मुंबई में अब कोई नहीं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी के बाद अब मुंबई पुलिस में कोई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर नहीं बचा है। मुंबई पुलिस को अपने जिन एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पर कभी फख्र हुआ करता था वही आज उसकी बदनामी के सबसे बडे कारण बने हैं। शर्मा के अलावा हर एनकाउंटर स्पेशलिसट अफसर किसी न किसी आपराधिक मामले में फंसकर फर्स से बाहर हो गया।
विजय सालस्कर: 26-11-2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए विजय सालस्कर ही एकमात्र ऐसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर थे जिनके खिलाफ उनकी मौत के वक्त कोई बडा आपराधिक मामला नहीं चल रहा था। फर्जी एनकाउंटरों के आरोप सालस्कर पर भी लगे थे, लेकिन गिरफ्तारी की नौबत कभी नहीं आई थी....लेकिन बाकी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इतने खुशनसीब नहीं निकले।
दया नायक: विजय सालस्कर और प्रदीप शर्मा के बाद एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पुलिसवालों की नस्ल में सबसे बडा नाम था दया नायक। साल 2005 में नायक और उनके 2 दोस्तों को आय से ज्यादा संपत्ति रखने का मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद से करीब 80 एनकाउंटर करने वाले दया नायक फिलहाल स्सपेंड कर दिये गये।
एसीबी ने नायक को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दायर नहीं की। महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी एस.एस.विर्क भी अपने रिटायरमेंट से पहले नायक को क्लीन चिट दे गये। नायक की बहाली होनी अभी बाकी है और उनके खिलाफ अब एक विभागीय जांच भी की
सचिन वाजे: दया नायक के अलावा प्रदीप शर्मा के दूसरे खास साथी थे सचिन वाजे। साल 2004 में सीआईडी ने सचिन वाजे को इस आरोप में गिरफ्तार कर लिया कि उन्होने हिरासत में बाकी पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर घाटकोपर बमकांड के आरोपी ख्वाजा यूनुस की हत्या की साजिश रची और अपने गुनाह को छुपाने के लिये यूनुस के हिरासत से फरार होने की झूठी कहानी बनाई। ये मामला अब भी अदालत में चल रहा है।सस्पेंड होने के बाद सचिन वाजे ने पुलिस सेवा छोडने का ऐलान किया और वे अब शिवसेना से जुड गये हैं।
रवींद्र आंग्रे: एनकाउंटर स्पेशलिस्टों में एक और बडा नाम है रवींद्र आंग्रे का। आंग्रे ने मुंबई और ठाणे में कई मंचेकर गिरोह, चोटा राजन के गिरोह और अमर नाईक के गिरोह के कई बडे शूटरों कोएनकाउंटर में मारा। आंग्रे ठाणे पुलिस के सबसे तेज तर्रार पुलिस अधिकारी माने जाते थे, लेकिन साल 2007 में एक बिल्डर ने उनके खिलाफ धमाकाने और जबरन उगाही की शिकायत दर्ज कराई। बिल्डर की शिकायत पर आंग्रे को गिरफ्तार कर लिया गया। आंग्रे को करीब सालभर का वक्त जेल की सलाखों के पीछे गुजारना पडा। आंग्रे रिहा तो हो गये हैं, लेकिन उनका खिलाफ दर्जे आपराधिक मामला अब भी अदालत में चल रहा है और ये तय नहीं कि वे फिर से पुलिस महकमें में लौट पायेंगे या नहीं
चाहे वो प्रदीप शर्मा हों, दया नायक हो, सचिन वाजे हा या फिर रवींद्र आंग्रे.. ..इन सभी अफसरों ने मिलकर पिछले 20 सालों में करीब 500 कथित गैंगस्टरों को यमलोक पहुंचाया और करीब 3 बजार आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजा...लेकिन जानकारों का मानना है कि अंडरवर्लड से लडाई लडते लडते ये अपनी मर्यादाएं भूल गये और यही इनके मौजूदा हश्र का कारण है।
