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Showing posts from March, 2011

जापान का जज्बा: भाग-3

बडे ही कम समय की पूर्व सूचना पर मुझे मुंबई से जापान के लिये निकलना पडा। सोमवार की रात डेढ बजे की फ्लाइट थी और दिन का वक्त वीसा वगैरह हासिल करने में, जापान का विशेष फोन लेने में और विदेशी करंसी का हिसाब किताब करने में निकल गया। जापान के फुकूशिमा डाईची परमाणु संयंत्र से रेडिएशन होने की खबर लगातार आ रही थी। मुझे दफ्तर के लोगों ने और शुभचिंतकों ने सलाह दी कि मैं जापान निकलने से पहले एंटी रेडीएशन कपडे खरीद लूं। मुझे भी ये जरूरी लगा लेकिन मैं उन कपडों को खरीद नहीं सका। पहली बात तो ये कि एंटी न्युक्लयर रेडीएशन कपडे इतनी आसानी से मुंबई के खुले बाजार में, मेडीकल स्टोर्स में या फिर अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। दूसरा उस जगह को खोजने का इतना वक्त मेरे पास नहीं था जहां ये कपडे मिल पाते। लिहाजा मैने फैसला किया कि बिना एंटी रेडीएशन कपडों के ही मैं जापान जाऊंगा और मुमकिन हुआ तो टोकियो में ही ये कपडे खरीद लूंगा। वहां उनके उपलब्ध होने की ज्यादा गुंजाइश है। टोकियो में स्थानीय समय के मुताबिक रात के करीब 9 बजे हम पहुंचे। जापान की धरती पर कदम रखने के कुछ ही मिनटों बाद हिंदी और मराठी चैनलों के लिये लाईव औ

जापान का जज्बा: भाग-2

जापान के लोग इस कडवी सच्चाई को स्वीकार कर चुके हैं कि भौगौलिक स्थिति की वजह से जापान में छोटे बडे भूकंप आते रहेंगे, लेकिन जापानियों ने कुदरत की इस साजिश के खिलाफ घुटने नहीं टेके हैं। भूकंप से कैसे निपटाना है इसके लिये जापान ने हर तरह की तैयारी कर ली है। टोकियो के निशीकसाई इलाके में अपने परिवार के साथ रहने वाले एक भारतीय शख्स गौतम बिलिमोरिया से मैं मिला। टोकियो के इस इलाके में भारतीय बहुतायत में रहते हैं इसलिये इस इलाके को वहां मिनी इंडिया भी कहा जाता है। गौतम के मुताबिक बच्चों को स्कूली स्तर से ही भूकंप के बारे में पढाया जाने लगता है। भूकंप क्यों आते हैं, उनसे क्या नुकसान होता है, उनसे कैसे बचा जाये इन सबकी जानकारी बचपन से ही जापानी अपने बच्चों को देते हैं। जापान की सरकार भी अपने नागरिकों को भूकंप के प्रति जागरूक करने के लिये तमाम इलाकों में Earthquake Simulator   नाम का यंत्र घुमाती है। इस यंत्र में नागरिकों को खडा करके महसूस कराया जाता है कि रिक्टर स्केल पर अलग अलग तीव्रता के भूकंप आने पर जमीन कितना हिलती है और फलां तीव्रता का भूकंप आने पर क्या करना चाहिये। यही वजह है कि छोटे छोटे जा

