Wednesday, 10 February 2010
खेल बयानों का....
सब बयानों का ड्रामा चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने उदधव ठाकरे की सुरक्षा हटाने की धमकी दी और पलटवार करते हुए उदधव ने खुद ही सुरक्षा वापस करने का ऐलान किया…लेकिन ठाकरे के बंगले के सामने सारी हकीकत साफ हो जाती है। एक भी पुलिसकर्मी को हटाने का आदेश सरकार ने नहीं दिया है और न ही उदधव ठाकरे ने अपनी सुरक्षा में लगे किसी पुलिसकर्मी को घर से निकल जाने को कहा है। ठाकरे के घर के इर्द गिर्द का इलाका आज भी हमेशा की तरह एक छावनी लग रहा है।
Tuesday, 9 February 2010
बडा तरस आ रहा है पुलिसवालों पर।
बडा तरस आ रहा है पुलिसवालों पर। बीते गुरूवार मुंबई पुलिस के 59 वर्षीय कमिश्नर डी. शिवानंदन को राहुल गांधी के पीछे भागते देखा। उनके साथ ज्वाईंट कमिश्नर से लेकर कांस्टेबल तक कई पुलिसकर्मी इस प्रयास में जुटे थे कि शिवसैनिक राहुल के कार्यक्रम में अडचन डालने के अपने मंसूबे में कामियाब न हो पायें। अब खबर आई है कि शाहरूख खान की फिल्म माई नेम इज खान के रिलीज में शिवसैनिक रूकावट न डाल सकें इसके लिये मुंबई पुलिस ने अपने कर्मचारियों की साप्ताहिक छुट्टी (वीकली औफ) रद्द कर दिया। एक तो पुलिसकर्मी वैसे ही तमाम तरह के दबावों में रहते हैं उसपर इस तरह के राजनीतिक ड्रामों की वजह से उनकी हालत और भी खराब हो जाती है। ठाकरे पिता-पुत्र का अपनी पार्टी को जिंदा रखना है, राहुल गांधी को अपनी इमेज बनानी है और शहरूख खान को अपनी फिल्म चलवानी है… ऐसे में एक पुलिस वाला मरे क्या न करे..लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी उसी की लाठी पर है।
हर साल करीब डेढ दर्जन मुंबई पुलिस के कर्मचारी काम से जुडे दबाव की वजह से मरते हैं।
हर साल करीब डेढ दर्जन मुंबई पुलिस के कर्मचारी काम से जुडे दबाव की वजह से मरते हैं।
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