कबाब में हड्डी: मुंबई में लवर्स पोईंट्स का हाल
मुंबई एक बहुत बडा शहर भले ही हो लेकिन कुछ लोगों की नजर में ये शहर बहुत छोटा है। ये लोग हैं कपल्स यानी युवा प्रेमी जोडे जो एक दूसरे के साथ वक्त बिताने के लिये तनहाई चाहते हैं। तनहाई या प्राईवेसी की तलाश में ऐसे कपल्स निकल पडते हैं शहर के कुछ ऐसे ठिकानों की ओर जो लवर्स पॉइंट के नाम से जाने जाते हैं..लेकिन क्या वहां भी उन्हें तनहाई मिल पाती है या फिर वहां भी मिल जाती है कबाब में हड्डी, इसकी पडताल के लिये निकली हमारे 4 सवाददाताओं की टीम।
बांद्रा
मुंबई का एक फश्चिमी उपनगर है बांद्रा। समुद्र किनारे बसे इस उपनगर में भी कुछ ऐसे ठिकाने भी हैं जहां युवा जोडे प्यार के 2 पल बिताने आते हैं..लेकिन क्या ये पल मिल पाते हैं उन्हें ये जानने की कोशिश की हमारे संवाददाता गणेश ठाकुऱ और प्रमाली कापसे ने जो कि एक प्रेमी जोडे की शक्ल में यहां पहुंचे।
गणेश और प्रणाली पहुंचे बैंड स्टैंड। समुद्र किनारे एक टीले पर मौजूद ये लवर्स पॉइंट प्रेमी जोडों के लिये बडा ही रोमांटिक समां बनाती है। मानसून में कई बार यहां प्यार के आगोश में डूबे कपल्स को लहरें भी निगल लेतीं हैं.. फिर भी तनहाई की चाहत में प्यार करने वाले इस खतरे को नजरअंदाज कर बडी तादाद में यहां पहुंचते हैं। गणेश और प्रणाली अभी यहां बैठे ही थे कि भिनभिनाती हुई मक्खियों की तरह उनकी प्राईवेसी छीननेवाले भी यहां पहुंचने लगे। सबसे पहले आया एक हिजडा:
गणेश- क्या चाहिये,
हिजडा-पैसा चाहिये..और क्या
गणेश- क्या यहां बैठने का पैसा लगता है क्या?
हिजडा- नया आया है क्या?
गणेश ने पैसे नहीं दिये। हिजडा गणेश को घूरकर चला गया, लेकिन उससे पीछा छूटा ही था कि एक और हिजडा यहां आ धमका और पैसे ऐंठने के लिये इनके पीछे ही पड गया। देखिये किस तरह से ये कभी गणेश के सिर पर हाथ फिराकर तो कभी उसके गाल नोंचकर पैसे मांग रहा है... आखिर उसे दफा करने के लिये गणेश को 11 रूपये ढीले करने ही पडे। हिजडे तो चले गये लेकिन कपल्स को तंग वाले और भी थे। कई भिखारी आपस में गुफ्तगू कर रहे कपल्स को तंग कर रहे थे। बातचीत में खल न पडे इसलिये इन्हें भी पैसे देना जरूरी था।
बैंड स्टैड की हकीकत तो हमने जान ली। भले ही ये लवर्स पॉइंट हो लेकिन लवर्स के लिये यहां दिक्कतें कईं हैं। गणेश और प्रणाली अब बैंड स्टैंड से कुछ ही फासले पर आ पहुंचे बांद्रा रिक्लेमेशन।
बैंड स्टैंड की तरह ही बांद्रा रिक्लेमेशन भी समुद्र किनारे ही है और रोमांस की चाह रखने वाले जोडे यहां भी बडी तादाद में पहुंचते हैं। ये जगह भी लवर्स पॉइंट के तौर पर मशहूर है..लेकिन ये क्या..यहां भी लगी है प्यार पर बंदिश...यहां एक वॉचमैन आ पहुंचा दिसका कहना था कि अब यहां कपल्स के बैठने की इजाजत नहीं है...ये गणेश और प्रणाली को यहां से भगाने लगा..
