दाऊद की पाठशाला !
मुंबई अंडरवर्लड के सबसे बडे डॉन दाऊद इब्राहिम को उसी के एक सहपाठी ने नाकों चने चबवाये। मुंबई के उर्दू मीडियम स्कूल में दाऊद ने करीब 6 साल तक उसके साथ पढाई की थी।
मैट्रिक पास करने के बाद दाऊद ने गुनाह की राह पकडी, जबकि उसके सहपाठी ने पुलिस में अपना करियर बनाया। हम मिले दाऊद के इसी सहपाठी से जो अब भी पुलिस महकमें में है और दाऊद के सबसे बडे दुश्मनों में से एक है।उसने हमें बताईं दाऊद के बचपन के दिनों से जुडी कई सारी बातें, जो इस डॉन का एक अलग ही चेहरा पेश करतीं हैं। हम दाऊद के टीचर से भी मिलें और उन्होने जो बातें हमें बताईं उसे सुनकर आप सोचेंगे कि क्या ये वही शख्स है, जिसे आज दुनिया के सबसे खतरनाक आदमियों में गिना जाता है।
उन्होने साथ साथ पढाई की, टीचर की डांट खाई, खेले कूदे, लेकिन आज वे है एक दूसरे के जानी दुश्मन। ये कहानी है अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम और स्कूली दिनों में उसके साथी कादर खान की। जहां दाऊद आज गुनाह की दुनिया में बहुत बडा नाम बन चुका है, वहीं कादर खान मुंबई पुलिस में एक सीनियर इंस्पेक्टर है। वैसे मुंबई पुलिस में डी कंपनी के तमाम दुश्मन हैं, लेकिन कादर खान एक ऐसा इंस्पेक्टर है, जिसे दाऊद शायद ही भूल पाये।
अंडरवर्लड के खूनी खेल में पुलिस और दुश्मन गिरोहों से निपटने के लिये दाऊद इब्राहिम ने शूटरों की फौज खडी कर रखी थी और इन्ही शूटरों के ट्रेनिंग देने के लिये उसने नियुक्त किया था खुद पुलिस का ही एक आदमी और वो भी पुलिस का एक ऐसा आदमी जो मुंबई पुलिस के हथियार खाने में काम करता था और तमाम तरह के हथियार चलाना जानता था।
सीनियर इंस्पेक्टर कादर खान। मुंबई के वडाला पुलिस थाने के इचार्ज। पुलिस महकमें में अपने करियर के दौरान इन्होने कई अपराधों की गुत्थियां सुलझाईं हैं और इनके काम के लिये इन्हें राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है। पर कादर खान की मुंबई पुलिस में एक और पहचान भी है। ये पहचान है अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहपाठी के रूप में। दाऊद के साथ दक्षिण मुंबई के अहमद सेलर स्कूल में इन्होने 6 साल तक पढाई की...पर पुलिस महकमें में मौजूद अपने इस पुराने साथी से दाऊद कोई फायदा नहीं उठा सका। उलटा कादर खान ने दाऊद गिरोह के शूटरों को ट्रेनिंग देने वाले अपने ही महकमें के एक कांस्टेबल को खत्म कर दाऊद को एक करारा झटका दिया। दाऊद के लिये काम करने वाला ये कांस्टेबल था राजेश इगवे उर्फ राजू।
अंडरवर्लड के खूनी खेल में पुलिस और दुश्मन गिरोहों से निपटने के लिये दाऊद इब्राहिम ने शूटरों की फौज खडी कर रखी थी और इन्ही शूटरों के ट्रेनिंग देने के लिये उसने नियुक्त किया था खुद पुलिस का ही एक आदमी और वो भी पुलिस का एक ऐसा आदमी जो मुंबई पुलिस के हथियार खाने में काम करता था और तमाम तरह के हथियार चलाना जानता था।
-जी हां राजू की पोस्टिंग मुंबई पुलिस के हथियार खाने में की गई थी। कहने को तो राजू एक पुलिस वाला था, लेकिन उसकी खाकी वर्दी के पीछे छुपा था एक खतरनाक अपराधी। पुलिस की नौकरी से मिलने वाला साधारण वेतन इगवे की अय्यशियों को पूरा सकरने के लिये कम पडता था। शराब और शबाब के शौकीन इगवे को चाहिये थी ऊपरी कमाई और उसकी इसी कमजोरी का फायदा उठाया दाऊद इब्राहिम ने। दाऊद जानता था कि राजू को पिस्तौल और रिवॉल्वर से लेकर राईफल, मशीन गन और एके 47 जैसे तमाम अत्याधुनिक हथियार चलाने आते हैं। दाऊद के लिये ये आदमी बडे काम का था। 1991 में दाऊद का एक शूटर माया डोलस मुंबई के लोखंडवाला इलाके में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। दाऊद चाहता था कि उसके शूटर दुश्मन गिरोह के शूटरों को तो ठिकाने लगाने में सक्षम हों हीं, जरूरत पडने पर पुलिस वालों पर भी गोलियां बरसाने के काबिल हों। इसी इरादे से मोटी रकम पर उसने राजू इगवे की भर्ती कर ली। इगवे को जिम्मेदारी दी गई डी कंपनी के शूटरों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने की।इस काम के लिये उसने जगह चुनी संजय गांधी नेशनल पार्क के जंगलों को।
