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Showing posts from 2010

जश्न की खातिर फिर साथ जुटे देश के गद्दार

कराची में बीते शनिवार हुई भारत के गद्दारों की दावत।देशद्रोही डॉन दाऊद इब्राहिम अभी भी पाकिस्तान में ही है इसका एक और सबूत शनिवार को मिला। कराची में शनिवार शाम दाऊद के छोटे भाई अनीस इब्राहिम की बेटी का निकाह हुआ। इस निकाह में खुद दाऊद समेत उसके परिवार के लोग और पाकिस्तान के कई आला अफ्सर शरीक हुए। अनीस इब्राहिम ने बेटी सबीना की शादी अपने ही दाहिने हाथ माने जाने वाले सलीम दलवी उर्फ सलीम चिपलून के बेटे एस.एस.दलवी से करवाई। शादी में देश विदेश से चुनिंदा मेहमान शरीक हुए। सूत्र बताते हैं कि दाऊद के बुलावे प र उसका दाहिना हाथ छोटा शकील भी शादी में आया जिसकी की अनीस से अनबन चल रही है। इस शादी में पाकिस्तान की खुफिया एंजेसी से जुड़े कई अफ्सर , कई बड़े सरकारी अधिकारी , और पाकिस्तानी फौज के कई अफ्सर मौजूद थे । 12 मार्च 1993 के मुंबई बमकांड का प्रमुख आरोपी टाईगर मेमन भी शादी में शरीक हुआ। जानबूझ कर इस शादी को लो प्रोफाइल रखा गया ताकि पाकिस्तान के इस झू ठे दावे की पोल न खुल सके कि दाऊद अभी पाकिस्तान में ही है । भारत लगातार पाकिस्तान से दाऊद को अपने हवाले करने की मांग करता रहा है , लेकिन

Mumbai 26/11/2008: My Observations.

It has been around 2 years since multiple attacks on Mumbai on 26-11-2008 had taken place. Although, I have written a whole book on those attacks, I have few observations based on the developments, information & investigations post attacks. They are listed as below: 1)       The planners were successful in brainwashing the terrorists, training them effectively & supervising the attack in Mumbai. They may replicate this success formula. 2)       The conspirators of the attacks got more than what they estimated. They not only managed to slay large number of civilians but also senior police officers, military officer & commandos. They got unexpected media coverage & stretched the attack for a long time. 3)       The plan was hatched with lots of patience, secrecy, research, focus on details & optimum use of technology. The preparations began more than 2 years before the attacks. 4)       Planners had a large list of targets but only few were selected. 5)       The att

सरकार का लाडला जेलर

मुंबई की आर्थर रोड जेल में हुए गैंगवार ने फिर एक बार जेल प्रशासन पर सवाल उठा दिये हैं। इन सवालों के घेरे में हैं जेल सुपिरिंटेंडेंट राजेंद्र धामणे। धामणे के कार्यकाल में गैंगवार की ये दूसरी घटना है, लेकिन अपने राजनैतिक रिश्तों के चलते वे हर बार कार्रवाई से बच जाते हैं। मुंबई आने से पहले धामणे का पुणे के यरवदा जेल और ठाणे में कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है। मुंबई के आर्थर रोड जेल में फिरसे हुआ गैंगवार और फिरसे बेपर्दा हो गया यहां का जेल प्रशासन। डॉन अबू सलेम के गुर्गे मेंहदी हसन पर जिस तरह से पांडव पुत्र गैंग के सदस्यों ने हमला किया उससे यही बात सामने आती है कि न तो कैदियों में जेल प्रशासन का कोई डर है और न ही कैदियों को आपस में भिडने से रोकने के लिये कोई पुख्ता इंतजाम। जेल में इस बदइंतजामी के लिये जो शख्स जिम्मेदार है वो है राजेंद्र धामणे, मुंबई की आर्थर रोड जेल का सुपिरिंटेंडेंट। ये कोई पहली बार नहीं है कि सुपिरिंटेंडेंट राजेंद्र धामणे के कार्यकाल में इस तरह की कोई वारदात हुई हो। धामणे पहले भी कई बार विवादों में फंस चुके हैं...लेकिन बताया जाता है कि वे कुछ राजनेताओं के लाडले हैं और