पीटीसी- तो ये था मुंबई के 2 लवर्स स्पॉट बांद्रा रिक्लेमेशन और बांद्रा बैंड स्टैंड का हाल लेकिन इनके अलावा भी मुंबई में कई और लवर स्पॉट्स हैं जहां युवा जोडे तनहाई की खोज में आते हैं। मध्य मुंबई के लवर्स स्पॉट्स पर क्या होता है इसकी पडताल की योगेश पांडे और प्रमाली कापसे के पास जो एक प्रेमी जोडे की शक्ल में वहां पहुंचे। हैं।
फाईव गार्डन-
मध्य मुंबई के माटुंगा इलाके का फाईव गार्डन। इस जगह का नाम ऐसा इसलिये पडा है क्योंकि यहां एक दूसरे के बगल में 5 बागीचे हैं। सुबह के वक्त इस जगह पर मॉर्निंग वॉक करते हर उम्र के लोग नजर आते हैं और दोपहर बाद से युवा जोडे।हमारे दोनो संवादादाता भी किसी प्रेमी जोडे की तरह फाईव गार्डन में एक बेंच पर जाकर साथ साथ बैठ गये। कुछ देर तक तो कोई उनके पास नहीं फटका लेकिन जैसे चीनी को सूंघ चींटियां उस तक पहुंचने लगतीं हैं इस जोडे की तनहाई छीनने वाले भी उन तक पहुंचने लगे...सबसे पहले छापा पडा हिजडों का। ये हिजडे गार्डन में बैठे हर कपल से वसूली कर रहे थे। एक हिजडा योगेश और स्वाती के पास आ धमका और जब योगेश ने उसे पैसे दिये तब ही वो उस जगह से हटा। हिजडों से तो जान छूटी लेकिन इनके तनहा पलों में खलल डालने कई और भी थे। एक बुजुर्ग शख्स की हरकतें देखने लायक थीं। लगता था ये हर रोज मुफ्त की फिल्म देखने ही इस गार्डन में आते हैं और प्रेमी युगलों के तनहा पलों का बढिया व्यू मिल सके इसके लिये भरपूर कोशिश भी करते हैं....ये प्रेमी यूगलों को अपनी निगाहों से इस कदर घूरे जा रहे थे कि आखिर स्वाती को उन्हें डांटना ही पडा।स्वाती की डांट खाकर ये शख्स तो यहां से खिसक लिया लेकिन इस गार्डन में आंखें सेंकने के लिये आनेवाले कई और भी थे। सिगरेट का घुआं उडाते कुछ युवक इस गार्डन में सिर्फ कपल्स को देखकर मजा लेने आये थे। बेचारे कपल्स के पास इन्हें नजरअंदाज करने से सिवा कोई और चारा नहीं। रही सही कसर फेरीवालों ने पूरी कर दी। पहले इनके पास इडली दोसा वाला आया और फिर चाय वाला।
दादर चौपाटी
दादर चौपाटी- फाईव गार्डन में तो प्राईवेसी मिलने से रही। हमारे दोनो संवाददाता उस जगह को छोड अब आ पहुंचे दादर चौपाटी। कीर्ति कॉलेज के पीछे इस समुद्र तट पर शाम के वक्त युवा जोडे बडी तादाद में नजर आते हैं।
स्वाती और योगेश भी समुद्र किनारे एक ओर बाकी प्रेमी जोडों की तरह खडे हो गये। बारिश के मौसम में शाम का समां और सामने खूबसूरत समंदर यानी रोमांस करने के लिये एक ठीकठाक जगह...लेकिन कुछ ही देर में यहां भी आ पहुंचे प्यार के दुश्मन। वैसे तो मुंबई में खुलेआम शराब पीना गैरकानूनी है लेकिन कुछ युवाओं को कानून की कोई फिक्र नहीं थी। ये युवक स्वाती और योगेश के पास ही आकर बैठ गये..