दाऊद इब्राहिम की शिक्स्त
अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम को मुंबई की एक अदालत में करारी शिकस्त झेलनी पडी है। नीलामी में बेची गईं दाऊद की संपत्ति पर अब दिल्ली के एक वकील का कब्जा होगा। अजय श्रीवास्तव नाम के इस वकील ने साल 2001 में इनकम टैक्स विभाग की नीलामी में दाऊद के गढ नागपाडा इलाके में 2 संपत्तियों की बोली लगाई थी लेकिन दाऊद की बहन हसीना पारकर उन्हें संपत्ति का कब्जा नहीं लेने दे रही थी। 10 साल की कानूनी जंग के बाद अब अदालत ने वकील श्रीवास्तव के पक्ष में फैसला सुनाया है।
मार्च 2001 में इनकम टैक्स ने जब दाऊद इब्राहिम की 11 बेनामी संपत्तियों की नीलामी की थी तब अजय श्रीवास्तव ने नागपाडा की जयराजभाई लेन के इंडस्ट्रीयल गाले की बोली लगाकर उन्हें ढाई लाख रूपये में खरीदा था। कागज पर तो दोनो संपत्तियां अजय श्रीवास्तव की हो गईं, लेकिन दाऊद की बहन हसीना पारकर ने इनपर श्रीवास्तव को कब्जा नहीं हासिल करने दिया। अजय श्रीवास्तव ने कब्जा हासिल करने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया और करीब 10 साल बाद उन्हें कामियाबी मिली है। अदालत ने न केवल हसीना पारकर को संपत्तियों का कब्जा छोडने को कहा है बल्कि ये आदेश भी दिया है कि अजय श्रीवास्तव ने मुकदमा लडने के लिये जो खर्च किया है उसकी भी भरपाई करे।
इनकम टैक्स विभाग ने सालभर के भीतर 2 बार दाऊद की संपत्तियों की नीलामी की थी, लेकिन उस दौरान दाऊद के खौफ का आलम ये था कि पहली नीलामी में कोई बोली लगाने की हिम्मत नहीं कर सका। दूसरी नीलामी में अजय श्रीवास्तव ने बोली लगाकर सबको चौंका दिया।
नागपाडा के जिस इलाके में संपत्ति हैं दाऊद ने अपना आपराधिक करियर वहीं से शुरू किया था। उसके तमाम गुर्गे भी वहीं रहते हैं और कई काले कारोबारों का अड्डा भी यही रहा है। इसलिये इस संपत्ती का छिनना दाऊद गिरोह के लिये नाक का सवाल बन गया था। इसके अलावा जिस तरह से नागपाडा इलाके में बडे बडे टावर बन रहे हैं उसे देखते हुए इस जगह की कीमत अब 5 करोड रूपये से ज्यादा की हो गई है।श्रीवास्तव का कहना है कि दाऊद की संपत्ति खरीद कर वो दुनिया को संदेश देना चाहते थे कि गुनहगारों से डरने की जरूरत नहीं है। इस तरह से उन्हें नीचा दिखाने का मौका नहीं छोडना चाहिये।
अजय श्रीवास्तव केस वापस लें लें इसकी खातिर दाऊद गिरोह की ओर से कई पैंतरें आजमाए गये। श्रीवास्तव के वकील वीरल शुक्ला को धमकाया गया और एक बार तो दाऊद के गुंडों ने उनकी कार तोड डाली। जज पर दबाव डालने की कोशिश की गई। मामले की सुनवाई कर रहे एक जज ने तो अपना तबादला ही करवा लिया।(हालांकि इस बात की पृष्टि नहीं हो सकी है कि इसी वजह से जज ने अपना तबादला करवाया।)
अजय श्रीवास्तव दाऊद की संपत्ति पर बोली लगाने से पहले भी खबरों में रह चुके हैं। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की पिच खोदने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। श्रीवास्तव शिवसेना से भी जुडे हुए हैं, लेकिन शिवसेना ने कभी दाऊद की संपत्ति पर बोली लगाने के लिये श्रीवास्तव का कभी आधिकारिक समर्थन नहीं किया। श्रीवास्तव को दाऊद गिरोह की ओर से धमकियां भी आईं और एक बार उनकी हत्या की भी कोशिश की गई। श्रीवास्तव की जान के खतरे को देखते हुए कुछ दिनों तक दिल्ली पुलिस ने उन्हे सुरक्षा भी मुहैया करवाई। श्रीवास्तव ने अबसे चंद साल पहले मुंबई पुलिस से पेशकश की थी कि चूंकि दोनो संपत्तियां ठीक दाऊद के इलाके में हैं इसलिये वो इन्हें मुंबई पुलिस को दान कर देंगे ताकि पुलिस वहां पर अपनी चौकी बनाकर दाऊद गिरोह की गतिविधियों पर नजर रख सके..पर पुलिस ने श्रीवास्तव की पेशकश में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
दाऊद की संपत्ति पर बोली लगाने के पीछे अजय श्रीवास्तव की मंशा पर भी कई सवाल उठे। किसी ने कहा कि श्रीवास्तव ये सब पब्लिसिटी के लिये कर रहे हैं तो किसी का कहना था कि उनकी मानसिक हालत खराब है और इसीलिये कह रहे हैं आ बैल मुझे मार। उनके सियासी दुश्मनों ने तो ये तक अफवाह उडा दी कि श्रीवास्तव खुद ही दाऊद के आदमी हैं और ये सारा कुछ दाऊद की चाल है।
अदालत की चारदीवारी के भीतर भले ही अजय श्रीवास्तव ने कानूनी जंग जीत ली हो लेकिन उनके लिये अदालती आदेश की तामील करवा पाना आसान न होगा। दाऊद गिरोह के लिये अपनी संपत्ति पर से कब्जा गंवाना कानूनी मसला नहीं बल्कि नाक का मसला है।
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