मुंबई में मंत्री का मुंडा, बनने चला गुंडा

न छोटा राजन, न दाऊद इब्राहिम..मुंबई शहर में इन दिनों गुंडागर्दी को लेकर जो नाम बार बार खबरों में आ रहा है वो है नितेश राणे का। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री नारायण राणे के साहबजादे नितेश की कारगुजारियां बढती ही जा रहीं हैं। खुद पुलिसिया पहरे में चलने वाले नितेश राणे जब चाहें, जहां चाहें किसी को भी पीट सकते हैं। नितेश राणे की हरकतों से उनका यही मुगालता झलकता है कि बाप मंत्री है कोई क्या बिगाड लेगा। दर्जनभर पुलिसवालों के घेरे में तनकर चलने वाले नितेश राणे को कोई छू तक नहीं सकता, लेकिन नितेश मुंबई में कभी भी किसी की भी हड्डी पसली एक कर सकते हैं। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री नारायण राणे के इस लाडले की हरकतें देखकर यही लगता है कि जल्द ही मुंबई अंडरवर्लड में छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के बाद अब नया नाम उभरेगा-छोटा राणे। अपने ही कार्यकर्ता चिंटू शेख पर हमले का आरोप तो सबसे ताजा है लेकिन अगर पिछले साल डेढ साल के दौरान नितेश की ओर से अंजाम दी गई वारदातों पर गौर करें तो अंदाजा मिल जाता है कि किस कदर ये छोटा राणे अपने पिता के रसूख का बेजा इस्तेमाल कर रहा है। पहली करतूत- हाल ही में दादर रेल्वे स्टेश

पीपली लाईव: तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं.....

अबसे 10 साल पहले यानी साल 2000 में शाहरूख खान अभिनित एक फिल्म आई थी “ फिर भी दिल है हिंदुस्तानी ” । उस वक्त मैं टीवी पत्रकारिता में नया नया था। फिल्म में टीवी पत्रकारों को जोकरों की तरह दिखाया गया था। ये दिखाया गया था कि कैसे एक कथित आतंकी की फांसी को लेकर न्यूज चैनलों में काम करने वाले पागल हो गये थे। हर कोई अपनी तरह से उस फांसी को भुनाना चाहता था। मुझे फिल्म देखकर बडा बुरा लगा। सब बकवास लग रहा था। मेरा मानना था कि इस फिल्म के जरिये टीवी पत्रकारों की गलत और खराब तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है...लेकिन अगस्त 2004 में मैं गलत साबित हुआ। कोलकाता में हत्या और बलात्कार के आरोपी धनंजय चटर्जी को दी जाने वाली फांसी भारत में प्राईवेट न्यूज चैनलों का दौर शुरू होने के बाद पहली फांसीं थी। टीवी चैनलों ने ठीक वैसा ही बर्ताव किया जैसा कि उस फिल्म में दिखाया गया था। फांसी से जुडी हर चीज को बुरी तरह से निचोडा गया। यहां तक कि ये भी दिखाया गया कि फांसी का फंदा कैसे बनता है और किसी को फांसी पर कैसे लटकाते हैं। इसका असर धनंजय के फांसी पर लटकाय़े जाने के कई दिनों बाद तक देखने मिला..कई बच्चे फांसीं फांसी