इस उम्मीद में कि शराब की चुस्कियों के साथ शायद मुफ्त आंखें सेंकने भी मिल जायें। इन मुस्तंडों से पंगा लेने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि अगर ये पीटने लग जायें तो आसपास बचाने के लिये कोई पुलिस वाला भी न था। इनको नजरअंदाज करने में ही भलाई थी....लेकिन यहां भी मुसीबत कम न थी। भिखारी आ पहुंचे।ये भिखारी जानते हैं कि कपल कुछ पल की तनहाई के हासिल करने के लिये इन्हें पैसे देकर जरूर दफा कर देंगे इसलिये ये तब तक कपल्स को डिसटर्ब करते रहते हैं जब तक कि उन्हें पैसे नहीं मिल जाते।मक्खियों की तरह फेरीवाले यहां भी भुनभुना रहे थे।
संजय गांधी नेशनल पार्क
न तो फाईव गार्डन पर बात बनी और न ही दादर चौपाटी पर..मुंबई का एक और मशहूर लवर्स पॉइंट है संजय गांधी नेशनल पार्क। स्वाती और योगेश अब प्राईवेसी की तलाश में वहीं पहुंचे। 103 वर्गफुट में फैला मुंबई का संजय गांधी नेशनल पार्क। मानसून के दौरान तेंदुए अक्सर शिकार की तलाश में उन इलाकों में भी आ जाते हैं जहां इंसानों की बस्ती है और जहां युवा जोडे तनहाई में वक्त बिता रहे होते हैं...फिर भी प्यार करने वाले इस जोखिम को झेलने के लिये भी तैयार रहते हैं..उन्हें बस बिताना है साथ में चंद पल....लेकिन यहां भी वे पल उन्हें नसीब नहीं होते..तांकझांक कर टाईम पास करने वाले लोग भी आ जाते हैं और उनकी निगाहें तीर की तरह प्रेमी जोडों के चुभ रही होतीं हैं। कपल्स की तनहाई में खलल डालने के लिये फेरीवाले यहां भी मंडरा रहे होते हैं।
तो इस पडताल का नतीजा यही है कि मुंबई भले ही शहर बडा हो लेकिन यहां प्यार करने वालों के लिये जगह बहुत कम है। हर जगह मिल ही जाती है कबाब में हड्डी। ऐसे में सवाल यही है कि लवर्स जायें तो जायें कहां..
बांद्रा
मुंबई का एक फश्चिमी उपनगर है बांद्रा। समुद्र किनारे बसे इस उपनगर में भी कुछ ऐसे ठिकाने भी हैं जहां युवा जोडे प्यार के 2 पल बिताने आते हैं..लेकिन क्या ये पल मिल पाते हैं उन्हें ये जानने की कोशिश की हमारे संवाददाता गणेश ठाकुऱ और प्रमाली कापसे ने जो कि एक प्रेमी जोडे की शक्ल में यहां पहुंचे।
गणेश और प्रणाली पहुंचे बैंड स्टैंड। समुद्र किनारे एक टीले पर मौजूद ये लवर्स पॉइंट प्रेमी जोडों के लिये बडा ही रोमांटिक समां बनाती है। मानसून में कई बार यहां प्यार के आगोश में डूबे कपल्स को लहरें भी निगल लेतीं हैं.. फिर भी तनहाई की चाहत में प्यार करने वाले इस खतरे को नजरअंदाज कर बडी तादाद में यहां पहुंचते हैं। गणेश और प्रणाली अभी यहां बैठे ही थे कि भिनभिनाती हुई मक्खियों की तरह उनकी प्राईवेसी छीननेवाले भी यहां पहुंचने लगे। सबसे पहले आया एक हिजडा:
गणेश- क्या चाहिये,
हिजडा-पैसा चाहिये..और क्या
गणेश- क्या यहां बैठने का पैसा लगता है क्या?
हिजडा- नया आया है क्या?