जापान का जज्बा: भाग-1

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26 नवंबर 2008 के मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद अब ये दूसरा ऐसा मौका था जब हम उस दिशा की ओर निकले थे जहां से लोग अपनी जान बचाकर भाग रहे थे। शुक्रवार 12 मार्च 2011 को जापान में भूकंप और सुनामी ने कहर बरपाया और उसके बाद जब हालात और भी बिगडते गये तो रविवार को हमारे चैनल ने भी वहां एक टीम भेजने का फैसला किया। सोमवार के दिन मैने जापानी कंसुलेट में वीजा के लिये अर्जी दे दी। वीजा चंद घंटों में ही बिना किसी परेशानी के और ज्यादा कागजात पेश किये बिना ही हमें मिल गया। दरअसल जापान सरकार ने विदेश में मौजूद अपने तमाम अधिकारियों को निर्देश दे रखा था कि अगर कोई पत्रकार जापान आना चाहता है तो उसे जल्द से जल्द वीजा दिया जाये ताकि जापान के हालातों के बारे में दुनिया को ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके। मैं 16 मार्च को जापान की राजधानी टोकियो पहुंचा और अगले 5 दिनों तक जापान में ही रहा। इन 5 दिनों में मैने जो देखा, जो महसूस किया, जिन लोगों से बातचीत की उसने मेरे मन में जापान के प्रति जागी स्वाभाविक सहानुभूति से ज्यादा इस देश के लिये आदर पैदा किया। चाहे संकट के वक्त में हिम्मत दिखाते हुए आशावादी रहने की बात

दाऊद इब्राहिम की शिक्स्त

अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम को मुंबई की एक अदालत में करारी शिकस्त झेलनी पडी है। नीलामी में बेची गईं दाऊद की संपत्ति पर अब दिल्ली के एक वकील का कब्जा होगा। अजय श्रीवास्तव नाम के इस वकील ने साल 2001 में इनकम टैक्स विभाग की नीलामी में दाऊद के गढ नागपाडा इलाके में 2 संपत्तियों की बोली लगाई थी लेकिन दाऊद की बहन हसीना पारकर उन्हें संपत्ति का कब्जा नहीं लेने दे रही थी। 10 साल की कानूनी जंग के बाद अब अदालत ने वकील श्रीवास्तव के पक्ष में फैसला सुनाया है। मार्च 2001 में इनकम टैक्स ने जब दाऊद इब्राहिम की 11 बेनामी संपत्तियों की नीलामी की थी तब अजय श्रीवास्तव ने नागपाडा की जयराजभाई लेन के इंडस्ट्रीयल गाले की बोली लगाकर उन्हें ढाई लाख रूपये में खरीदा था। कागज पर तो दोनो संपत्तियां अजय श्रीवास्तव की हो गईं, लेकिन दाऊद की बहन हसीना पारकर ने इनपर श्रीवास्तव को कब्जा नहीं हासिल करने दिया। अजय श्रीवास्तव ने कब्जा हासिल करने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया और करीब 10 साल बाद उन्हें कामियाबी मिली है। अदालत ने न केवल हसीना पारकर को संपत्तियों का कब्जा छोडने को कहा है बल्कि ये आदेश भी दिया है कि अजय श्रीवास

डी.शिवानंदन के साथ पहला एनकाउंटर...

"सर अगर आप नाजिम रिजवी से डरते हैं तो बिना उसका नाम लिये मुझे कैमरे पर बाईट दे दीजिये।" मेरे मुंह से ये शब्द निकले ही थे कि जैसे मुंबई पुलिस के क्राईम ब्रांच के दफ्तर में ज्वालामुखी फट पडा। क्राईम ब्रांच के मुखिया डी.शिवानंदन मुझपर बरस पडे।" Do you know to whom are you talking. You are in front of D.Sivanandhan, Joint Commissioner of Mumbai Crime Branch...अगर मैं नाजिम रिजवी जैसे मादर#$ ..से डरता होता तो क्या ये कुर्सी पर बैठता। शिवानंदन किसी से भी नहीं डरता। चलो अपना कैमरा ऑन करो... जो पूछने का है पूछो..मैं साले का नाम लेकर बोलेगा." शिवानंदन के गुस्से को देखकर तो एक पल मुझे लगा कि कहीं वो मेरा ही एनकाउंटर न करवा दें। बात साल 1999 की है जब शिवानंदन मुंबई के तमाम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, दया नायक, विजय सालस्कर, प्रफुल्ल भोसले जैसे एनकाउंटर स्पेलिस्ट अफसरों के बॉस हुआ करते थे। डी.शिवानंदन से ये मेरी पहली मुलाकात थी। मेरे तत्कालीन बॉस(और मौजूदा भी) मिलिदं खांडेकर ने मुझे अंडरवर्लड और बॉलीवुड के रिश्तों पर शिवानंदन का इंटरव्यू करने के लिये कहा था। उन दिनों ये