मुंबई के डांस बार: कैसे थे? क्यों थे? और कैसे होंगे?
मुंबई में अगर
क्राईम रिपोर्टिंग करनी है तो डांस बारों को भी समझना जरूरी है। किसी वरिष्ठ
पत्रकार की इस सलाह पर साल 1999 की एक रात मैं मध्य मुंबई के परेल इलाके में तितली
नाम के एक डांस बार जा पहुंचा। न्यूज चैनल में तब नई नई नौकरी लगी थी इसलिये शक्ल
पहचान लिये जाने का इतना डर नहीं था। बार में जाने से पहले मैने एक पनवाडी से सौ
रूपये तुडवाकर दस रूपये के दस नोट ले लिये थे। बार में घुसने के लिये जैसे ही बाहर
खडे गार्ड ने दरवाजा खोला, अंदर चल रहे फिल्म “सत्या” के गाने-
“सपनो में मिलती है..” की आवाज बाहर सडक तक आने लगी। आवाज इतनी तेज
थी कि लगा कान के पर्दे फट जायेंगे लेकिन कुछ पलों बाद ही असहजता खत्म हो गई। हॉल
में कदम रखते ही टाई पहनकर आये एक वेटर ने मुझसे हाथ मिलाये और मुझे बैठने के लिये
इशारा किया। उस वक्त रात के करीब 9 बजे थे और बार में कोई 15 लोग मौजूद होंगे। बार में हर ओर डिस्को लाईट्स लगाईं गईं थीं। बीच में
डांस फ्लोर था और उसके तीनों ओर टेबल लगे थे, जिनपर बीयर और दूसरी शराबें पेश की
जा रहीं थीं। डांस फ्लोर पर करीब 20 लडकियां मौजूद थीं जिन्होने चमकदार पोशाकें
पहन रखीं थीं। सभी के बाल खुले थे और उन्होने भारी मेकअप कर रखा था।जयादातर
लडकियों की उम्र 20 से 30 साल के बीच नजर आ रही थी।एक के बाद एक नये फिल्मी गाने बज
रहे थे और ये लडकियां हलके हलके उनपर थिरक रहीं थीं, अपनी कमर और सिर हिला रहीं
थीं। मैने गौर किया कि हर लडकी ने टेबल पर शराब की चुस्कियां ले रहे किसी न किसी
शख्स से आंखों आंखों में एक संबंध बना लिया था। कोई शख्स 10 रूपये की नोट 2
उंगलियों में फंसा कर उठाता और लडकी आकर उसे ले जाती। एक शख्स ने नोटों की माला
अपनी पंसदीदा डांसर को पहना दी। इसी बीच एक टेबल से 6 फुट लंबा भारी भरकम कदकाठी
का एक शख्स उठा और उसने पास वाले शख्स को जाकर तेज तमाचा जड दिया और कॉलर पकड कर
चिल्लाया- “बहन !@#
स्वीटी को नहीं बुलाने का...तेरे
को बोला न...मर्डर कर दूंगा साले तेरा...”
संगीत बंद हो गया और
पेमेंट काउंटर पर बैठा शख्स जिसे वेटर “अन्ना” कह रहे थे दौड कर आया- “जाने
दो भाऊ। पहिली बार ये इधर आयेला। लफ्डा मत करो...नही तो फालतू में पुलिस का मचमच
होएंगा।
अन्ना ने उस शख्स का
कॉलर छुडाया। पिटने वाला शख्स गुस्से में बार से बाहर निकल गया। संगीत फिर से शुरू
हुआ”।
मैं किसी बार डांसर
को बुलाकर उससे बात करना चाहता था, लेकिन हर बार डांसर पर कोई न कोई अपनी नजर फिट
कर चुका था। अगर किसी एक डांसर पर किसी ने रूपये लुटाने शुरू कर दिये हैं तो फिर
दूसरा कोई उस पर पैसे लुटाने से कतराता है। अभी जो झगडा हुआ था, उसकी वजह भी यही
थी कि बार में नये आये शख्स ने उस लडकी को नोट दिखाया था जिसपर भारी भरकम शख्स
पहले से ही पैसे लुटा रहा था। अगर मैं किसी लडकी को नोट दिखाकर बुलाता तो हो सकता
था कि उसका कोई आशिक मुझसे लडने आ जाता। कुछ देर तक गौर करने के बाद मैने पाया कि
कोने में पीछे की ओर खडी एक लडकी पर तब तक किसी का दिल नहीं आया था। वो काफी शर्मा
भी रही थी...शायद इस पेशे में नई थी। मैने जेब से 10 रूपये का नोट निकाला और
उंगलियों में फंसाकर उसकी ओर देखने लगा। लडकी की नजर जब मुझपर पडी तो वो नोट लेने
के लिये मेरे पास आई। उंगलियों से नोट लेकर जैसे
ही वो डांस फ्लोर पर वापस जाने के लिये मुडी,
मैने पूछा- “क्या नाम है?”