जिस दौरान राजू इगवे, दाऊद के शूटरों को ट्रेनिंग दे रहा था, उस वक्त कादर खान मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच में थे। कादर खान मुंबई के उसी नागपाडा इलाके में पले बढे थे, जहां दाऊद का बचपन बीता और जहां से दाऊद उस वक्त भी अपनी आपराधिक गतिविधियां चला रहा था।कादर खान को दाऊद के इस नये ट्रेनर के बारे में पता चला और वे उसके पीछे लग गये। इसी दौरान खान को टिप मिली कि राजू इगवे से दाऊद सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं करवा रहा है, बल्कि उसे दाऊद ने एक बडा मिशन भी सौंप रखा था। ये मिशन था 3 लोगों की हत्या का। ये तीनो लोग थे शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और 1993 के मुंबई बमकांड की तहकीकात कर रहे अफसर एम एन सिंह और राकेश मारिया।...पर इससे पहले कि इगवे अपने इस मिशन में कामियाब हो पता वो कादर खान के जाल में फंस गया। 17 नवंबर 1995 में को एक मुठभेड में कादर खान की रिवॉल्वर से निकली गोलियों ने इगवे को छलनी कर दिया।
भले ही कादर खान ने दाऊद गिरोह का भारी नुकसान किया हो, लेकिन दाऊद का सहपाठी होना वे अपने लिये एक कलंक मानते हैं। उनके मुताबिक दाऊद का सहपाठी होने की वजह से उन्हे हमेशा शक की नजरों से देखा जाता रहा और कभी कोई संवेदनशील पोस्टिंग नहीं दी गई।
वैसे तो दाऊद के सैकडों शूटरों को मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर एनकाउंटर्स में ढेर कर चुके हैं, लेकिन दाऊद ने शायद ही सोचा हो कि खुद उसका एक सहपाठी गुनाह की राह में उसके लिये कांटा बनकर उभरेगा।
मैट्रिक पास करने के बाद दाऊद ने गुनाह की राह पकडी, जबकि उसके सहपाठी ने पुलिस में अपना करियर बनाया। हम मिले दाऊद के इसी सहपाठी से जो अब भी पुलिस महकमें में है और दाऊद के सबसे बडे दुश्मनों में से एक है।उसने हमें बताईं दाऊद के बचपन के दिनों से जुडी कई सारी बातें, जो इस डॉन का एक अलग ही चेहरा पेश करतीं हैं। हम दाऊद के टीचर से भी मिलें और उन्होने जो बातें हमें बताईं उसे सुनकर आप सोचेंगे कि क्या ये वही शख्स है, जिसे आज दुनिया के सबसे खतरनाक आदमियों में गिना जाता है।
उन्होने साथ साथ पढाई की, टीचर की डांट खाई, खेले कूदे, लेकिन आज वे है एक दूसरे के जानी दुश्मन। ये कहानी है अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम और स्कूली दिनों में उसके साथी कादर खान की। जहां दाऊद आज गुनाह की दुनिया में बहुत बडा नाम बन चुका है, वहीं कादर खान मुंबई पुलिस में एक सीनियर इंस्पेक्टर है। वैसे मुंबई पुलिस में डी कंपनी के तमाम दुश्मन हैं, लेकिन कादर खान एक ऐसा इंस्पेक्टर है, जिसे दाऊद शायद ही भूल पाये।
अंडरवर्लड के खूनी खेल में पुलिस और दुश्मन गिरोहों से निपटने के लिये दाऊद इब्राहिम ने शूटरों की फौज खडी कर रखी थी और इन्ही शूटरों के ट्रेनिंग देने के लिये उसने नियुक्त किया था खुद पुलिस का ही एक आदमी और वो भी पुलिस का एक ऐसा आदमी जो मुंबई पुलिस के हथियार खाने में काम करता था और तमाम तरह के हथियार चलाना जानता था।