इन अफसरों ने अंडरवर्लड के खिलाफ लडाई लड कर अपनी पहचान बनाई थी...लेकिन अब मुंबई पुलिस की प्राथमिकता अंडरवर्लड नहीं बल्कि आतंकवाद है। इसी वजह से आला पुलिस अफसरों की नजर में इन एनकाउंटर स्पेशलिस्टों की अहमियत भी कम हुई है।
विजय सालस्कर: 26-11-2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए विजय सालस्कर ही एकमात्र ऐसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर थे जिनके खिलाफ उनकी मौत के वक्त कोई बडा आपराधिक मामला नहीं चल रहा था। फर्जी एनकाउंटरों के आरोप सालस्कर पर भी लगे थे, लेकिन गिरफ्तारी की नौबत कभी नहीं आई थी....लेकिन बाकी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इतने खुशनसीब नहीं निकले।
दया नायक: विजय सालस्कर और प्रदीप शर्मा के बाद एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पुलिसवालों की नस्ल में सबसे बडा नाम था दया नायक। साल 2005 में नायक और उनके 2 दोस्तों को आय से ज्यादा संपत्ति रखने का मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद से करीब 80 एनकाउंटर करने वाले दया नायक फिलहाल स्सपेंड कर दिये गये।
एसीबी ने नायक को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दायर नहीं की। महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी एस.एस.विर्क भी अपने रिटायरमेंट से पहले नायक को क्लीन चिट दे गये। नायक की बहाली होनी अभी बाकी है और उनके खिलाफ अब एक विभागीय जांच भी की
सचिन वाजे: दया नायक के अलावा प्रदीप शर्मा के दूसरे खास साथी थे सचिन वाजे। साल 2004 में सीआईडी ने सचिन वाजे को इस आरोप में गिरफ्तार कर लिया कि उन्होने हिरासत में बाकी पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर घाटकोपर बमकांड के आरोपी ख्वाजा यूनुस की हत्या की साजिश रची और अपने गुनाह को छुपाने के लिये यूनुस के हिरासत से फरार होने की झूठी कहानी बनाई। ये मामला अब भी अदालत में चल रहा है।सस्पेंड होने के बाद सचिन वाजे ने पुलिस सेवा छोडने का ऐलान किया और वे अब शिवसेना से जुड गये हैं।
रवींद्र आंग्रे: एनकाउंटर स्पेशलिस्टों में एक और बडा नाम है रवींद्र आंग्रे का। आंग्रे ने मुंबई और ठाणे में कई मंचेकर गिरोह, चोटा राजन के गिरोह और अमर नाईक के गिरोह के कई बडे शूटरों कोएनकाउंटर में मारा। आंग्रे ठाणे पुलिस के सबसे तेज तर्रार पुलिस अधिकारी माने जाते थे, लेकिन साल 2007 में एक बिल्डर ने उनके खिलाफ धमाकाने और जबरन उगाही की शिकायत दर्ज कराई। बिल्डर की शिकायत पर आंग्रे को गिरफ्तार कर लिया गया। आंग्रे को करीब सालभर का वक्त जेल की सलाखों के पीछे गुजारना पडा। आंग्रे रिहा तो हो गये हैं, लेकिन उनका खिलाफ दर्जे आपराधिक मामला अब भी अदालत में चल रहा है और ये तय नहीं कि वे फिर से पुलिस महकमें में लौट पायेंगे या नहीं
चाहे वो प्रदीप शर्मा हों, दया नायक हो, सचिन वाजे हा या फिर रवींद्र आंग्रे.. ..इन सभी अफसरों ने मिलकर पिछले 20 सालों में करीब 500 कथित गैंगस्टरों को यमलोक पहुंचाया और करीब 3 बजार आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजा...लेकिन जानकारों का मानना है कि अंडरवर्लड से लडाई लडते लडते ये अपनी मर्यादाएं भूल गये और यही इनके मौजूदा हश्र का कारण है।
इन अफसरों ने अंडरवर्लड के खिलाफ लडाई लड कर अपनी पहचान बनाई थी...लेकिन अब मुंबई पुलिस की प्राथमिकता अंडरवर्लड नहीं बल्कि आतंकवाद है। इसी वजह से आला पुलिस अफसरों की नजर में इन एनकाउंटर स्पेशलिस्टों की अहमियत भी कम हुई है।
Comments
३ बजार आरोपियों की जगह ३ हजार कर लें..टंकण त्रुटि हो गई है लगता है.