मेरे सवाल पर उसने
एक बार पेमेंट काउंटर पर बैठे अन्ना की ओर देखा और कहा –“पिंकी”।
मैं उससे और कुछ पूछ
पाता उससे पहले ही वो झटपट वापस डांस फ्लोर पर पहुंच गई और एकटक मेरी ओर देखने लगी।
मैने इस बार 10
रूपये के 2 नोट निकाले और उसे दिखाया। वो फिर नोट हासिल करने वापस मेरे टेबल पर
पहुंची।
...पर इससे पहले वो
नोटों को छू पाती मैने नोट वापस खींच लिये- “पहले बताओ कब से काम कर रही हो यहां पर?”।
“क्यों जानना चाहते हो?...शादी करने का है क्या
मेरे से?” उसने हंसते हुए मुझसे पूछा।
उसके अचानक इस सवाल
से मैं झेंप गया।
मैने 10 रूपये की उन
दोनो नोटों के साथ अपना विजिटिंग कार्ड रखा और उसे देते हुए कहा-
“मैं एक पत्रकार हूं। मुझे तुम लोगों की लाईफ के बारे
में, डांस बार के बिजनेस के बारे में जानकारी चाहिये इसलिये तुमसे बात करना है।कल
अगर हो सके तो मुझे फोन करना प्लीज”।
“ओके” कहकर वो फिर डांस फ्लोर पर चली गई।
मैने बिल अदा किया
और बार से निकल गया।
उस लडकी ने 2 दिनों
बाद मुझे फोन किया। पिंकी उसका असली नाम नहीं था।डांस
बार के व्यवसाय से जुडी उसने खुद भी कई सारी बातें बताईं और अपने से सीनियर
दूसरी बार डांसरों से भी मेरी बात करवाई।इन लडकियों
से बातचीत में डांस बारों की एक अलग ही दुनिया के बारे में पता चला। ऐसी दुनिया के
बारे में जहां बाहरी तौर पर चकाचौंध और रौनक नजर आती है, लेकिन ऊपरी परत के नीचे
बहुत कुछ छुपा है जो कि इस दुनिया की काली तस्वीर भी पेश करते हैं।
मुंबई में सबसे पहला
डांस बार 60 के दशक में मुंबई के नरीमन पॉइंट इलाके में एक सिंधी रईस ने शुरू किया
था। ये डांस बार जॉली मेकर-2 नाम की इमारत की
पहली मंजिल पर हुआ करता था। संयोग से इसी इमारत की पांचवी मंजिल पर 1999 में उस
न्यूज चैनल का दफ्तर भी हुआ करता था जहां उस वक्त मैं काम करता था। मुंबई के कई
अमीर अपनी शामें अक्सर यहां गुजारने आते थे। यहां आनेवाले कई ग्राहकों को इस
कारोबार में भारी मुनाफा दिखाई देने लगा और उन्होने खुद भी मुंबई के अलग अलग
इलाकों में डांस बार खोलने शुरू कर दिये। इस बीच नरीमन पॉइंट का ये पहला डांस बार
विवादों में फंस
गया। बार की एक डांसर पर उस वक्त मुंबई में दहशत मचाने वाले पठान गिरोह के एक
सदस्य का दिल आ गया, लेकिन उस डांसर को ये पठान पसंद नहीं था। गुस्से में पठान ने लडकी की हत्या कर दी।कुछ दिनों बाद ही ये
डांस बार तो बंद हो गया लेकिन शहर भर में तब तक सैकडों डांस बार उग आये। साल 2005 में डांस बारों पर पाबंदी लगने से पहले तक अकेले मुंबई
और आसपास 1250 डांस बार चल रहे थे, जिनमें 75 हजार लडकियां काम करतीं थीं और करीब 50 हजार पुरूष बतौर वेटर और खानसामा काम करते थे।
डांस बार खोलने वालों
में सबसे आगे रहे पारसी और कर्नाटक के बंटर समुदाय के लोग।शेट्टी, गौडा और पुजारी
जैसे उपनाम वाले लोग जो कि पहले मुंबई में सिर्फ उडिपी रेस्तरां चलाने के लिये
