डॉन के पालतू...
अंडरवर्लड डॉन छोटा राजन के गुर्गों के साथ पार्टी में रंगरलियां मनाने वाले एसीपी प्रकाश वाणी पर पहले भी गैंगस्टरों से रिश्तों के आरोप लग चुके हैं और उनपर कार्रवाई भी हुई है। इस बार वाणी फिर एक बार पकडे जाने पर निलंबित हुए हैं। वाणी पर तो कार्रवाई हुई है, लेकिन वाणी की तरह ही महाराष्ट्र के पुलिस महकमें और दूसरी एजेंसियों के कई लोग वर्दी में रहकर अंडरवर्लड की काली दुनिया के लिये काम करते आये हैं।
एसीपी प्रकाश वाणी की वर्दी रहेगी या जायेगी ये उस जांच की रिपोर्ट के बाद तय होगा जो कि मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच कर रही है। वाणी पर 25 दिसंबर को चेंबूर के एक क्लब में छोटा राजन के गुर्गे डी.के राव और फरीद तनाशा जैसे गु्र्गों के साथ शराब पीकर नाचने का आरोप है। वैसे अंडरवर्लड के साथ रिश्तों को लेकर वाणी पर लगा ये कोई पहला आरोप नहीं है। 1998 में मुंबई के त्तकालीन पुलिस कमिश्नर रोनी मेंडोंसा ने भी अंडरवर्लड से वाणी के रिश्तों की शिकायत मिलने पर उनका तबादला मुंबई के बाहर करवा दिया था। उस वक्त इंस्पेक्टर रैंक के वाणी के तबादले का आदेश तो आ गया ,लेकिन वाणी राजनीतिक दबाव डलवा कर संयुक्त राष्ट्र के मिशन के लिये कोसोवो चले गये। जब वाणी की वापसी हुई तो उनपर लगे आरोपो को नजरअंदाज करते हुए उन्हें एसीपी बना दिया गया।
गौर करने वाली बात है कि क्राईम ब्रांच सिर्फ इस बात की जांच कर रही है कि एसीपी प्रकाश वाणी उस पार्टी में थे या नहीं। ये जांच कई अहम सवालों को नजरअंदाज कर रही है जैसे कि एसीपी प्रकाश वाणी के छोटा राजन गिरोह से रिश्ते किस तरह के रहे हैं। गिरोह के लिये उसने क्या क्या काम किये..गिरोह के कितने दुश्मनों को फर्जी मामलों में फंसाया...गिरोह के कितने शूटरों के मामले कमजोर करवाये और इसके एवज में छोटा राजन का गिरोह प्रकाश वाणी को कितने पैसे देता था। वैसे राजन ही नहीं डॉन दाऊद इब्राहिम ने भी कई पुलिसकर्मियों को अपना पालतू बना रखा था और उनका खूब इस्तेमाल भी किया।
दाऊद इब्राहिम ने पैसों के दम पर मुंबई पुलिस के हथियारखाने में काम करने वाले एक कांस्टेबल राजेश इगवे उर्फ राजू को अपने गिरोह में शामिल कर लिया था। इगवे को एके-47 जैसे हथियार चलाने आते थे। दाऊद ने इगवे का इस्तेमाल न केवल अपने शूटरों को संजय गांधी नेशनल पार्क में ट्रेनिंग देने के लिये करता था, बल्कि उसे एक मिशन भी सौंप रखा था। ये मिशन था शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर एम एन सिंह और ज्वाइंट कमिश्नर की हत्या का... पर इससे पहले कि इगवे अपने मिशन में कामियाब हो पाता 17 नवंबर 1995 को पुलिस के साथ हुई मुठभेड में वो मारा गया। 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए बम धमाकों के लिये भी आरडीएक्स भी दाऊद गिरोह ने 5 पुलिसकर्मियों और एक कस्टम अधिकारी एसएन थापा को रिश्वत देकर उतरवाया था। इस मामले में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने पांचो पुलिसकर्मियों और थापा को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।
मुंबई पुलिस का ध्येय वाक्य है सदरक्षणाय, खल निग्रहणाय यानी अच्छों की रक्षा और बुराई का खात्मा... लेकिन पुलिस वाले जब खुद ही गुनहगारों के कंध से कंधा मिलाकर चलते नजर आयें तो ये ध्येय वाक्य किसी मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है।