सीनियर इंस्पेक्टर कादर खान। मुंबई के वडाला पुलिस थाने के इचार्ज। पुलिस महकमें में अपने करियर के दौरान इन्होने कई अपराधों की गुत्थियां सुलझाईं हैं और इनके काम के लिये इन्हें राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है। पर कादर खान की मुंबई पुलिस में एक और पहचान भी है। ये पहचान है अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहपाठी के रूप में। दाऊद के साथ दक्षिण मुंबई के अहमद सेलर स्कूल में इन्होने 6 साल तक पढाई की...पर पुलिस महकमें में मौजूद अपने इस पुराने साथी से दाऊद कोई फायदा नहीं उठा सका। उलटा कादर खान ने दाऊद गिरोह के शूटरों को ट्रेनिंग देने वाले अपने ही महकमें के एक कांस्टेबल को खत्म कर दाऊद को एक करारा झटका दिया। दाऊद के लिये काम करने वाला ये कांस्टेबल था राजेश इगवे उर्फ राजू।
अंडरवर्लड के खूनी खेल में पुलिस और दुश्मन गिरोहों से निपटने के लिये दाऊद इब्राहिम ने शूटरों की फौज खडी कर रखी थी और इन्ही शूटरों के ट्रेनिंग देने के लिये उसने नियुक्त किया था खुद पुलिस का ही एक आदमी और वो भी पुलिस का एक ऐसा आदमी जो मुंबई पुलिस के हथियार खाने में काम करता था और तमाम तरह के हथियार चलाना जानता था।
-जी हां राजू की पोस्टिंग मुंबई पुलिस के हथियार खाने में की गई थी। कहने को तो राजू एक पुलिस वाला था, लेकिन उसकी खाकी वर्दी के पीछे छुपा था एक खतरनाक अपराधी। पुलिस की नौकरी से मिलने वाला साधारण वेतन इगवे की अय्यशियों को पूरा सकरने के लिये कम पडता था। शराब और शबाब के शौकीन इगवे को चाहिये थी ऊपरी कमाई और उसकी इसी कमजोरी का फायदा उठाया दाऊद इब्राहिम ने। दाऊद जानता था कि राजू को पिस्तौल और रिवॉल्वर से लेकर राईफल, मशीन गन और एके 47 जैसे तमाम अत्याधुनिक हथियार चलाने आते हैं। दाऊद के लिये ये आदमी बडे काम का था। 1991 में दाऊद का एक शूटर माया डोलस मुंबई के लोखंडवाला इलाके में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। दाऊद चाहता था कि उसके शूटर दुश्मन गिरोह के शूटरों को तो ठिकाने लगाने में सक्षम हों हीं, जरूरत पडने पर पुलिस वालों पर भी गोलियां बरसाने के काबिल हों। इसी इरादे से मोटी रकम पर उसने राजू इगवे की भर्ती कर ली। इगवे को जिम्मेदारी दी गई डी कंपनी के शूटरों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने की।इस काम के लिये उसने जगह चुनी संजय गांधी नेशनल पार्क के जंगलों को।
जिस दौरान राजू इगवे, दाऊद के शूटरों को ट्रेनिंग दे रहा था, उस वक्त कादर खान मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच में थे। कादर खान मुंबई के उसी नागपाडा इलाके में पले बढे थे, जहां दाऊद का बचपन बीता और जहां से दाऊद उस वक्त भी अपनी आपराधिक गतिविधियां चला रहा था।कादर खान को दाऊद के इस नये ट्रेनर के बारे में पता चला और वे उसके पीछे लग गये। इसी दौरान खान को टिप मिली कि राजू इगवे से दाऊद सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं करवा रहा है, बल्कि उसे दाऊद ने एक बडा मिशन भी सौंप रखा था। ये मिशन था 3 लोगों की हत्या का। ये तीनो लोग थे शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और 1993 के मुंबई बमकांड की तहकीकात कर रहे अफसर एम एन सिंह और राकेश मारिया।...पर इससे पहले कि इगवे अपने इस मिशन में कामियाब हो पता वो कादर खान के जाल में फंस गया। 17 नवंबर 1995 में को एक मुठभेड में कादर खान की रिवॉल्वर से निकली गोलियों ने इगवे को छलनी कर दिया।
भले ही कादर खान ने दाऊद गिरोह का भारी नुकसान किया हो, लेकिन दाऊद का सहपाठी होना वे अपने लिये एक कलंक मानते हैं। उनके मुताबिक दाऊद का सहपाठी होने की वजह से उन्हे हमेशा शक की नजरों से देखा जाता रहा और कभी कोई संवेदनशील पोस्टिंग नहीं दी गई।
वैसे तो दाऊद के सैकडों शूटरों को मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर एनकाउंटर्स में ढेर कर चुके हैं, लेकिन दाऊद ने शायद ही सोचा हो कि खुद उसका एक सहपाठी गुनाह की राह में उसके लिये कांटा बनकर उभरेगा।
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