गणेश ने पैसे नहीं दिये। हिजडा गणेश को घूरकर चला गया, लेकिन उससे पीछा छूटा ही था कि एक और हिजडा यहां आ धमका और पैसे ऐंठने के लिये इनके पीछे ही पड गया। देखिये किस तरह से ये कभी गणेश के सिर पर हाथ फिराकर तो कभी उसके गाल नोंचकर पैसे मांग रहा है... आखिर उसे दफा करने के लिये गणेश को 11 रूपये ढीले करने ही पडे। हिजडे तो चले गये लेकिन कपल्स को तंग वाले और भी थे। कई भिखारी आपस में गुफ्तगू कर रहे कपल्स को तंग कर रहे थे। बातचीत में खल न पडे इसलिये इन्हें भी पैसे देना जरूरी था।
बैंड स्टैड की हकीकत तो हमने जान ली। भले ही ये लवर्स पॉइंट हो लेकिन लवर्स के लिये यहां दिक्कतें कईं हैं। गणेश और प्रणाली अब बैंड स्टैंड से कुछ ही फासले पर आ पहुंचे बांद्रा रिक्लेमेशन।
बैंड स्टैंड की तरह ही बांद्रा रिक्लेमेशन भी समुद्र किनारे ही है और रोमांस की चाह रखने वाले जोडे यहां भी बडी तादाद में पहुंचते हैं। ये जगह भी लवर्स पॉइंट के तौर पर मशहूर है..लेकिन ये क्या..यहां भी लगी है प्यार पर बंदिश...यहां एक वॉचमैन आ पहुंचा दिसका कहना था कि अब यहां कपल्स के बैठने की इजाजत नहीं है...ये गणेश और प्रणाली को यहां से भगाने लगा..
पीटीसी- तो ये था मुंबई के 2 लवर्स स्पॉट बांद्रा रिक्लेमेशन और बांद्रा बैंड स्टैंड का हाल लेकिन इनके अलावा भी मुंबई में कई और लवर स्पॉट्स हैं जहां युवा जोडे तनहाई की खोज में आते हैं। मध्य मुंबई के लवर्स स्पॉट्स पर क्या होता है इसकी पडताल की योगेश पांडे और प्रमाली कापसे के पास जो एक प्रेमी जोडे की शक्ल में वहां पहुंचे। हैं।
फाईव गार्डन-
मध्य मुंबई के माटुंगा इलाके का फाईव गार्डन। इस जगह का नाम ऐसा इसलिये पडा है क्योंकि यहां एक दूसरे के बगल में 5 बागीचे हैं। सुबह के वक्त इस जगह पर मॉर्निंग वॉक करते हर उम्र के लोग नजर आते हैं और दोपहर बाद से युवा जोडे।हमारे दोनो संवादादाता भी किसी प्रेमी जोडे की तरह फाईव गार्डन में एक बेंच पर जाकर साथ साथ बैठ गये। कुछ देर तक तो कोई उनके पास नहीं फटका लेकिन जैसे चीनी को सूंघ चींटियां उस तक पहुंचने लगतीं हैं इस जोडे की तनहाई छीनने वाले भी उन तक पहुंचने लगे...सबसे पहले छापा पडा हिजडों का। ये हिजडे गार्डन में बैठे हर कपल से वसूली कर रहे थे। एक हिजडा योगेश और स्वाती के पास आ धमका और जब योगेश ने उसे पैसे दिये तब ही वो उस जगह से हटा। हिजडों से तो जान छूटी लेकिन इनके तनहा पलों में खलल डालने कई और भी थे। एक बुजुर्ग शख्स की हरकतें देखने लायक थीं। लगता था ये हर रोज मुफ्त की फिल्म देखने ही इस गार्डन में आते हैं और प्रेमी युगलों के तनहा पलों का बढिया व्यू मिल सके इसके लिये भरपूर कोशिश भी करते हैं....ये प्रेमी यूगलों को अपनी निगाहों से इस कदर घूरे जा रहे थे कि आखिर स्वाती को उन्हें डांटना ही पडा।स्वाती की डांट खाकर ये शख्स तो यहां से खिसक लिया लेकिन इस गार्डन में आंखें सेंकने के लिये आनेवाले कई और भी थे। सिगरेट का घुआं उडाते कुछ युवक इस गार्डन में सिर्फ कपल्स को देखकर मजा लेने आये थे। बेचारे कपल्स के पास इन्हें नजरअंदाज करने से सिवा कोई और चारा नहीं। रही सही कसर फेरीवालों ने पूरी कर दी। पहले इनके पास इडली दोसा वाला आया और फिर चाय वाला।