सालभर पहले आज के दिन: जिंदगीभर न भूलेगी...वो खौफनाक दोपहर

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जिंदगीभर न भूलेगी वो बरसात की दोपहर … बीते सोमवार मैं और मेरा कैमरामैन अजीत एक मछुआरे की छोटी सी नौका लेकर अरब सागर में डूबे जहाज MSC CHITRA की तस्वीरें लेने पहुंचे।मुंबई बंदरगाह के पास इस जहाज को अल खलीजिया नाम के दूसरे जहाज ने टक्कर मार दी थी। दोपहर 2 बजे के करीब हम बीच समुद्र में पहुंचे ही थे कि तेज आंधी के साथ भारी बारिश शुरू हो गई...हॉलीवुड की किसी फिल्म की तरह पहली मंजिल जितनी ऊंची लहरें हमारी कश्ती से टकरा रहीं थीं। लहरों के हमले से नौका 2 बार पलटते पलटते बची। सिर नीचे और टांगें ऊपर हो गईं थीं। मैने कई समुद्री सफर किये हैं लेकिन इतनी खतरनाक और डरावनी समुद्री यात्रा पहले कभी नहीं की। जब तेज बारिश और आंधी शुरू हुई तो मुझे लगा कि अब जहाज तक पहुंचना मुमकिन नहीं है और मैने नाव चला रहे मछुआरों से कहा कि वापस चलते हैं..मौसम ठीक होने पर फिर लौटेंगे। मछुआरों का कहना था कि मौसम मानसून में ऐसा ही रहेगा। उन्होने भरोसा दिलाया कि कुछ नहीं होगा, घबराने की कोई बात नहीं है। मैने भी उनपर यकीन करके रिस्क लेने की ठान ली। ये सोचकर कि बहुत दिनों बाद कोई एडवेंचरस स्टोरी करने का मौका मिला है हम बिना

ऑपरेशन वडा पाव

लखनऊ की रेवडियां मशहूर हैं, आगरे का गजक मशहूर है, दिल्ली की चाट मशहूर है, हैद्राबाद की बिर्यानी मशहूर है और मुंबई का मशहूर है वडापाव...बेसन में लिपटा आलू का ये गोला झटपट तैयार हो जाता है और इसीलिये ये मुंबई की भागती दौडती जिंदगी का हिस्सा बन गया है...लेकिन इन बारिश के दिनों में मुंबई वालों को रहना होगा वडा पाव खाते वक्त सावधान। स्टार न्यूज के रिपोर्टरों ने मुंबई के अलग अलग इलाकों से 10 मशहूर वडा पाव खरीदे और लैब में भेजकर उनका वैज्ञानिक टेस्ट करवाया।रिपोर्ट में पाया गया कि उनमें से सिर्फ 4 जगहों के वडापाव ही खाने लायक हैं। ये हैं नतीजे: 1- Jain Wada Pav, Kandivali -unsafe 2-M.M.Mithaiwala, Malad. -unsafe 3- Kirti College Wada Pav -safe 4-Graduate Wada Pav, Byculla. -unsafe 5- Jumbo Wada Pav, Sion -Eat at your risk 6- Krishna Wada Pav, Dadar -safe 7-Elphinstone Road Station -unsafe 8- Mithibai College Wada Pav -unsafe 9- Shiv Wada Pav, Vadala -safe 10- Manchekar Wada Pav, Worli -safe ये टेस्ट ठाणे जिले के रिलायबल लैब में अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर किये गये। लै

कबाब में हड्डी: मुंबई में लवर्स पोईंट्स का हाल

मुंबई एक बहुत बडा शहर भले ही हो लेकिन कुछ लोगों की नजर में ये शहर बहुत छोटा है। ये लोग हैं कपल्स यानी युवा प्रेमी जोडे जो एक दूसरे के साथ वक्त बिताने के लिये तनहाई चाहते हैं। तनहाई या प्राईवेसी की तलाश में ऐसे कपल्स निकल पडते हैं शहर के कुछ ऐसे ठिकानों की ओर जो लवर्स पॉइंट के नाम से जाने जाते हैं..लेकिन क्या वहां भी उन्हें तनहाई मिल पाती है या फिर वहां भी मिल जाती है कबाब में हड्डी, इसकी पडताल के लिये निकली हमारे 4 सवाददाताओं की टीम। बांद्रा मुंबई का एक फश्चिमी उपनगर है बांद्रा। समुद्र किनारे बसे इस उपनगर में भी कुछ ऐसे ठिकाने भी हैं जहां युवा जोडे प्यार के 2 पल बिताने आते हैं..लेकिन क्या ये पल मिल पाते हैं उन्हें ये जानने की कोशिश की हमारे संवाददाता गणेश ठाकुऱ और प्रमाली कापसे ने जो कि एक प्रेमी जोडे की शक्ल में यहां पहुंचे। गणेश और प्रणाली पहुंचे बैंड स्टैंड। समुद्र किनारे एक टीले पर मौजूद ये लवर्स पॉइंट प्रेमी जोडों के लिये बडा ही रोमांटिक समां बनाती है। मानसून में कई बार यहां प्यार के आगोश में डूबे कपल्स को लहरें भी निगल लेतीं हैं.. फिर भी तनहाई की चाहत में प्यार करने वाले इस

