दाऊद के खिलाफ क्या सबूत है हमारे पास-टाडा अदालत की नजर में


12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम खुद को भारत में सरेंडर करना चाहता था, ये बात सबसे पहले वरिष्ठ कानूनविद राम जेठमालनी ने बताई, जिन्हें फोन करके दाऊद ने अपनी मंशा जताई थी। उसी बात की तस्दीक दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार ने भी हिंदुस्तान टाईम्स को दिये इंटरव्यू में की है, हालांकि इंटरव्यू छपने के बाद मचे बवाल से अब वे अपने शब्दों से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। बहरहाल, मुंबई की विशेष टाडा अदालत की नजर में दाऊद इब्राहिम बम धामकों का सूत्रधार है और दाऊद की धमाकों में क्या भूमिका थी, इसका ब्यौरा टाडा कोर्ट के आदेश में मिलता। अगर कल को दाऊद भारत आ भी जाता है तो उसके खिलाफ इन्ही सबूतों के तहत कार्रवाई की जायेगी।

टाडा अदालत ने अपने फैसले में पाया कि दाऊद इब्राहिम ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर भारत में आतंकवादी वारदात की आपराधिक साजिश रची, ताकि लोगों में दहशत पैदा हो, उनमे अलगाव हो, सांप्रदायिकता पनपने से शांति भंग हो और सरकारी तंत्र चरमरा जाये। ये साजिश दिसंबर 1992 से लेकर अप्रैल 1993 के बीच रची और अमल में लाई गई। साजिश को अंजाम देने के लिये 12 मार्च 1993 के दिन 13 बम विस्फोट कराये गये, जिनमें 257 लोगों की मौत हो गई, 713 लोग घायल हो गये और 27 करोड रूपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। ( ORDER PART-45, PAGE-3, POINT-3)

दाऊद की पूरी साजिश में भूमिका का खुलासा होता है 19 जनवरी 1993 को दुबई में हुई एक मीटिंग से। ये मीटिंग हुई थी दाऊद इब्राहिम, टाईगर मेमन और दाऊद फणसे उर्फ टकले के बीच। दाऊद टकला, टाईगर मेमन के लिये चांदी स्मगल करवाने का काम देखता था। पर चूंकि इस बार स्मगलिमग चांदी के बजाय RDX और हथियारों की करवानी थी इसलिये टाईगर ने टकले को दाऊद इब्राहिम से मिलवाना जरूरी समझा।

19 जनवरी की रात दाऊद टकला एयर इंडिया के विमान से दुबई पहुंचा। उसके वीसा और टिकट का इंतजाम टाईगर मेमन ने कराया था। एयरपोर्ट पर टाईगर ही उसे रिसीव करने आया। टाईगर उसे दुबई के होटल दिल्ली दरबार ले गया और एक कमरे में उसे ठहराया।
- इसके तीसरे दिन टाईगर शाम को 7-7.30 के करीब होटल आया और दाऊद टकला को अपने साथ चलने के लिये कहा। वो उसे एक टैक्सी में दाऊद इब्राहिम के बंगले पर ले गया। टकले को बाहरी कमरे में रूकने को कहकर वो बंगले के अंदरूनी कमरे में चला गया।
- कुछ देर बाद टाईगर, दाऊद इब्राहिम के साथ टकला के पास आया। चूंकि टकले ने अखबारों में दाऊद इब्राहिम की तस्वीरें देखीं थीं इसलिये वो तुरंत उसे पहचान गया।
- इस मीटिंग में तीनों के बीच कुछ ये बातचीत हुई-
दाऊद इब्राहिम (टकले से)- तुम किसके लिये काम करते हो।
टकला- जी ..टाईगर भाई के लिये।
दाऊद इब्राहिम- क्या तुम मेरे लिये काम करोगे
टकला- काम चांदी के कितने इंगोट्स (बिस्किट) का है
दाऊद इब्राहिम- चांदी का काम अभी बंद कर दिया है। केमिकल, बारूद और हथियार भेजना है।
(दांत पीसते हुए) अपनी बाबरी मसजिद शहीद हो गई है। उसका बदला लेना है।
(टाईगर से पूछते हुए) काम में कितना खर्चा आयेगा।
टाईगर मेमन- 9 से 10 पेटी (यानी 9-10 लाख रूपये)
दाऊद इब्राहिम (टकले से)- काम कराने के लिये तुम्हारे पास क्या इंतजाम है
टकला- जी भाई मच्छीमार ट्रालरों में अपने लोग हैं।
दाऊद इब्राहिम- ठीक है। मैं एक स्पीड बोट भेजूगा। तुम ट्रालरों का इंतजाम कर देना। खर्चे की बात टाईगर से कर लो।