जाने जाते थे, अब डांसर बारों के कारोबार पर भी हावी हो गये।मंजीत सिंह सेठी और
मंजीत अबरोल जैसे पंजाबियों ने भी शहर में कई डांस बार खोले। बार में काम करने
वाले वेटर और खानसामें जहां महाराष्ट्र और कर्नाटक से आते थे तो वहीं डांस करने
वाली ज्यादातर लडकियां उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और बंगाल की होतीं थीं।
ज्यादातर लडकियां पढी लिखी नहीं होतीं थीं और गरीबी के कारण मजबूरी में ये काम कर
रहीं थीं...लेकिन कई ऐसी भी थीं जो कि भारी कमाई के लालच में अपनी मर्जी से चोरी
छुपे ये काम करतीं थीं। कई लडकियां शादीसुदा होने और कई बच्चों की मां होने के
बावजूद भी इस व्यवसाय में थीं और वो भी अपने परिवार वालों की सहमति से।
डांस बारों को मुंबई
के चरित्र में समाहित होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। जल्द ही भारत के दूसरे
हिस्सों से भी रईस मुंबई के डांस बारों का लुत्फ उठाने के लिये यहां पहुंचने लगे।
फिल्मों में इन डांस बारों के चित्रीकरण ने इनके प्रचार प्रसार में अहम भूमिका
निभाई। अस्सी के दशक में तो हर तीसरी-चौथी हिंदी फिल्म में डांस बारों का जिक्र
होता था। फिल्म इंकार का गीत मुंगडा तो जैसे मुंबई के डांस बारों का
थीम सॉंग बन गया। नब्बे के दशक में फिल्मकार मधुर भंडारकर ने अभिनेत्री तब्बू को
लेकर “चांदनी बार” नाम की फिल्म बनाई
कि किस तरह से एक लडकी बार डांसर बनती है और इस पेशे में आने के बाद उसकी जिंदगी
में क्या क्या होता है।
मुंबई के डांस बारों
में कईयों ने अपनी अलग पहचान बनाई। ग्रांट रोड का “तोपाज” बार मॉडल जैसी दिखने वाली खूबसबरत बार डांसरों के लिये मशहूर था। “तोपाज” वही डांस बार है जिसके बारे में कहा जाता है
कि यहां फर्जी स्टांप पेपर घोटाल के आरोपी अब्दुल करीम तेलगी ने एक रात में 93 लाख
रूपये एक बार डांसर पर न्यौछावर कर दिये। इस बार में 90 के दशक में एक और मजेदार
वाकया हुआ था जब वेंकटेशन नाम के इलाके के एक डीसीपी ने अचनाक यहां छापा मारा था।
वेंकटेशन ने जब पाया कि बार में इलाके के 2 पार्षद बैठ कर नाच देख रहे हैं तो
उन्होने बार डांसरों को हटा कर उनकी जगह दोनों पार्षदों को नचवाया और बार डांसरों
को पार्षदों की जगह पर बिठा कर उनका नाच दिखवाया। “तोपाज” की तरह ही सनसाईन नाम का बार भी अपनी खूबसबरत डांसरों के लिये मशहूर हुआ
करता था। दादर का “बे वॉच बार” और “करिश्मा बार” इस व्यवसाय में नये चेहरों को लाने के लिये
जाने जाते थे। कोलाबा का “ब्लू नाईल” नाम का बार
स्ट्रिप टीज के लिये बदनाम था जहां डांस फ्लोर पर नाचने वाली लडकियां एक एक कर
अपने शरीर से सारे कपडे निकाल कर फैंक देतीं और और आखिर में पूरी तरह से नग्न होकर
डांस करतीं। इस बार में घुसने के लिये एंट्री फीस लगती थी और इसके ज्यादातर ग्राहक
दूसरे देशों से आये जहाजों पर काम करने वाले नाविक होते थे। यहां पोल डांस और
