजहब नहीं होता। (हालांकि वीपी सिंघल साहब एक खास मजहब में आतंक की जड़ें जरूर खोज लेते हैं और आईवीएन7 पर भरपूर बौद्धिक प्रलाप करते हैं) पर...वाद और आतंकवाद पर आए विचारों से पूरी सहमति है। जीतेंद्र जी ने अपने जवाब में अहसमति के लिए जरा भी जगह नहीं छोड़ी। हां...फिर भी एक सवाल है आखिर इसके पहले भी जब आतंक को एक खास शब्द के जरिए व्याख्यायित किया गया तब चुप्पी क्यों थी? वर्डट्रेड सेंटर पर हमले के बाद तो मानो धर्म विशेष आतंक का पर्याय सा बन गया।Sandeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/17906848453225471578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post-78053200437448263532008-11-11T17:42:00.000+09:002008-11-11T17:42:00.000+09:00सुरेशजी, आपकी प्रतिक्रिया और सलाह के शुक्रिया। मेर...सुरेशजी, आपकी प्रतिक्रिया और सलाह के शुक्रिया। मेरे ब्लॉग के जिन शब्दों का संदर्भ आपने दिया है दरअसल वे शब्द उसी अफजल गुरू को ध्यान में रखकर लिखे गये हैं...3 साल पहले प.बंगाल में ब्लात्कार और हत्या के आरोपी धनंजय चटर्जी को फांसी दिये जाते वक्त भी इन संगठनों ने ऐसा ही बवाल मचाया था...मेरा मानना है कि ऐसे संगठनों को तरजीह नहीं देनी चाहिये...रही बात हिंदू आतंकवाद जैसे शब्दों के प्रयोग की तो मैं आपसे बिलकुल सहमत हूं...आतंकियो को किसी धर्म का चश्मा पहनकर नहीं देखना चाहिये..इन शब्दों का इस्तेमाल तो सिर्फ उन लोगों को समझाने के लिये किया था जो कि ताजा घटनाओं को हिंदुओं की ओर से दिया गया जवाब कहकर प्रचारित कर रहे थे। जीतेंद्रJitendra Dixit, author and journalist.https://www.blogger.com/profile/17338246687195742670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post-18330079329393148742008-11-11T15:54:00.000+09:002008-11-11T15:54:00.000+09:00आतंकवाद कायरतापूर्ण ही नहीं अमानवीय व घृणित कृत्य ...आतंकवाद कायरतापूर्ण ही नहीं अमानवीय व घृणित कृत्य है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post-35688751411663579322008-11-11T15:53:00.000+09:002008-11-11T15:53:00.000+09:00जितेन्द्र जी, मैं आपको मान गया. एक ही दिन में दो ...जितेन्द्र जी, मैं आपको मान गया. एक ही दिन में दो पोस्ट. एक में कुछ और दूसरी में कुछ. आपकी पहली पोस्ट पर मैंने अपनी टिपण्णी दर्ज करदी है. आप ने उसे देखा होगा. आपकी इस पोस्ट पर भी मैं यही कहना चाहूँगा कि आप 'हिंदू आतंकवाद' और 'आक्रमक हिंदुत्व' जैसे शब्द प्रयोग न करें. ऐसा लिख कर आप क्या हासिल कर रहे हैं? आप अपनी बात कहिये, और यह आप इन शब्दों का प्रयोग किए बिना भी कर सकते हैं. मालेगांव धमाकों की जांच अभी चल रही है, उसे पूरा होने दीजिये. इस देश के संविधान के अनुसार मुक़दमे अदालत में चलाये जाते हैं, अखबारों, टीवी और ब्लाग्स पर नहीं. <BR/><BR/>आपने कहा है - "मैं ये मानता हूं कि जो लोग अदालत के सामने इन बमकांड के लिये दोषी पाये जाएं उन्हें बिना किसी दया के फांसीं पर लटका दिया जाना चाहिये (वैसे फांसीं की सजा भी ऐसे लोगों के लिये कम ही नजर आती है) मानवाधिकार का राग अलापने वाले मृत्यूदंड विरोधियों को तनिक भी तरजीह नहीं दी जानी चाहिये." अगर अदालत इन्हें कसूरवार ठहराती है तो आप इस बात को उस समय भी उठाइएगा. मैं आज भी आपका समर्थन करता हूँ और तब भी आपका समर्थन करूंगा. पर आज तो आप कुछ भूल रहे हैं. एक आतंकवादी ऐसा है जिसे इस देश की सर्वोच्च अदालत फांसी की सजा दे भी चुकी है. इसका नाम आप जानते होंगे. इसे बचाने की कोशिश हो रही है. आपने इस पर अभी तक कोई पोस्ट क्यों नहीं लिखी?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-165950057093976412.post-10472710155249769822008-11-11T02:28:00.000+09:002008-11-11T02:28:00.000+09:00आपने बहुत बढिया लिखा है। देश के अलग अलग हिस्सों मे...आपने बहुत बढिया लिखा है। देश के अलग अलग हिस्सों में हो रहे विस्फोट की हम निंदा करते है। उसे कायराना हमला कहते हैं तो मालेगांव का विस्फोट भी उसी श्रेणी में आता है। दिल्ली, अहमदाबाद,जयपुर आदि जगहों पर हुए विस्फोट में मुस्लिम समुदाय के लोग थे उन्हें देशद्रोही बताया गया तो मालेगांव में जो हिन्दू शामिल हैं वे भी तो देशद्रोही हुए।राजेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03022479793930240428noreply@blogger.com