इस बातचीत के बाद तीनों ने चाय पी। दाऊद अपनी मर्सीडीज कार से टाईगर के साथ टकले को दिल्ली दरबार होटल छोडने आया। अगले दिन टाईगर, टकले को दुबई हवाई अड्डे पर छोडने आया और 50 दिरहम उसके हाथ में थमाते हुए कहा कि दाऊद भाई की कही बातों का ध्यान रखे। (ORDER PART-10, PAGE-9, POINT-3)
टाडा अदालत में ये बात साबित हो गई कि टकले ने दाऊद इब्राहिम के निर्देशों पर अमल किया और मुंबई के करीब शेखाडी के समुद्र तट पर आरडीएक्स और हथियारों को उतरवाने में मदद की। दाऊद टकले की बढी हुई उम्र को देखते हुए अदालत ने उसे फांसीं के बजाय उम्रकैद की सजा दी।

मुकदमें के दौरान अदालत के सामने कई और भी सबूत सामने आये, जो इस साजिश में दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों की भूमिका पर से पर्दा उठाते हैं। बमकांड के 2 आरोपियों सलीम कुत्ता और इजाज पठान के इकबालिया बयानों को अदालत ने सच माना है।इन दोनो आरोपियों ने दुबई में साजिश के लिये होनेवाली मीटिंगों का ब्यौरा दिया है।

सलीम मीरां शेख उर्फ सलीम कुत्ता के बयान के मुताबिक मैं जब जनवरी 1993 के आखिरी हफ्ते में दुबई में था तो एक दिन मुस्तफा मजनू मुझे जुमैरा इलाके में दाऊद इब्राहिम के घर व्हाईट हाउस ले गया। वहां मैने दाऊद, छोटा शकील, सलीम तलवार, फिरोज, इजाज पठान, हाजी अहमद को आपस में बात करते देखा। वे लोग भारत और हिंदूओं के खिलाफ, बाबरी मसजिद और मुंबई दंगों के बारे में बात कर रहे थे। मैं वहां करीब घंटे भर तक था।दाऊद ने वहां भाषण दिया और कहा कि मुसलिमों ने हिंदुओं के हाथो काफी जुल्म सहे हैं क्योंकि दंगों में हिंदुओं के साथ पुलिस मिली हुई थी। मुसलिम महिलाओं को बेइज्जत किया गया। हमें बदला लेने के लिये तैयार रहना चाहिये। हिंदुओं को सबक सिखाने के लिये वो सभी को हथियारों की ट्रेनिग लेने के लिये पाकिस्तान भेजेगा ताकि हिंदुओं, बडे नेताओं और आला पुलिस अफसरों की हत्या की जा सके।
इसके बाद दाऊद ने मुस्तफा मजनू को सभी का पासपोर्ट लेने के लिये कहा ताकि उन्हें पाकिस्तान भेजने का इंतजाम किया जा सके, लेकिन मैने, फिरोज और कय्यूम ने ट्रेनिंग पर जाने से मना कर दिया
दाऊद के साथ हुई इस मीटिंग के 2-3 दिन बाद आरिफ लंबू, सय्यद कुरेशी, यूसूफ बाटला, अबू बकर और शोएब बाबा ट्रेनिंग लेने के लिये पाकिस्तान रवाना हो गये। मैने उन्हे विदा करने दुबई एयरपोर्ट गया था। (ORDER PART-10, PAGE-41, POINT-86)

इस मीटिंग से पहले दुबई में एक और मीटिंग हुई थी, जिसका ब्यौरा इजाज पठान नाम के आरोपी ने अपने इकबालिया बयान में दिया। पठान के मुताबिक मुंबई में दंगों के बाद दुबई में मुस्तफा दोसा के घर एक मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, मुस्तफा मजनू, यासीन कमजा, हैदर, सलीम तलवार, टाइगर मेमन और याकूब मौजूद थे। मीटिंग में मुंबई दंगों पर चर्चो हो रही थी। ये तय हुआ कि दंगों का बदला लेने के लिये कुछ किया जायेगा । आगे की कार्रवाई अगली मीटिंग में तय होगी, जिसका वक्त सभी को फोन पर इत्तला किया जायेगा। टाईगर मेमन भारत में हथियार भेजने की बात कर रहा था
इन बयानो को टाडा अदालत ने सबूत माना है और अगर कल को दाऊद की गिरफ्त में आने के बाद उसपर मुकदमा चलता है तो इनका इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा सकता है। अदालत ने पाया कि ये बयान दूसरे गवाहों के बयान और सबूतों से मेल खाते हैं। (ORDER PART-10, PAGE 41, POINT-87)

बहरहाल, ये बडा सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या दाऊद जीते जी कभी भारत आ पायेगा और यहां टाडा अदालत में उसके खिलाफ मुकदमा चल पायेगा? राष्टीरय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल साहब इस मामले में उम्मीद का चेहरा हैं।

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