कैबरे भी होता था।
डांस
बारों की तरह ही कई बार डांसर भी चर्चित हुईं। साल 2005 में तरन्नुम खान नाम की एक
बार डांसर खूब चर्चा में रही। जूहू इलाके के दीपा बार में नाचने वाली तरन्नुम को
करोडपति बार गर्ल के तौर पर जाना जाता है। “दीपा
बार” के ग्राहकों में मुंबई के रईसजादों के
अलावा देसी-विदेशी क्रिकेटरों का भी शुमार था। यहां नाचकर तरन्नुम ने इतनी कमाई कर
ली थी कि उसने वर्सोवा इलाके में एक दुमंजिला बंगला खरीद लिया। एक दिन उसके घर
आयकर विभाग ने छापा मारा और बडी तादाद में नकदी तो बरामद की है लेकिन साथ ही कुछ
ऐसी सामग्री भी आयकर अफसरों को मिली जिनसे शक हो रहा था कि वो सट्टेबाजी के
कारोबार से जुडी है। आयकर विभाग ने इसकी जानकारी मुंबई पुलिस की क्राईंम ब्रांच को
दे दी। क्राईम ब्रांच ने अपनी जांच में पाया कि तरन्नुम के संबंध कई बुकियों के
साथ तो थे ही एक श्रीलंकाई क्रिकेटर के साथ भी उसकी काफी करीबी थी। पुलिस ने उसे
और उसके साथी बुकियों को गिरफ्तार कर लिया। तरन्नुम फिलहाल जमानत पर बाहर है। “दीपा बार” का मालिक अब एक मराठी न्यूज चैनल
चलाता है।
डांस बार 3 दशकों
में ही एक संगठित उद्योग बन चुका था, जिसमें कि काला और सफेद दोनो तरह का पैसा आ
रहा था। डांस बारों में शराब और खाने पीने से होने वाली कमाई से ज्यादा अहमियत
होती थी बार बालाओं पर लुटाये जाने वाले रूपयों की कमाई की। हर बार डांसर अपनी
कमाई का 40 से 60 फीसदी हिस्सा उस बार मालिक को देती थी जिसके बार में वो नाचती
थी। इसलिये हर बार मालिक अपने यहां ऐसी ही डांसरों को रखना चाहता था जो कि खूबसूरत
दिखे और जिसपर ज्यादा पैसे लुटाये जाते हों। एक ठीकठाक चलने वाला डांस बार एक रात
में एक से डेढ लाख रूपये की औसत कमाई कर लेता था। इन बारों से सरकार को आबकारी
लाईसेंस, मनोरंजन लाईसेंस, पुलिस लाईसेंस, बीएमसी लाईसेंस, सेल्स टैक्स, सर्विस
टैक्स वगैरह के माध्यम से भारी राजस्व भी मिलता था। इसके अलावा पुलिस, बीएमसी और
आबकारी विभाग के अधिकारियों की इनसे ऊपरी कमाई भी होती थी। कारोबार में कोई तकलीफ
न हो इसलिये हर बार मालिक इन महकमों के लोगों की जेबें गर्म करके उन्हें खुश रखता
था। कई बार अगर किसी की डिमांड आई तो कोई खास बार डांसर रात रंगीन करने के लिये भी
उनके पास भेज दी जातीं थीं।
जिस भी कारोबार में
बडे पैमाने पर पैसे का लेनदेन होता है वहां अंडरवर्लड की नजर भी आसानी से पडती है।
डांस बार के कारोबार के साथ भी ऐसा ही हुआ। डांस बार वालों के साथ अंडरवर्लड के दो
तरह के रिश्ते थे। पहला रिश्ता था जबरन वसूली का। बार मालिकों को डरा धमका कर उनसे
वसूली की जाती थी। अगर पैसे नहीं मिलते तो बार मालिक की हत्या कर दी जाती। 90 के
दशक में अरूण गवली और अश्विन नाईक गिरोह के शूटरों ने ऐसे करीब दर्जनभर बार
मालिकों की हत्या कर दी। अंडरवर्लड का डांस बारों के साथ दूसरा रिश्ता था