The No Nonsense Blog: मुंबई में हर हफ्ते होता है "भूतों" का जमावडा।

The No Nonsense Blog: मुंबई में हर हफ्ते होता है "भूतों" का जमावडा। : "मुंबई में हर गुरूवार एक जगह होता है ऐसे लोगों का जमावडा जिनके बारे में नाते रिश्तेदार मानते हैं कि उन्हें भूत-प्रेत ने जकड रखा है। ये लोग वह..."

मुंबई में हर हफ्ते होता है "भूतों" का जमावडा।

मुंबई में हर गुरूवार एक जगह होता है ऐसे लोगों का जमावडा जिनके बारे में नाते रिश्तेदार मानते हैं कि उन्हें भूत-प्रेत ने जकड रखा है। ये लोग वहां नाचते हैं गाते हैं, ऊट पटांग हरकतें करते हैं और अपने आप से बातें करते हैं।मैने खुफिया कैमरे से जब इसकी पडताल की तो पाया कि मुंबई जैसे शहर में भी कई पढे लिखे लोग अंधविश्वास में यकीन करते हैं और अपने बीमार नाते रिश्तेदारों का इलाज कराने तंत्र-मंत्र का सहारा लेते हैं। डेढ करोड की आबादी वाला महानगर मुंबई देश के सबसे आधुनिक शहरों में से एक गिना जाता है...लेकिन अपनी इस पडताल में मैने जो तस्वीर देखी वो मुंबई की इस इमेज से मेल नहीं खाती और आपको सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या वाकई में हम 21 वीं सदी में रहते हैं। ये जगह है मुंबई के हार्बर लाईन रेल स्टेशन रे रोड के करीब दातार दरगाह।यहां हर गुरूवार की शाम सैकडों लोग जमा होते हैं। दरगाह के बाहर का माहौल बडा ही अजीब और डरावना होता है। कोई औरत लगातार 2 घंटे से झूम रही होती है। उसे लग रहा होता है कि उसके शरीर में किसी खतरनाक चुडैल की आत्मा घुस गई है। खुद को राक्षस समझ रहा एक आदमी बडी देर से इसी तरह अपना स

"दाऊदभाई न होते तो मुसलमानों का क्या होता.."

गुरूवार की सुबह मुझे हल्का बुखार लग रहा था और शरीर में कमजोरी भी महसूस हो रही थी। कार चलाकर दफ्तर जाने का मूड नहीं था इसलिये मैं टैक्सी से महालक्ष्मी में अपने दफ्तर पहुंचा। शाम को मुझे नानी से मिलने दक्षिण मुंबई के बॉम्बे अस्पताल जाना था, जहां वे मोतीबिंदू के ऑपरेशन के लिये भर्ती हुईं थीं। मैने महालक्ष्मी से बॉम्बे अस्पताल जाने के लिये टैक्सी पकडी। टैक्सी वाला एक बुजुर्ग शख्श था।चेहरे पर हल्की सफेद दाढी उग आई थी। तेज बारिश के कारण टैक्सी काफी धीमी रफ्तार से आगे बढ रही थी। उस टैक्सी वाले ने मुझसे पूछा- साब 2 दिन टैक्सी हडताल पर थी तो पब्लिक को बहुत तकलीफ हुई होगी न? टैक्सीवाले का सवाल एक दिन पहले हुई टैक्सी की हडताल से था। टैक्सी वाले सीएनजी की कीमत बढने की वजह से टैक्सी का किराया बढाने की मांग को लेकर हडताल पर उतरे थे। बाद में जब सरकार ने किराया बढाने का ऐलान किया तो उन्होने अपनी हडताल वापस ली। टैक्सी वाले के सवाल पर मैने उससे उलटा सवाल पूछा- तकलीफ तो हुई थी। तुम किस यूनियन के हो...क्वाड्रोस के? शिवसेना के या किसी दूसरी यूनियन के? टैक्सी ड्राईवर-हम तो सबके हैं और किसी के भी नहीं

