कायरता का जवाब कायरता है हिंदू आतंकवाद
मुंबई, हैद्राबाद, जयपुर, बैंगलोर, अहमदाबाद, दिल्ली में जब भी बम धमाके हुए हमने कई राजनेताओं, धर्मगुरूओं, समाजसेवकों के मुख से बार बार यही वाक्य सुना - "ये एक कायरतापूर्ण कृत्य है।" मैं बिलकुल इस कथन से सहमत हूं। धर्म के नाम पर इस तरह से बेगुनाह लोगों की जान लेना वाकई में धिक्कारने योग्य है। मैं ये मानता हूं कि जो लोग अदालत के सामने इन बमकांड के लिये दोषी पाये जाएं उन्हें बिना किसी दया के फांसीं पर लटका दिया जाना चाहिये (वैसे फांसीं की सजा भी ऐसे लोगों के लिये कम ही नजर आती है) मानवाधिकार का राग अलापने वाले मृत्यूदंड विरोधियों को तनिक भी तरजीह नहीं दी जानी चाहिये...लेकिन यही सलूक सभी के साथ होना चाहिये...चाहे वो आतंकी किसी भी धर्म में विश्वास रखने वाला हो...वे लोग जो हाल ही में मालेगांव बम धमाकों के बाद ये कह रहे हैं कि ये धमाका हिंदुओं का जवाब था...प्रतिक्रिया थी...गुस्सा था...तो उनसे मैं सहमत नहीं हूं। इस मामले में दोगली सोच नहीं हो सकती। साध्वी, ले.कर्नल पुरोहित और उनके सहआरोपियों ने मालेगांव में धमाके किये या नहीं इसका फैसला न्यायिक प्रक्रिया करेगी..लेकिन मान लीजिये कि ये या फिर इनकी जगह किन्ही और हिंदुओं ने मालेगांव में बम रखा था तो वे भी माफी के काबिल नहीं हैं। अगर इस्लामी आतंकी की ओर से देश के अलग अलग हिस्सों में किये गये धमाके कायरतापूर्ण हरकतें थीं तो मालेगांव, पूर्णा, जालना और परभणी के धमाकों को भी उसी तराजू में तौला जाना चाहिये।
जो लोग हिंदू आतंकवाद के हिमायती हैं या फिर आक्रमक हिंदुत्व के नाम पर अपना गला फाडते या कागज रंगते हैं...उनसे मैं सिर्फ यही कहूंगा कि हिंदू की सशक्त प्रतिक्रिया उसे ही माना जायेगा जब वे उन संगठनों को निशाना बनायें जो कि देश भर में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहें हैं, उन संगठनों की पोल खोलें जो आतंकियों को चोरी छुपे पैसे, साहित्य और लोग मुहैया करा रहे हैं या फिर कुछ ऐसा करें जिससे कि ये संगठन फिर बेगुनाहों की जान लेने में नाकाबिल हो जायें। इस्लामी आतंकियों ने कायरता दिखाते हुए चोरी छुपे बम रखकर नरमेध किया, आपने भी वही किया...आप में उनमें फर्क क्या? दोनो ही कायर...
जो लोग हिंदू आतंकवाद के हिमायती हैं या फिर आक्रमक हिंदुत्व के नाम पर अपना गला फाडते या कागज रंगते हैं...उनसे मैं सिर्फ यही कहूंगा कि हिंदू की सशक्त प्रतिक्रिया उसे ही माना जायेगा जब वे उन संगठनों को निशाना बनायें जो कि देश भर में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहें हैं, उन संगठनों की पोल खोलें जो आतंकियों को चोरी छुपे पैसे, साहित्य और लोग मुहैया करा रहे हैं या फिर कुछ ऐसा करें जिससे कि ये संगठन फिर बेगुनाहों की जान लेने में नाकाबिल हो जायें। इस्लामी आतंकियों ने कायरता दिखाते हुए चोरी छुपे बम रखकर नरमेध किया, आपने भी वही किया...आप में उनमें फर्क क्या? दोनो ही कायर...
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आपने कहा है - "मैं ये मानता हूं कि जो लोग अदालत के सामने इन बमकांड के लिये दोषी पाये जाएं उन्हें बिना किसी दया के फांसीं पर लटका दिया जाना चाहिये (वैसे फांसीं की सजा भी ऐसे लोगों के लिये कम ही नजर आती है) मानवाधिकार का राग अलापने वाले मृत्यूदंड विरोधियों को तनिक भी तरजीह नहीं दी जानी चाहिये." अगर अदालत इन्हें कसूरवार ठहराती है तो आप इस बात को उस समय भी उठाइएगा. मैं आज भी आपका समर्थन करता हूँ और तब भी आपका समर्थन करूंगा. पर आज तो आप कुछ भूल रहे हैं. एक आतंकवादी ऐसा है जिसे इस देश की सर्वोच्च अदालत फांसी की सजा दे भी चुकी है. इसका नाम आप जानते होंगे. इसे बचाने की कोशिश हो रही है. आपने इस पर अभी तक कोई पोस्ट क्यों नहीं लिखी?