पार्टनरशिप का। कई गैंगस्टर अपनी काली कमाई ऐसे डांस बारों में बतौर पार्टनर लगाते
थे। मुंबई पुलिस के कई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अधिकारियों और कई राजनेताओं ने भी तमाम
डांस बारों में अपने पैसे लगा रखे थे। खबरें यहां तक भी आईं कि यूपी के कई दबंग
राजनेताओं ने मुंबई के डांस बारों में भारी निवेश किया।
डांस बार
पुलिस के लिये ऊपरी कमाई का जरिया तो थे ही साथ साथ इनके मार्फत पुलिस को अक्सर
खुफिया जानकारी भी मिलती थी। गैंगस्टर अपनी काली कमाई अक्सर किसी खास डांस बार में
उडाते थे। पुलिस ऐसे बारों के वेटरों और डांसरों को अपना मुखबिर बना लेती और उनसे
गैंगस्टरों की हरकतों के बारे में जानकारी लेती। बताते हैं कि अंडरवर्लड डॉन अमर
नाईक जिसने 90 के दशक में मुंबई को खौफजदा कर रखा था उसकी जानकारी मुंबई पुलिस के
दिवंगत एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर विजय सालस्कर को एक डांस बार से ही मिली
थी। सालस्कर ने अमर नाईक को एनकाउंटर में मार कर उसके गिरोह की कमर तोड दी थी।
जब 2005
में डांस बारों पर महाराष्ट्र सरकार ने पाबंदी लगाई तो दलील दी गई कि डांस बारों
की वजह से समाज में अनैतिक माहौल पैदा हो रहा था। पुरूष अपनी आय का बडा हिस्सा घर
पर खर्च करने के बजाय डांस बारों में उडा रहे थे, डांस बारों में पैसे उडाने की
चाहत युवाओं को अपराध की ओर ढकेल रही थी, देर रात डांस बार से टुन्न होकर निकलने
वाले लोग कानून व्यवस्था भंग कर रहे थे, कई डांस बार पिक अप पॉइंट के तौर पर काम
कर रहे थे जहां से कॉल गर्लस् की सप्लाई होती थी वगैरह। हकीकत ये थी कि पाबंदी के
बावजूद मुंबई में चोरी छुपे कई डांस बार चल रहे थे। एबीपी न्यूज ने अपने ऑपरेशन
डांस बार में पिछले साल खुलासा किया था किस तरह से डांस बार पुलिस की नाक के नीचे
और पुलिस की मिलीभगत से चल रहे थे।
पाबंदी
के बाद कई बार मालिकों ने अपने डांस बार या तो बेच दिये या फिर वहां फैमिली
रेस्तरां वगैरह शुरू कर दिया। बारों में नाचनेवाली कई लडकियां वापस अपने
अपने शहरों को लौट गईं, कई वेश्यवृत्ति में चली गईं, कईयों को दुबई और शारजाह जैसे
खाडी के शहरों में काम मिल गया और कई डांस बारों का विकल्प बनकर उभरे ऑरकेस्ट्रा
बारों में वेट्रेस का काम करने लगीं। सुप्रीम कोर्ट से पाबंदी हटने के बाद अब फिर
से एक बार मुंबई में डांस बार खुलेंगे लेकिन ये जानना दिलचस्प होगा कि क्या इन की
तस्वीर पहले जैसे ही होगी। जब डांस बार बंद हुए तब तक फेसबुक और ट्विटर भारतीय
समाज में इतनी जगह नहीं बना पाये थे, लेकिन अब ताज्जुब न मानें अगर आपको डांस
बारों के फेसबुक प्रोफाईल देखने मिल जायें, डांस बारों के वेब पेज बनने लगें और
बार मालिक फेसबुक और ट्विटर के जरिये अपने यहां नाचनेवाली डांसरों की नुमाइश करें।
Comments
but vapas nahi khulana chahiye..