स्वार्थी डॉन दाऊद इब्राहिम

अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम खुदगर्ज है। वो अपने साथियों का इस्तेमाल करके उन्हें उनके हाल पर छोड देता है। ये कहना है मंगलवार को अबू धावी से गिरफ्तार किये गये मुंबई बमकांड के आरोपी ताहिर मर्चंट उर्फ टकल्या का। पहले भी दाऊद के कुछ साथी उसपर यूज एंड थ्रो की नीति अपनाने का आरोप लगा चुके हैं। ताहिर टकल्या को अपनी गिरफ्तारी से ज्यादा मलाल अपने आका दाऊद इब्राहिम की अनदेखी का है। ताहिर टकल्या पर दाऊद की ओर से रची गई मुंबई बमकांड की साजिश में हिस्सा लेने का आरोप है। पिछले सत्रह सालों से सीबीआई उसे तलाश रही थी। मंगलवार को उसे अबू धाबी से प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक हवालात में टकल्या दाऊद इब्राहिम को कोस रहा है। टकल्या के मुताबिक 12 मार्च 1993 के मुंबई बमकांड के बाद कुछ दिनों तक तो दाऊद और उसके साथी टाईगर मेमन ने साजिश में शामिल लोगों की देखभाल की..लेकिन जैसे जैसे वक्त आग बढा दाऊद ने उनकी अनदेखी करनी शुरू कर दी। दाऊद इब्राहिम से रू बरू मिल पाना भी मुश्किल हो गया। एक तो कभी भी पकडे जाने की तलवार सिर पर लटक रही थी उसपर दाऊद ने दाना पानी भी देना बंद कर दिया। ऐसे में ट

क्या छोटा राजन गिरोह खात्में के कगार पर है ?

गैंगस्टर फरीद तनाशा की हत्या के बाद अब अंडरवर्लड में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या छोटा राजन का गिरोह खत्म हो गया है। बीते 10 सालों में राजन के कई खास साथियों ने उससे गद्दारी करके अलग गिरोह बनाया, कुछ दुश्मनों या पुलिस के हाथों मारे गये और कुछ गिरफ्तार हुए। इससे अंडरवर्लड में छोटा राजन की पकड लगातार ढीली पडती गई। फरीद तनाशा उन चंद बचे खुचे गैंगस्टरों में से था जो अब तक छोटा राजन के साथ थे। तनाशा ही इन दिनों मुंबई में राजन गिरोह का काला कारोबार संभाल रहा था। तनाशा की हत्या ने राजन गिरोह के ताबूत में एक और कील ठोंक दी है। अंडरवर्लड में सवाल उठ रहा है कि अब क्या छोटा राजन का खौफ बरकरार रह पायेगा? क्या उसके धमकी भरे फोन कॉल्स से डरकर फिल्मी हस्तियां, बिल्डर और बडे कारोबारी उस तक मोटी रकम पहुंचायेंगे? क्या राजन के कट्टर दुश्मन दाऊद इब्राहिम के लोगों को उससे छुपने की जरूरत पडेगी ? हाल के सालों में राजन गिरोह की जो दुर्दशा हुई है उस पर गौर करें तो जवाब मिलता है नहीं। 15 सितंबर 2000 को राजन पर बैंकॉक में हमला हुआ और तबसे राजन गिरोह ने बिखरना शुरू कर दिया। ये हमला अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के

कसाब का मुकदमा: क्या दिखा? क्या छुपा?

