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Showing posts from May, 2015

सफरनामा: श्रीलंका

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साल 2004 में CNN की पूर्व भारत ब्यूरो प्रमुख अनीता प्रताप की लिखी किताब Island of Blood पढी थी। अनीता ने 1983 में LTTE प्रमुख प्रभाकरन का सबसे पहला इंटरव्यू किया था। जाफना में प्रभाकरन तक पहुंचने की कहानी और श्रीलंका के गृहयुद्ध के इतिहास का उन्होने अपनी किताब में बडा ही दिलचस्प ब्यौरा दिया है। उस किताब को पढकर मैं भी प्रेरित हुआ था कि अपने पत्रकारिता के करियर में मैं भी कभी प्रभाकरन तक पहुंचूं और उससे अपने सवाल पूछूं। मुझे खुद देखना था कि किस जज्बें के साथ वो तमिलों को श्रीलंकाई सरकार से जंग के लिये तैयार करता है, किस तरह लोग उसके कहने पर अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं...पर वो तो सिर्फ एक ख्वाब ही रह गया। 2005 से हिंदी न्यूज चैनलों का सबसे घृणित दौर शुरू हुआ। गंभीर खबरों के बजाय नाग-नागिन, खली पहलवान, राखी सावंत के ड्रामें, उडनतश्तरी, राधा बन नाचने वाले डीआईजी, भूत-प्रेत, अश्लील एमएमएस, शाहिद-करीना लिपलॉक जैसी खबरें हिंदी न्यूज चैनलों पर हावी हो गईं। ऐसे में प्रभाकरन के बारे में कोई क्यों सोचता ? 2009 तक जब  हिंदी न्यूज चैनल अपने इस काले दौर से उबरे और गंभीर खबरों के पुरान

पगले के हाथ में परमाणु बम !

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एक बार ओशो ने विश्वयुद्ध पर बात करते हुए अपने प्रवचन में एक वाकया सुनाया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किसी ने मशहूर वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाईन से पूछा कि तीसरे विश्वयुद्ध के बारे में उनकी क्या भविष्यवाणी है। आइंस्टाईन ने जवाब दिया कि मैं तीसरे विश्वयुद्ध के बारे में कुछ नहीं कह सकता लेकिन चौथा विश्वयुद्ध कैसा होगा इसकी भविष्यवाणी मैं कर सकता हूं। फिर उस शख्स ने पूछा कि बताईये चौथा विश्वयुद्ध कैसा होगा ? इस पर आइंस्टाईन का जवाब था कि उनकी भविष्यवाणी है - विश्वयुद्ध होगा ही नहीं। तीसरा विश्वयुद्ध ही इतना विनाशकारी होगा कि चौथा विश्वयुद्ध लडने के लिये धरती पर इंसान ही नहीं बचेंगे। जाहिर है आइंस्टाईन का इशारा परमाणु युद्ध की ओर था जो कि हमारी दुनिया की गर्दन पर तलवार की तरह लटका है। इसी संदर्भ उत्तर कोरिया से आई खबर चिंताजनक है। उ त्तर कोरिया के शासक किम जों ग उन ने अपने रक्षा प्रमुख को सिर्फ इसलिये मिसाईल दाग कर मरवा दिया क्योंकि वो एक मीटिंग में सोता हुआ पाया गया। उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई, कोई न्यायिक प्रकिया नहीं चली...सीधे सजा-ए-मौत ! वो भी क्रूरतम तरीके से मौत ! बीवी के कहने पर

ऐसे ब्रेक हुई सलमान के हिट एंड रन की खबर !

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(तमाम उतार चढावों के बाद सलमान खान के हिट एंड रन का मुकदमा अब अपने अंजाम पर पहुंच रहा है। 28 सितंबर की सुबह मैने इस खबर को ब्रेक किया था। उस वक्त मैं “ आज तक ” न्यूज चैनल के लिये काम करता था। ये खबर मेरे टीवी पत्रकारिता के करियर की कुछ रोमांचक और यादगार कवरेजों में से एक है। पढिये 13 साल पहले कैसे ब्रेक हुई थी ये खबर।) 28 सितंबर की सुबह करीब 6 बजने वाले थे। मैं मुंबई के मसजिद बंदर इलाके में अपने नाना के घर पर सो रहा था। मोबाईल फोन की घंटी बजी। आंखें बिना पूरी खोले ही मैने कॉल रिसीव किया। दूसरी ओर एक पुराना सूत्र था – “ सो रहे हो क्या ? रात को सलमान ने बांद्रा हिल रोड पर अपनी गाडी ठोंक दी है। 4-5 लोगों को उडाया है। एक दो लोग मर भी गये लगता है। उसकी गाडी टोचन करके (टॉविंग वैन के जरिये) अभी बांद्रा पुलिस स्टेशन के बाहर लेके आ रहे हैं ” । खबर सुनते ही मैं उठ बैठा। तुरंत बांद्रा पुलिस थाने के एक परिचित अधिकारी को फोन किया। कई बार कोशिश करने पर भी उसने फोन नहीं उठाया। खबर की आधिकारिक पृष्टि करनी थी। मैने मुंबई पुलिस के कंट्रोल रूम को फोन किया। कंट्रोल रूम का फोन लगातार व्यस्

दाऊद के खिलाफ क्या सबूत है हमारे पास-टाडा अदालत की नजर में

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12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम खुद को भारत में सरेंडर करना चाहता था, ये बात सबसे पहले वरिष्ठ कानूनविद राम जेठमालनी ने बताई, जिन्हें फोन करके दाऊद ने अपनी मंशा जताई थी। उसी बात की तस्दीक दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार ने भी हिंदुस्तान टाईम्स को दिये इंटरव्यू में की है, हालांकि इंटरव्यू छपने के बाद मचे बवाल से अब वे अपने शब्दों से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। बहरहाल, मुंबई की विशेष टाडा अदालत की नजर में दाऊद इब्राहिम बम धामकों का सूत्रधार है और दाऊद की धमाकों में क्या भूमिका थी, इसका ब्यौरा टाडा कोर्ट के आदेश में मिलता। अगर कल को दाऊद भारत आ भी जाता है तो उसके खिलाफ इन्ही सबूतों के तहत कार्रवाई की जायेगी। टाडा अदालत ने अपने फैसले में पाया कि दाऊद इब्राहिम ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर भारत में आतंकवादी वारदात की आपराधिक साजिश रची , ताकि लोगों में दहशत पैदा हो , उनमे अलगाव हो , सांप्रदायिकता पनपने से शांति भंग हो और सरकारी तंत्र चरमरा जाये। ये साजिश दिसंबर 1992 से लेकर अप्रैल 1993 के बीच रची और अमल में लाई गई। साजिश को अंजाम देने