भूकंप : टोक्यो का तजुर्बा
15 मार्च 2011, टोक्यो, रात के करीब 11.30 बजे। शिंजुकू इलाके के सनराईज होटल की तीसरी मंजिल के अपने कमरे में मैं दिनभर कवर की गई खबरों की स्क्रिप्ट लैपटॉप पर टाईप कर रहा था। टेबल के बगल में लगे बेड पर कैमरामैन हाशिब खान सो रहा था। दिनभर खबरों के लिये मेरे साथ भटकने के बाद थकान के मारे उसे बेड पर लेटते ही नींद आ गई थी। मैने सोचा था कि स्क्रिप्ट भेज देने के बाद खाना खाने के लिये उसे जगाऊंगा। अचानक मेरा लैपटॉप अपनी जगह से हिलने लगा। मैं अक्षर कुछ और टाईप करने जाता, उंगलियां किसी और अक्षर पर पडतीं। मुझे लगा शायद नींद या थकान की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन कुछ पलों में लैपटॉप अपनी जगह से पीछे खिसकने लगा। ऐसा लगा कोई अदृश्य शख्स उसे अपनी ओर खींच रहा है। किसी हॉरर फिल्म के जैसा माजरा लग रहा था। पहले तो कुछ समझ नहीं आया फिर महसूस किया कि कमरे की हर चीज हिल रही थी। टेबल, उसपर रखा गुलदस्ता, चाय के कप, लैंप...सबकुछ। समझते देर न लगी कि ये भूकंप के झटके हैं। मैने हाशिब को हिलाकर जगाया – उठ हाशिब! चल भाग जल्दी! भूकंप आया है! हाशिब ने तुरंत कैमरा उठाया, मैने एक छोटे बैग में दोनो के पासपोर्ट...