न तो जज ने अजमल कसाब को फांसी की सजा सुनाकर अपनी कलम की निप तोडी और न ही कसाब अदालत में चिल्लाया – जज साब मैं बेकसूर हूं। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो आप फिल्मों में किसी को फांसी की सजा सुनाये जाते वक्त देखते हैं...लेकिन इसके बावजूद 26-11-2008 को हुए मुंबई हमले का मुकदमा ड्रामें से भरपूर है। अदालत से जुडे हर शख्स के किस्से बडे दिलच्सप हैं। जज तहिलयानी उज्जवल निकम भले ही अब ये बात कबूल न करें, लेकिन जब 26-11 के मुकदमें की सुनवाई के लिये जज तहिलयानी की नियुक्ति हुई तो निकम चिंतित हो गये थे। चिंता इसलिये थी क्योंकि तहिलयानी की अदालत में निकम एक मामले में बहुत बडा झटका झेल चुके थे। ये मामला था कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या का। तहिलयानी के फैसला सुनाने के कुछ दिन पहले ही निकम चंद पत्रकारों से कहते पाये गये –तहिलयानी साब की इमेज अक्विटल मांइंडेड (आरोपियों को बरी कर देने वाले) जज की है। पता नहीं क्या होगा? उस मामले में निकम का डर सही भी निकला। 18 में से सिर्फ एक आरोपी रऊफ दाऊद मर्चंट को छोडकर सभी आरोपियों को तहिलयानी ने बरी कर दिया। उज्जवल निकम के लिये ये एक करारा झटका था। इसी मामले से उस

के.पी.रघुवंशी का तबादला: अहसान फरामोशी की मिसाल

एक कर्तव्यनिष्ठ, हिम्मती, ईमानदार और सूझबूझ वाले पुलिस अधिकारी के साथ हमारी राजनीतिक व्यवस्था क्या सलूक करती है उसकी एक मिसाल आज देखने मिली। साथ ही फिर एक बार सत्ताधारी राजनेताओं ने ये साबित कर दिया कि वे Use & throw की गंदी रणनीति में यकीन रखते हैं।महाराष्ट्र Anti Terrorist Squad (ATS) के प्रमुख के.पी.रघुवंशी आज आखिरी बार अपने दफ्तर गये। सरकारी आदेश के मुताबिक उन्होने अपना चार्ज दस्ते के नये मुखिया राकेश मारिया को सौंप दिया। वैसे तो जल्द ही रघुवंशी का तबादला सामान्य तौर पर ATS से होना ही था..लेकिन उनका इस तरह से हटाया जाना काफी चौकानेवाला है...खासकर मेरे जैसे पत्रकारों के लिये जो रघुवंशी को, उनके काम करने के तरीके को और उनकी शख्सियत को कई सालों से जानते हैं। के.पी.रघुवंशी को हटाये जाने की घटना से मुझे दुख भी है और रोष भी। दुख इस वजह से कि एटीएस को दिनरात एक करके खडे करने वाले अफसर को इस तरह से फोर्स से हटाया गया और रोष सत्ताधारी राजनेताओं और अपने ही व्यावयायिक सहयोगियों यानी कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर। रघुवंशी को एटीएस से सिर्फ एक छोटी सी गलती की वजह से हटना पडा और थोडा गहराई

If you hate "Hate Politics"

Dear Friend, I am disturbed with too much of hate politics around..We Indians are being fooled by selfish politicians on the basis of religion, language, region, caste & so on….and this is happening at a time when our countrymen need to unite themselves against external threats. Such hate preachers seem to be successful in their campaign & are becoming stronger with the time. If we want our nation to survive, such elements need to be contained. I & like minded friends have decided not to keep quiet & have a long term plan of reactionary movement against the hate preachers. We need people from varied fields like media, law, administration, corporates, education to join us & create a force. Ex-personnels from Police, army & intelligence agencies can also add great strength to the movement by joining us. Tentatively we have named our organization as Unite India Force. (UIF). UIF would initially begin as a youth organization from & would gradually transform in

खेल बयानों का....