दादर चौपाटी
दादर चौपाटी- फाईव गार्डन में तो प्राईवेसी मिलने से रही। हमारे दोनो संवाददाता उस जगह को छोड अब आ पहुंचे दादर चौपाटी। कीर्ति कॉलेज के पीछे इस समुद्र तट पर शाम के वक्त युवा जोडे बडी तादाद में नजर आते हैं।
स्वाती और योगेश भी समुद्र किनारे एक ओर बाकी प्रेमी जोडों की तरह खडे हो गये। बारिश के मौसम में शाम का समां और सामने खूबसूरत समंदर यानी रोमांस करने के लिये एक ठीकठाक जगह...लेकिन कुछ ही देर में यहां भी आ पहुंचे प्यार के दुश्मन। वैसे तो मुंबई में खुलेआम शराब पीना गैरकानूनी है लेकिन कुछ युवाओं को कानून की कोई फिक्र नहीं थी। ये युवक स्वाती और योगेश के पास ही आकर बैठ गये..इस उम्मीद में कि शराब की चुस्कियों के साथ शायद मुफ्त आंखें सेंकने भी मिल जायें। इन मुस्तंडों से पंगा लेने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि अगर ये पीटने लग जायें तो आसपास बचाने के लिये कोई पुलिस वाला भी न था। इनको नजरअंदाज करने में ही भलाई थी....लेकिन यहां भी मुसीबत कम न थी। भिखारी आ पहुंचे।ये भिखारी जानते हैं कि कपल कुछ पल की तनहाई के हासिल करने के लिये इन्हें पैसे देकर जरूर दफा कर देंगे इसलिये ये तब तक कपल्स को डिसटर्ब करते रहते हैं जब तक कि उन्हें पैसे नहीं मिल जाते।मक्खियों की तरह फेरीवाले यहां भी भुनभुना रहे थे।
संजय गांधी नेशनल पार्क
न तो फाईव गार्डन पर बात बनी और न ही दादर चौपाटी पर..मुंबई का एक और मशहूर लवर्स पॉइंट है संजय गांधी नेशनल पार्क। स्वाती और योगेश अब प्राईवेसी की तलाश में वहीं पहुंचे। 103 वर्गफुट में फैला मुंबई का संजय गांधी नेशनल पार्क। मानसून के दौरान तेंदुए अक्सर शिकार की तलाश में उन इलाकों में भी आ जाते हैं जहां इंसानों की बस्ती है और जहां युवा जोडे तनहाई में वक्त बिता रहे होते हैं...फिर भी प्यार करने वाले इस जोखिम को झेलने के लिये भी तैयार रहते हैं..उन्हें बस बिताना है साथ में चंद पल....लेकिन यहां भी वे पल उन्हें नसीब नहीं होते..तांकझांक कर टाईम पास करने वाले लोग भी आ जाते हैं और उनकी निगाहें तीर की तरह प्रेमी जोडों के चुभ रही होतीं हैं। कपल्स की तनहाई में खलल डालने के लिये फेरीवाले यहां भी मंडरा रहे होते हैं।
तो इस पडताल का नतीजा यही है कि मुंबई भले ही शहर बडा हो लेकिन यहां प्यार करने वालों के लिये जगह बहुत कम है। हर जगह मिल ही जाती है कबाब में हड्डी। ऐसे में सवाल यही है कि लवर्स जायें तो जायें कहां..
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कुछ लोचा है इसमें जीतू भाई!! शायद १०३ वर्ग किमी..