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Showing posts from November, 2013

"द सीज "- 26/11 के 10 सच।

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26 नवंबर 2008 को मुंबई में जो आतंकी हमला हुआ था, उसे 5 साल पूरे हो रहे हैं। इन 5 सालों में उस हमले को लेकर तमाम किताबें लिखीं गईं, कई डॉक्यूमेंट्रिज बनाईं गईं, जांच रिपोर्ट्स वगैरह तैयार की गईं, लेकिन वो हमला इतना बडा था कि उससे जुडी तमाम बातों का अब तक पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाया है। यही वजह है कि हमले के 5 साल बाद भी उसे लेकर नई बातें सामने आ रहीं हैं, नये खुलासे हो रहे हैं। इसी कडी में 2 अंग्रेजी पत्रकारों की एक किताब सामने आई है- द सीज। इस किताब को पढने के बाद कम से कम 10 ऐसे सच सामने आते हैं, जिनका या तो अब तक खुलासा नहीं हुआ था या जिनपर ज्यादा गौर नहीं किया गया। अद्रीयान लेवी और कैथी स्कॉट क्लार्क नाम के दो अंग्रेजी पत्रकरों की ओर से लिखी गई ये किताब उन लोगों के बयान पर आधारित है जो 26-11 के हमले के दौरान ताज होटल में फंसे थे। पत्रकारों ने आतंकियों से लोहा लेने वाले पुलिसकर्मियों और एनएसजी कमांडोज से भी बातचीत की। दोनो पाकिस्तान में उन सभी आतंकियों के घर भी पहुंचे जो मुंबई हमले में शामिल थे।किताब में अमेरिकी खुफिया अधिकारियों से मिली जानकारी भी शामिल की गई। इस पूरी कसर

डाईबिटीज: 200 साल जीने का वरदान !!!

“ बधाई हो। अब तुम 200 साल जी सकते हो ” । ये प्रतिक्रिया थी मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और मेरे मित्र डी.शिवानंदन की जब उन्हें ये पता चला कि मैं भी डाईबिटिक हूं। उनके लफ्ज सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ और लगा कि शायद वो कोई व्यंग कर रहे हैं। जो डाईबिटीज आज दुनिया के तमाम शहरी इलाकों में हौवा बन चुकी है और जिसे लोग साईलेंट किलर मानते हैं उसके होने से किसी की उम्र कैसे बढ सकती है ? शिवानंदन ने बात को स्पष्ट किया। उनका कहना था कि डाईबिटिज होने के बाद इंसान को अपनी जिंदगी में जिस अनुशासन की जरूरत पडती है अगर उस पर सख्ती से अमल किया जाये तो इंसान की उम्र और बढ सकती है। डाईबिटीज से होने वाले नुकसान को तो रोका ही जा सकता है उम्र के साथ आनेवाली दूसरी बीमारियों से भी बचा जा सकता है। करीब सालभर पहले ही डाईबिटिज ने मुझे अपनी गिरफ्त में लिया है। चूंकि मेरे माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, वगैरह तमाम रक्त संबंध ी भी डाईबिटिक हैं तो मैं भी मानसिक तौर पर तैयार था कि एक न एक दिन मुझे भी डाईबिट ीज होना ही है...लेकिन डाईबिट ी ज इतनी जल्दी हो जायेगी इसका अंदाजा न था...लगा था और 8-10 साल बाद होगी। मेरी तर

'साहेब' का अधूरा ख्वाब: महाराष्ट्र के बाहर शिवसेना।

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इस महीने शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के निधन की पहली बरषी है। जाने से पहले 86 साल के ठाकरे का एक सपना तो पूरा हो गया कि महाराष्ट्र के विधान भवन पर भगवा लहराये। 1995 में उनकी पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर एक बार सत्ता में आ पायी। 80 के दशक में हिंदुत्व का मुद्दा अपनाने के बाद बालासाहब को उम्मीद थी कि पार्टी महाराष्ट्र के बाहर भी अपने पैर पसारेगी और एक राष्ट्रीय पार्टी की शक्ल ले लेगी, लेकिन इस दिशा में कदम अधूरे मन से उठाये गये नजर आते हैं। शिवसेना की ओर से हिंदुत्व का मुद्दा अपनाने और बालासाहब की निजी छवि ने महाराष्ट्र के बाहर भी खासकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में कई युवाओं को आकर्षित किया। शिवसेना ने भी इस बात को प्रदर्शित किया कि वो गैर मराठियों के लिये खुली है और इसी के मद्देनजर साल 1993 में दोपहर का सामना नामक हिंदी सांध्यदैनिक निकाला और 1996 में मुंबई के अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स में उत्तर भारतीय महासम्मेलन का आयोजन किया। अगर महाराष्ट्र के बाहर किसी राज्य में शिवसेना को अधिकतम कामियाबी मिली तो वो राज्य था उत्तर प्रदेश, जहां पार्टी ने 1991 के चुनाव

'Saheb's Unfulfilled Dream: Shiv Sena Outside Maharashtra.

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This month will see the first death anniversary of Shiv Sena supremo Balasaheb Thackeray.  Before departing at the age of 86 years, he had seen at least one of his dreams fulfilled-saffron flag at Maharashtra ’s legislative assembly. Shiv Sena managed to attain power once in 199 5 by winning assembly elections in partnership with BJP. After adopting the ideology of Hindutwa in the decade of 80s Bal Thackeray also hoped to see his party spreading out of Maharashtra and eventually becoming a national party, but the efforts in this direction were half hearted. Shiv Sena’s adoption of Hindutwa ideology & Bal Thackeray’s personal charisma appealed to numerous youngsters outside Maharashtra, especially in Hindi speaking states like Uttar Pradesh, Delhi , Rajasthan & Jammu & Kashmir. Shiv Sena also displayed it openness for non Maharashtrians by launching a Hindi newspaper “Dopahar Ka Saamana” in 1993 and organizing “Uttar Bhartiya Mahasammelan” at Mumbai’s Andheri S