एसीपी प्रकाश वाणी की वर्दी रहेगी या जायेगी ये उस जांच की रिपोर्ट के बाद तय होगा जो कि मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच कर रही है। वाणी पर 25 दिसंबर को चेंबूर के एक क्लब में छोटा राजन के गुर्गे डी.के राव और फरीद तनाशा जैसे गु्र्गों के साथ शराब पीकर नाचने का आरोप है। वैसे अंडरवर्लड के साथ रिश्तों को लेकर वाणी पर लगा ये कोई पहला आरोप नहीं है। 1998 में मुंबई के त्तकालीन पुलिस कमिश्नर रोनी मेंडोंसा ने भी अंडरवर्लड से वाणी के रिश्तों की शिकायत मिलने पर उनका तबादला मुंबई के बाहर करवा दिया था। उस वक्त इंस्पेक्टर रैंक के वाणी के तबादले का आदेश तो आ गया ,लेकिन वाणी राजनीतिक दबाव डलवा कर संयुक्त राष्ट्र के मिशन के लिये कोसोवो चले गये। जब वाणी की वापसी हुई तो उनपर लगे आरोपो को नजरअंदाज करते हुए उन्हें एसीपी बना दिया गया।
गौर करने वाली बात है कि क्राईम ब्रांच सिर्फ इस बात की जांच कर रही है कि एसीपी प्रकाश वाणी उस पार्टी में थे या नहीं। ये जांच कई अहम सवालों को नजरअंदाज कर रही है जैसे कि एसीपी प्रकाश वाणी के छोटा राजन गिरोह से रिश्ते किस तरह के रहे हैं। गिरोह के लिये उसने क्या क्या काम किये..गिरोह के कितने दुश्मनों को फर्जी मामलों में फंसाया...गिरोह के कितने शूटरों के मामले कमजोर करवाये और इसके एवज में छोटा राजन का गिरोह प्रकाश वाणी को कितने पैसे देता था। वैसे राजन ही नहीं डॉन दाऊद इब्राहिम ने भी कई पुलिसकर्मियों को अपना पालतू बना रखा था और उनका खूब इस्तेमाल भी किया।
दाऊद इब्राहिम ने पैसों के दम पर मुंबई पुलिस के हथियारखाने में काम करने वाले एक कांस्टेबल राजेश इगवे उर्फ राजू को अपने गिरोह में शामिल कर लिया था। इगवे को एके-47 जैसे हथियार चलाने आते थे। दाऊद ने इगवे का इस्तेमाल न केवल अपने शूटरों को संजय गांधी नेशनल पार्क में ट्रेनिंग देने के लिये करता था, बल्कि उसे एक मिशन भी सौंप रखा था। ये मिशन था शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर एम एन सिंह और ज्वाइंट कमिश्नर की हत्या का... पर इससे पहले कि इगवे अपने मिशन में कामियाब हो पाता 17 नवंबर 1995 को पुलिस के साथ हुई मुठभेड में वो मारा गया। 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए बम धमाकों के लिये भी आरडीएक्स भी दाऊद गिरोह ने 5 पुलिसकर्मियों और एक कस्टम अधिकारी एसएन थापा को रिश्वत देकर उतरवाया था। इस मामले में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने पांचो पुलिसकर्मियों और थापा को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।
मुंबई पुलिस का ध्येय वाक्य है सदरक्षणाय, खल निग्रहणाय यानी अच्छों की रक्षा और बुराई का खात्मा... लेकिन पुलिस वाले जब खुद ही गुनहगारों के कंध से कंधा मिलाकर चलते नजर आयें तो ये ध्येय वाक्य किसी मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है।
Comments
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विश्व का सबसे शक्तिशली सुपर कम्प्यूटर।
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।
अच्छी पोस्ट लिखी है।बधाई।