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Showing posts from July, 2013

मुंबई के डांस बार: कैसे थे? क्यों थे? और कैसे होंगे?

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मुंबई में अगर क्राईम रिपोर्टिंग करनी है तो डांस बारों को भी समझना जरूरी है। किसी वरिष्ठ पत्रकार की इस सलाह पर साल 1999 की एक रात मैं मध्य मुंबई के परेल इलाके में तितली नाम के एक डांस बार जा पहुंचा। न्यूज चैनल में तब नई नई नौकरी लगी थी इसलिये शक्ल पहचान लिये जाने का इतना डर नहीं था। बार में जाने से पहले मैने एक पनवाडी से सौ रूपये तुडवाकर दस रूपये के दस नोट ले लिये थे। बार में घुसने के लिये जैसे ही बाहर खडे गार्ड ने दरवाजा खोला, अंदर चल रहे फिल्म “ सत्या ” के गाने- “ सपनो में मिलती है ..” की आवाज बाहर सडक तक आने लगी। आवाज इतनी तेज थी कि लगा कान के पर्दे फट जायेंगे लेकिन कुछ पलों बाद ही असहजता खत्म हो गई। हॉल में कदम रखते ही टाई पहनकर आये एक वेटर ने मुझसे हाथ मिलाये और मुझे बैठने के लिये इशारा किया। उस वक्त रात के करीब 9 बजे थे और बार में कोई 15 लोग मौजूद होंगे। बार में हर ओर डिस्को लाईट्स लगाईं गईं थीं। बीच में डांस फ्लोर था और उसके तीनों ओर टेबल लगे थे, जिनपर बीयर और दूसरी शराबें पेश की जा रहीं थीं। डांस फ्लोर पर करीब 20 लडकियां मौजूद थीं जिन्होने चमकदार पोशाकें पहन रखीं थीं।

Intelligence Gathering in India: A Long Road.

“Intelligence people bluff a lot. They will say this will happen…that will happen…like August 15, the independence day is nearing so they will say that terrorist attack is likely at Gateway of India, Crawford market or at Bandra…they will target anywhere & every where. Government should insist from these intelligence agencies to deliver actionable intelligence. If you say that a terrorist attack is going to happen then tell us who are going to do it & where are they? Every time some attack happens, these agencies absolve themselves by saying- see we had already warned you.” These harsh words critical of Indian intelligence agencies are of Mr.Joginder Singh, ex chief of CBI which is India’s premier investigating agency. It was a “Meet the Press” program arranged by Press Club of Mumbai post triple blast in Mumbai in July. The words of this experienced old man point out the sorry state of intelligence gathering sphere which has facilitated terrorist elements to succeed eve

क्यों हिमालय बने हैवान? उत्तराखंड से लौटकर...

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केदारनाथ- वो जगह जहां हर आस्थावान, मूर्तिपूजक हिंदू अपनी जिंदगी में एक बार जरूर जाता है या जाने की ख्वाहिश रखता है। उत्तर भारत के गांवों में जब भी कोई बद्रीनाथ-केदारनाथ की यात्रा पर निकलता था तो लोग उसे बडा नसीबवाला मानते थे और पूरा गांव आकर उसे बधाईयां देता था। इस यात्रा से थक कर लौटने वाले का गांव के बाकी लोग पैर दबाते थे, ताकि तीर्थ का थोडा पुण्य उन्हें भी मिले। मेरे माता-पिता पिछले साल ही केदारनाथ आये थे और चाहते थे कि मैं भी एक बार यहां जरूर आऊं।  उनकी बात रखने के लिये मैने सोचा भी था कि कभी 4-6 दिन की छुट्टी लेकर मैं केदारनाथ हो आऊंगा, लेकिन उस ओर ऐसे हालातों में जाना होगा ऐसा अंदाजा मुझे कतई नहीं था...और वहां जाने वाले किसी को भी नहीं था। हो भी कैसे सकता था ? यहां मरने वाले या जिंदा बचकर निकलने वाले लोग तो केदारनाथ आस्था के आगोश में गये थे, मन्नतें मांगने गये थे, अपने और अपने परिवार के सुख, संपन्नता और सुरक्षा की मुरादों के साथ गये थे। किसी को क्या पता था कि यहां कुछ ऐसा होने वाला है जो उनसे उनका सबकुछ छीन लेगा। बतौर पत्रकार बीते 15 सालों में मैने कई कुदरती आपदाएं कवर की हैं