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देवरानी-जेठानी की खटपट में लटक गया याकूब !

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किसी संयुक्त परिवार में अगर देवरानी जेठानी एक साथ रह रहीं हैं तो उनके बीच झगडा और मनमुटाव होना आम बात है। वे अक्सर अपने अपने पतियों से एक दूसरे की शिकायत करतीं हैं और कान भरतीं हैं...लेकिन देवरानी-जेठानी के बीच घर में अक्सर होने वाली ये छोटी मोटी खटपट किसी को फांसीं के फंदे तक भी पहुंचा सकती है, ये कहानी आपने आज तक नहीं सुनी होगी। 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बम धमाकों से पहले मुंबई के माहिम इलाके की अल हुसैनी इमारत में टाईगर मेमन अपने याकूब समेत अपने बाकी छोटे भाईयों और माता पिता के साथ एक ही घर में रहता था। जानकारी के मुताबिक टाईगर मेमन की पत्नी शबाना और याकूब मेमन की पत्नी राहीन में नहीं जमती थी और अक्सर उनमें खटपट होती रहती थी। मुंबई बमकांड की साजिश के तहत टाईगर मेमन ने याकूब मेमन समेत परिवार के सारे सदस्यों को भारत से भगा दिया।सभी लोग पहले दुबई गये, फिर सऊदी और उसके बाद पाकिस्तान। बताते हैं कि इस दौरान भी देवरानी-जेठानी के बीच कलह होती रहती थी। याकूब की पत्नी आये दिन टाईगर और उसकी पत्नी के बारे में याकूब से शिकायत करती रहती – “ तुम्हारे भाई के चक्कर में हमें ये दिन देखना

न्यूज चैनलों की बदलती भाषा और विषय चयन !

(हाल ही में मुंबई के मशहूर के.सी.कॉलेज की ओर से आयोजित किये गये एक परिसंवाद में मीडिया के बदलते स्वरूप पर बोलने का मौका मिला। पेश है परिसंवाद में व्यक्त किये गये विचार- मीडिया की भाषा और विषय चयन पर बोलने से पहले मैं एक मूलभूत बात स्पष्ट करना चाहूंगा कि भारत में जब दूरदर्शन और आकाशवाणी का एकाधिकार था तब देश के नागरिकों को संबोधित किया जाता था , उनके मद्देनजर सामग्री तय की जाती थी। नागरिक इस शब्द पर गौर कीजिये। नागरिक की जगह आज उपभोक्ता ने ले ली है। निजी न्यूज चैनलों की सामग्री बाजार के नियमों पर आधारित होती है। क्या दिखाना है , कितना दिखाना है , कैसे दिखाना है ये सबकुछ एक बाजार को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। पत्रकारिता को बाजारीय समीकरणों से प्रभावित होना चाहिये या नही , ये बहस का अलग विषय है...लेकिन वस्तुस्थिति यही है कि चाहे समाचार चैनल हों , खेल के चैनल हों या मनोरंजन चैनल हों सभी पर बाजार का प्रभाव है। अब पहले बात करते हैं चैनलों के विषय चयन की। जैसा कि मैने अभी कहा कि कौनसे विषय़ पर सामग्री दिखानी है ये बाजार तय करता है तो आप पूछेंगे कि टेलिविजन चैनलों का बाजार क्या