सब बयानों का ड्रामा चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने उदधव ठाकरे की सुरक्षा हटाने की धमकी दी और पलटवार करते हुए उदधव ने खुद ही सुरक्षा वापस करने का ऐलान किया…लेकिन ठाकरे के बंगले के सामने सारी हकीकत साफ हो जाती है। एक भी पुलिसकर्मी को हटाने का आदेश सरकार ने नहीं दिया है और न ही उदधव ठाकरे ने अपनी सुरक्षा में लगे किसी पुलिसकर्मी को घर से निकल जाने को कहा है। ठाकरे के घर के इर्द गिर्द का इलाका आज भी हमेशा की तरह एक छावनी लग रहा है।

बडा तरस आ रहा है पुलिसवालों पर।

बडा तरस आ रहा है पुलिसवालों पर। बीते गुरूवार मुंबई पुलिस के 59 वर्षीय कमिश्नर डी. शिवानंदन को राहुल गांधी के पीछे भागते देखा। उनके साथ ज्वाईंट कमिश्नर से लेकर कांस्टेबल तक कई पुलिसकर्मी इस प्रयास में जुटे थे कि शिवसैनिक राहुल के कार्यक्रम में अडचन डालने के अपने मंसूबे में कामियाब न हो पायें। अब खबर आई है कि शाहरूख खान की फिल्म माई नेम इज खान के रिलीज में शिवसैनिक रूकावट न डाल सकें इसके लिये मुंबई पुलिस ने अपने कर्मचारियों की साप्ताहिक छुट्टी (वीकली औफ) रद्द कर दिया। एक तो पुलिसकर्मी वैसे ही तमाम तरह के दबावों में रहते हैं उसपर इस तरह के राजनीतिक ड्रामों की वजह से उनकी हालत और भी खराब हो जाती है। ठाकरे पिता-पुत्र का अपनी पार्टी को जिंदा रखना है, राहुल गांधी को अपनी इमेज बनानी है और शहरूख खान को अपनी फिल्म चलवानी है… ऐसे में एक पुलिस वाला मरे क्या न करे..लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी उसी की लाठी पर है। हर साल करीब डेढ दर्जन मुंबई पुलिस के कर्मचारी काम से जुडे दबाव की वजह से मरते हैं।

विदेश में फंसे दोस्त की मदद करने से पहले करो एक फोन

इंटरनेट के जरिये लोगों को ठगने वाले नाईजीरियाई बदमाशों ने अब निकाला है ठगी का नया तरीका। वे आपका ईमेल अकाउंट हैक करके आपकी एड्रेस बुक से तमाम लोगों को संदेश भेजते हैं कि आप विदेश में हैं, आपका बटुआ गुम हो गया है और मुसीबत से बचाने के लिये आपको एक बडी रकम ऑनलाईन भेजी जाये। जिसने भी इस संदेश पर यकीन किया उसके बैंक बैलेंस को जीरो होते देर न लगी। इन बदमाशों ने हाल ही में मालेगांव बम धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह और मराठी अखबार लोकसत्ता के संपादक कुमार केतकर के ईमेल अकाउंट हैक करके भी इसी तरह के संदेश भेजे। एडवोकेट गणेश सोवानी फोन पर अपने दोस्तों और शुभचिंतकों को समझाते समझाते थक गये हैं कि वे भारत में ही हैं, लंदन में नहीं और न ही उन्हें पैसों की कोई जरूरत है। दरअसल मालेगांव बम धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह के वकील सोवानी का ईमेल अकाउंट किसी ने हैक कर लिया। हैक करने के बाद बदमाशों ने सोवानी के अकाउंट में जितने भी लोगो के ई मेल एड्रेस थे उन सब पर एक ईमेल भेजा। ईमेल में लिखा गया था – “ कैसे हैं आप। उम्मीद है आप और आपके परिवार में सब ठीक है। माफ कीजिये मैने आपको एक ट्रिप के लिये

