अंडरवर्लड : गोलियों की जुबान से गालिब की जुबान तक
गोलियों, गालियों और धमकी की जुबान बोलने वाली डी कंपनी का एक गुर्गा इन दिनों बोल रहा है शेर-ओ-शायरी और कविताओं की जुबान। दाऊद इब्राहिम गिरोह से ताल्लुक रखने वाले इस शख्स ने जेल की सलाखों के पीछे कैद रहकर तैयार किया है एक कविता संग्रह। डॉन के गुर्गे ने शायरियों और कविताओं के जरिये नैनो कार और जेल की जिंदगी से लेकर रोमांस और कॉमेडी तक पर अपनी कलम चलाई है।
अंडरवर्लड की जुबान यानी कि मौत की जुबान, धमकी की जुबान, गालियों की जुबान...लेकिन अंडरवर्लड से जुडा होने का आरोपी ये शख्स इन दिनों बोल रहा है मिर्जा गालिब की जुबान...शेर-ओ-शायरी की जुबान। ये शख्स है दाऊद इब्राहिम गिरोह का कथित सदस्य रियाज सिद्धिकी। एक कविता इसने अपनी जेल की जिंदगी पर लिखी है-
तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल
जेल के किस्से क्या क्या बताएं, जेल तो भईया जेल
बडे बडो की यहां पर आके हो जाती है बुद्धि फेल
एक बार जो हत्थे चढा इसके फिर पता न कब होगी बेल
तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल
सलाखों के पीछे की अपनी जिंदगी को तो रियाज ने इस कविता के जरिये तो बयां किया ही है, जेल के बाहर की जिंदगी पर भी उसने कविताएं लिखीं हैं जैसे कि नैनो कार लांच के वक्त लिखी ये कविता-
देख जमाना बदला देख, टाटा का निर्माण तो देख
इस महंगाई के मौसम में, एक लाख की नैनो देख
बरसों से ये ख्वाब था सबका, ख्वाब हुआ अब पूरा देख
ख्वाबों की ताबीर है नैनो, एक नया फिर ख्वाब तो देख
दाऊद के इस गुर्गे रियाज ने रोमांस पर भी अपनी कलम आजमाई है जैसे “याद में उसकी” नाम की ये कविता-
हम कैद में भी नगमा गर हैं याद में उसकी
बहला रहे हैं दिल को फक्त याद में उसकी
हर सुबह नई आस, नई सोच, नया जोश
हर शाम बुझा दिल है फकत याद में उसकी
रियाज सिद्धिकी 1993 के मुंबई बमकांड में टाडा का आरोपी है। संजय दत्त को जो ए.के.56 राईफल अबू सलेम ने कथित तौर पर दी थी उस वक्त रियाज सिद्धिकी भी साथ था। मई 2003 में दुबई से डीपोर्ट होने के बाद उसे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। तब से रियाज आर्थर रोड जेल में है और वही अक्सर कविताएं लिखता है।
रियाज ने जेल से अपनी रिहाई के इंतजार में भी “कैदी परिंदे” नाम की एक कविता लिखी है-
कैदी परिंदे पिंजरे में ये गाते हैं
कब छूटेंगे मौसम बीतते जाते हैं
फिरसे टूट कर रोने की रूत आई है
फिरसे दिलों के घाव ये बढते जाते हैं
वैसे डी कंपनी का शेरो शायरी से लगाव पहले भी रहा है। दाऊद का मृत भाई नूरा फिल्मों के लिये गाने लिखता था। दाऊद का दाहिना हाथ छोटा शकील ने भी भले ही अपने शूटरों की गोलियों से कईयों को ढेर करवाया हो, लेकिन अपनी माशूकाओं को खुश करने के लिये वो गालिब की भाषा यानी शेरो शायरी का इस्तेमाल करता है..
अंडरवर्लड की जुबान यानी कि मौत की जुबान, धमकी की जुबान, गालियों की जुबान...लेकिन अंडरवर्लड से जुडा होने का आरोपी ये शख्स इन दिनों बोल रहा है मिर्जा गालिब की जुबान...शेर-ओ-शायरी की जुबान। ये शख्स है दाऊद इब्राहिम गिरोह का कथित सदस्य रियाज सिद्धिकी। एक कविता इसने अपनी जेल की जिंदगी पर लिखी है-
तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल
जेल के किस्से क्या क्या बताएं, जेल तो भईया जेल
बडे बडो की यहां पर आके हो जाती है बुद्धि फेल
एक बार जो हत्थे चढा इसके फिर पता न कब होगी बेल
तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल
सलाखों के पीछे की अपनी जिंदगी को तो रियाज ने इस कविता के जरिये तो बयां किया ही है, जेल के बाहर की जिंदगी पर भी उसने कविताएं लिखीं हैं जैसे कि नैनो कार लांच के वक्त लिखी ये कविता-
देख जमाना बदला देख, टाटा का निर्माण तो देख
इस महंगाई के मौसम में, एक लाख की नैनो देख
बरसों से ये ख्वाब था सबका, ख्वाब हुआ अब पूरा देख
ख्वाबों की ताबीर है नैनो, एक नया फिर ख्वाब तो देख
दाऊद के इस गुर्गे रियाज ने रोमांस पर भी अपनी कलम आजमाई है जैसे “याद में उसकी” नाम की ये कविता-
हम कैद में भी नगमा गर हैं याद में उसकी
बहला रहे हैं दिल को फक्त याद में उसकी
हर सुबह नई आस, नई सोच, नया जोश
हर शाम बुझा दिल है फकत याद में उसकी
रियाज सिद्धिकी 1993 के मुंबई बमकांड में टाडा का आरोपी है। संजय दत्त को जो ए.के.56 राईफल अबू सलेम ने कथित तौर पर दी थी उस वक्त रियाज सिद्धिकी भी साथ था। मई 2003 में दुबई से डीपोर्ट होने के बाद उसे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। तब से रियाज आर्थर रोड जेल में है और वही अक्सर कविताएं लिखता है।
रियाज ने जेल से अपनी रिहाई के इंतजार में भी “कैदी परिंदे” नाम की एक कविता लिखी है-
कैदी परिंदे पिंजरे में ये गाते हैं
कब छूटेंगे मौसम बीतते जाते हैं
फिरसे टूट कर रोने की रूत आई है
फिरसे दिलों के घाव ये बढते जाते हैं
वैसे डी कंपनी का शेरो शायरी से लगाव पहले भी रहा है। दाऊद का मृत भाई नूरा फिल्मों के लिये गाने लिखता था। दाऊद का दाहिना हाथ छोटा शकील ने भी भले ही अपने शूटरों की गोलियों से कईयों को ढेर करवाया हो, लेकिन अपनी माशूकाओं को खुश करने के लिये वो गालिब की भाषा यानी शेरो शायरी का इस्तेमाल करता है..
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