स्मृति ईरानी, विपक्ष और मीडिया...
इससे पहले कि ये मामला और ज्यादा तूल पकडे और अदालती चक्कर में फंसे मेरा मानना है कि स्मृति ईरानी को तुरंत मंत्रीपद से इस्तीफा दे देना चाहिये। इस्तीफा इसलिये नहीं देना चाहिये कि वो मानव संसाधन विकास मंत्री होने के काबिल नहीं हैं या ज्यादा पढी लिखी नहीं हैं, बल्कि उनका इस्तीफा नैतिकता की मांग है। जिस कांग्रेस की वो घोटालों और गडबडियों को लेकर अपनी सभाओं में आक्रमक तरीके से खिंचाई करतीं आईं है, वैसे ही मामले में अब वो खुद फंसती दिख रहीं हैं। ये मामला सियासी आरोप-प्रत्यारोप से उठकर है। इसने न केवल ईरानी के आचरण पर सवाल खडा किया है, बल्कि विपक्ष और मीडिया पर भी। स्मृति ईरानी ने बतौर सांसद चुने जाते वक्त अपनी शिक्षा के बारे में गलत जानकारी दी, ये विवाद तब उठा जब मानव संसाधन विकास मंत्री के तौर पर उनके नाम का ऐलान हुआ। 2004 में उन्होने अपने हलफनामें में बताया कि वे बी.ए.पास है। इसके बाद के एफीडेविट में उन्होने बताया कि वे सिर्फ बी.कॉम प्रथम वर्ष तक पढी हैं। ये स्पष्ट नहीं है कि इसमें कौनसी जानकारी सही है, लेकिन इतना साफ है कि दोनो में से एक जानकारी गलत है। एक सांसद पद के लिये बतौर उ...