मुंबई में अब कोई नहीं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट

प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी के बाद अब मुंबई पुलिस में कोई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर नहीं बचा है। मुंबई पुलिस को अपने जिन एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पर कभी फख्र हुआ करता था वही आज उसकी बदनामी के सबसे बडे कारण बने हैं। शर्मा के अलावा हर एनकाउंटर स्पेशलिसट अफसर किसी न किसी आपराधिक मामले में फंसकर फर्स से बाहर हो गया। विजय सालस्कर: 26-11-2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए विजय सालस्कर ही एकमात्र ऐसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर थे जिनके खिलाफ उनकी मौत के वक्त कोई बडा आपराधिक मामला नहीं चल रहा था। फर्जी एनकाउंटरों के आरोप सालस्कर पर भी लगे थे, लेकिन गिरफ्तारी की नौबत कभी नहीं आई थी....लेकिन बाकी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इतने खुशनसीब नहीं निकले। दया नायक: विजय सालस्कर और प्रदीप शर्मा के बाद एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पुलिसवालों की नस्ल में सबसे बडा नाम था दया नायक। साल 2005 में नायक और उनके 2 दोस्तों को आय से ज्यादा संपत्ति रखने का मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद से करीब 80 एनकाउंटर करने वाले दया नायक फिलहाल स्सपेंड कर दिये गये। एसीबी ने नायक को गिरफ्तार तो कर

अंडरवर्लड : गोलियों की जुबान से गालिब की जुबान तक

गोलियों, गालियों और धमकी की जुबान बोलने वाली डी कंपनी का एक गुर्गा इन दिनों बोल रहा है शेर-ओ-शायरी और कविताओं की जुबान। दाऊद इब्राहिम गिरोह से ताल्लुक रखने वाले इस शख्स ने जेल की सलाखों के पीछे कैद रहकर तैयार किया है एक कविता संग्रह। डॉन के गुर्गे ने शायरियों और कविताओं के जरिये नैनो कार और जेल की जिंदगी से लेकर रोमांस और कॉमेडी तक पर अपनी कलम चलाई है। अंडरवर्लड की जुबान यानी कि मौत की जुबान, धमकी की जुबान, गालियों की जुबान...लेकिन अंडरवर्लड से जुडा होने का आरोपी ये शख्स इन दिनों बोल रहा है मिर्जा गालिब की जुबान...शेर-ओ-शायरी की जुबान। ये शख्स है दाऊद इब्राहिम गिरोह का कथित सदस्य रियाज सिद्धिकी। एक कविता इसने अपनी जेल की जिंदगी पर लिखी है- तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल जेल के किस्से क्या क्या बताएं, जेल तो भईया जेल बडे बडो की यहां पर आके हो जाती है बुद्धि फेल एक बार जो हत्थे चढा इसके फिर पता न कब होगी बेल तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल सलाखों के पीछे की अपनी जिंदगी को तो रियाज ने इस कविता के जरिये तो बयां किया ही है, जेल के बाहर की जिंदगी पर भी

डॉन के पालतू...

अंडरवर्लड डॉन छोटा राजन के गुर्गों के साथ पार्टी में रंगरलियां मनाने वाले एसीपी प्रकाश वाणी पर पहले भी गैंगस्टरों से रिश्तों के आरोप लग चुके हैं और उनपर कार्रवाई भी हुई है। इस बार वाणी फिर एक बार पकडे जाने पर निलंबित हुए हैं। वाणी पर तो कार्रवाई हुई है, लेकिन वाणी की तरह ही महाराष्ट्र के पुलिस महकमें और दूसरी एजेंसियों के कई लोग वर्दी में रहकर अंडरवर्लड की काली दुनिया के लिये काम करते आये हैं। एसीपी प्रकाश वाणी की वर्दी रहेगी या जायेगी ये उस जांच की रिपोर्ट के बाद तय होगा जो कि मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच कर रही है। वाणी पर 25 दिसंबर को चेंबूर के एक क्लब में छोटा राजन के गुर्गे डी.के राव और फरीद तनाशा जैसे गु्र्गों के साथ शराब पीकर नाचने का आरोप है। वैसे अंडरवर्लड के साथ रिश्तों को लेकर वाणी पर लगा ये कोई पहला आरोप नहीं है। 1998 में मुंबई के त्तकालीन पुलिस कमिश्नर रोनी मेंडोंसा ने भी अंडरवर्लड से वाणी के रिश्तों की शिकायत मिलने पर उनका तबादला मुंबई के बाहर करवा दिया था। उस वक्त इंस्पेक्टर रैंक के वाणी के तबादले का आदेश तो आ गया ,लेकिन वाणी राजनीतिक दबाव डलवा कर संयुक्त राष्ट्र के मिशन