Posts

Showing posts from 2007

स्टिंग ऑपरेशन

स्टिंग ऑपरेशन की तैयारी टाईम्स औफ इंडिया अखबार ने अगस्त 2004 के पहले हफ्ते में एक खबर छापी थी कि किस तरह से मुंबई के बांद्रा कोर्ट के बाहर शादी और तलाक के फर्जी कागजात बनाने का गोरखधंदा चल रहा है। उस खबर में सरिता नाम की एक महिला का किस्सा भी था कि किसतरह से उसके पति ने उसके कम पढे लिखे होने का फायदा उठाते हुए फर्जी कागजात पर उसके दस्तखत लिये और उसके बच्चे को अपने कब्जे में ले लिया। खबर बडी ही चौंकाने वाली थी।ठीक कानूनके दरवाजे के सामने कानून का मखौल उडाया जा रहा था। कुछ लोगों से बात करने पर पता चला कि ये रैकेट काफी बडा था। जो जानकारी हाथ लगी उसके सामने टाईम्स की रिपोर्ट अधूरी लग रही थी। इस गोरखधंदे के कई और भी पहलू थे जिनका पर्दाफाश किया जा सकता था। मेरा बडा मन कर रहा था कि मैं इस खबर पर काम करूं...पर सवाल ये था कि इसे टीवी की स्टोरी कैसे बनाया जाये और किस तरह इसको पेश किया जाये कि लोग दांतों तले उंगली दबा लें। इस बात की भी चिंता था कि कहां ये स्टोरी टाईम्स की खबर का सामान्य फॉलो अप न लगे। सुबह खबर पढने के बाद मैं ये सब सोच ही रहा था कि मिलिंदजी का फोन आया और फोन पर उन्होने जो कहा वो

हवाई अड्डे पर होशियार - जीतेंद्र दीक्षित

मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक ऐसा गिरोह काम कर रहा है, जिसपर विदेशी मुसाफिरों से ठगी करने का आरोप है। हवाई अड्डे के टैक्सीवालों ने बाम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर शिकायत की है कि इस गिरोह के लोग खुद को बतौर लोडर पेश करके विदेशी मुसाफिरों का सामान चुराते हैं और उनसे ठगी करते हैं। हाईकोर्ट ने इनपर पाबंदी लगा दी है, लेकिन हवाई अड्डे के बाहर अब भी इनका कारोबार जारी है। इनके गले में लटके आईकार्ड को देखकर लोगों को भ्रम होता है कि ये Airport Authority of India की ओर से नियुक्त किया गया अधिकृत लोडर है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये आई कार्ड है हमाल एकता संगठन का, जिसे एयरपोर्ट प्रशासन से कोई मान्यता नहीं मिली है। इनके खिलाफ एयरपोर्ट के टैक्सीवालों ने बाम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। आरोप है कि मदद के नाम पर ये विदेशी मुसाफिरों के साथ ठगी करते हैं। एयरपोर्ट अथोरिटी ने कई बार इन अनधिकृत लोडरों के खिलाफ मुंबई पुलिस के पास शिकायत भी दर्ज कराई है। पुलिस ने शिकायतों पर कार्रवाई भी की, लेकिन इसके बावजूद इनकी गतिविधियां पूरी तरह से थमीं नहीं हैं। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए

बांग्लादेश से घुस्पैठ का सच - जीतेंद्र दीक्षित

इस्माइल 1995 में भारत में घुस्पैठ करके आया और तबसे हरसाल वो बांग्लादेश बडी आसानी से आता जाता रहता है। उसका कहना है कि सीमा पर बसे दलाल दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों की मिलीभगत से हर साल हजारों लोगों की घुस्पैठ कराते हैं। हमसे बातचीत में इस्माइल ने ये बातें बताईं- - सीमा से सटे गांवों में दलालों का डेरा। इस्माइल के मुताबिक भारत और बांग्लादेश में सीमा से सटे गांव वाले दलालों का काम करते हैं। लोगों को 50 से 100 के जत्थों में बॉर्डर क्रॉस कराया जाता है। दलालों की भूमिका भी आपस में बंटी होती है। एक दलाल बॉर्डर क्रास करने के इच्छुक लोगों को सीमा तक लाता है। दूसरा दलाल उन्हें अपने साथ बॉर्डर क्रॉस करवाता है, तीसरा दलाल बॉर्डर क्रॉस कर लेने के बाद देश के अंदरूनी हिस्से की ओर निकलने में मदद करता है। - सुरक्षा बलों से मिलीभगत। इंटरव्यू में इस्माइल मे बताया कि दोनों देशों के सुरक्षा बलों की दलालों के साथ मिलीभगत है। दलाल प्रति व्यकित बॉर्डर क्रास कराने के लिये 2500 रूपये लेते हैं लेकिन सुरक्षाकर्मियों को ये प्रति व्यकित 50 से 100 रूपये देते हैं। मतलब कि 50 या 100 रूपये में होता है देश

नहीं चाहिये दाऊद का भाई - जीतेंद्र दीक्षित

दाऊद के भाई इकबाल कासकर ने बरी होते वक्त कहा था कि जेल से रिहा होने के बाद वो बाहर आकर समाज सेवा करना चाहता है और उसके बाद सियासत में भी अपने पैर जमाने की कोशिश करेगा। उसने 2 साल पहले भी जेल से विधानसभा चुनाव लडने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस के दबाव में आकर उसने अपना पर्चा वापस ले लिया। अब इकबाल कैद से आजाद है और न ही उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला चल रहा है, लेकिन फिर भी महाराष्ट्र की कोई राजनैतिक पार्टी उसे लेने को तैयार नहीं। शिवसेना और बीजेपी जैसी हिंदुत्ववादी पार्टियां तो उसे लेने से रहीं, लेकिन हमने कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी जैसे खुद को सेकुलर बताने वाले राजनैतिक दलों के आला नेताओं से जब ये पूछा कि क्या वो इकबाल कासकर को अपनी पार्टी की सदस्यता देंगे तो उनके बडे दिलचस्प जवाब मिले- कांग्रेस (हुसैन दलवई, प्रवक्ता) "कांग्रेस पार्टी ऐसे ही कोई ज्वाईन नहीं कर सकता। ज्वाइन करनेवाले का इतिहास देखा जाता है। उसका चरित्र देखा जाता है। इकबाल ने कहा है कि वो सामाजिक काम करना चाहता है तो करने दो उसे...अच्छी बात है। कांग्रेस पार्टी मे ऐसे गैर तत्वों को नहीं लिया जाता।" समाजवाद

दाऊद की पाठशाला !

मुंबई अंडरवर्लड के सबसे बडे डॉन दाऊद इब्राहिम को उसी के एक सहपाठी ने नाकों चने चबवाये। मुंबई के उर्दू मीडियम स्कूल में दाऊद ने करीब 6 साल तक उसके साथ पढाई की थी। मैट्रिक पास करने के बाद दाऊद ने गुनाह की राह पकडी, जबकि उसके सहपाठी ने पुलिस में अपना करियर बनाया। हम मिले दाऊद के इसी सहपाठी से जो अब भी पुलिस महकमें में है और दाऊद के सबसे बडे दुश्मनों में से एक है।उसने हमें बताईं दाऊद के बचपन के दिनों से जुडी कई सारी बातें, जो इस डॉन का एक अलग ही चेहरा पेश करतीं हैं। हम दाऊद के टीचर से भी मिलें और उन्होने जो बातें हमें बताईं उसे सुनकर आप सोचेंगे कि क्या ये वही शख्स है, जिसे आज दुनिया के सबसे खतरनाक आदमियों में गिना जाता है। उन्होने साथ साथ पढाई की, टीचर की डांट खाई, खेले कूदे, लेकिन आज वे है एक दूसरे के जानी दुश्मन। ये कहानी है अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम और स्कूली दिनों में उसके साथी कादर खान की। जहां दाऊद आज गुनाह की दुनिया में बहुत बडा नाम बन चुका है, वहीं कादर खान मुंबई पुलिस में एक सीनियर इंस्पेक्टर है। वैसे मुंबई पुलिस में डी कंपनी के तमाम दुश्मन हैं, लेकिन कादर खान एक ऐसा इंस्पेक्टर