सलीम लंगडे को किसने मारा ?
उसे ये मालूम था कि आतंकी अमेरीकी कंसूलेट को निशाना बनाने वाले हैं। उसी की मदद से इस काम के लिये इंडोनेशिया से आये 2 आतंकियों को पकडा गया। उसे मुंबई में हुए ताजा आतंकी हमले की भी भनक लग चुकी थी, लेकिन इससे पहले कि वो इस राज को जाहिर कर पाता उसे खत्म कर दिया गया। ये कहानी है मुंबई पुलिस के उस खबरी सलीम लंगडे की जो आतंकियों को उनकी साजिश में मदद कर रहा था, लेकिन बीच में ही उसकी वतनपरस्ती ने उसे झकझोरा और उसने सारा कुछ खुफिया एजेंसी के सामने उगल दिया...लेकिन इसकी कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पडी।
सलीम के 3 बच्चे अब अनाथ हो चुके हैं। सालभर पहले ही सलीम और उसकी बीवी की एक सडक हादसे में मौत हो गई...पर क्या वो मौत वाकई में सडक हादसे की वजह से हुई थी या फिर दोनों किसी साजिश का शिकार हुए थे? इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश जब हमने की तो कई चौंकानेवाली जानकारी हाथ आई...लेकिन इससे पहले सलीम के काम और उसकी शख्सियत पर एक नजर डालना जरूरी है।अबसे करीब डेढ साल पहले तक दक्षिण मुंबई के कोलाबा की गलियों में घूमने वाले इस शख्स को लोग सलीम लंगडे के नाम से भी जानते थे। एक एक्सीडैंट में उसके पैर में चोट लग गई थी जिसकी वजह से वो लंगडा कर चलता था।सलीम पहले मुंबई बंदरगाह में विदेश से आये जहाजों में सेंधमारी का काम करता था। इस सिलसिले में उसे कई कई बार जेल भी जाना पडा। जेल में उसकी जान पहचान कई ड्रग्स के तस्करों से हुई। कुछ दिनों तक सलीम ने उनके लिये काम किया और फिर वो पुलिस और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का खबरी बन गया। सलीम को सबसे बडी कामियाबी मिली साल 2001 में जब उसने फिल्मस्टार फरदीन खान को कोकेन खरीदते रंगेहाथ पकडवाया था। सलीम हवालात में फरदीन के साथ निकाली गई तस्वीरों को बडी शान से दिखाता था। उसे उन तमाम सर्टीफिकेट्स पर भी बडा नाज था जो ड्रग्स के बडे कंसाईनमेंट पकडवाने पर तमाम सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उसे मिले थे। नशे के काले कारोबार की जानकारी के मामले में सलीम नंबर वन खबरी बन गया था। उसका घर भी कंसाईनमेंट पकडवाने पर मिलने वाले सरकारी ईनाम से चलता था।
सलीम नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और मुंबई पुलिस के लिये तो काम करता ही था, उसके ताल्लुकात एक ऐसे आदमी से भी थे जो एक तेल माफिया था और दाऊद गिरोह के लिये काम करता था। 2007 में इस तेल माफिया ने उसकी मुलाकात 2 विदेशियों से कराई। दोनों इंडोनेशिया से आये थे।सलीम को एक मोटी रकम देते हुए तेल माफिया ने उससे कहा कि वो इनकी मदद करे
सलीम भले ही पुलिस और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के लिये काम कर रहा था, लेकिन पैसों के लालच ने उसे ये पूछने से रोक दिया कि दोनो किस मकसद से मुंबई आये थे और क्या करना चाहते थे। उसे यही लगा कि शायद ड्रग्स या तेल के काले कारोबार के सिलसिले में दोनो मुंबई आये हैं। दोनो इंडोनेशियाई नागरिक दक्षिण मुंबई के ताज प्रेसीडेंट होटल में ठहरे। उनके पास सोनी का एक लैप टॉप और सैटेलाईट फोन थे। उन्होने काले रंग की एक एसयूवी कार भी किराये पर ली और हर रोज दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके से लेकर मध्य मुंबई के वर्ली समुद्र तट तक चक्कर मारते और रास्ते में रूक रूक कर तस्वीरें लेते। बाद में इन्ही तस्वीरों को वे किसी को ईमेल करते।
सलीम हर वक्त उनके साथ होता। जिस नरीमन हाऊस में आतंकियों के साथ एनएसजी का एनकाउंटर हुआ, उसी के पास दोनो ने उसे एक घर भी किराये पर लेने को कहा थे। सलीम ने उनके कहने पर अपनी पत्नी मुमताज के नाम पर यहां एक घर किराये पर ले लिया। प्रेसीडेंट होटल को छोडकर फिर दोनो इंडोनेशियाई यहां रहने लगे।
कुछ दिनों में सलीम उनके भरोसे का आदमी बन चुका था। अब दोनो शख्स उसके सामने बात करने से भी नहीं हिचकिचाते और उन्होने मुंबई में अपने मिशन के बारे में भी उससे चर्चा करनी शुरू कर दी। उनसे बातचीत में जो कुछ भी सलीम ने सुना उससे उसके होश उड गये। जिनको वो अंडरवर्लड का आदमी समझ रहा था, दरअसल वे आतंकवादी थे। सलीम को उनकी बातों से संकेत मिला कि दोनो दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी इलाके में अमेरीकी कंसूलेट पर समुद्र के रास्ते हमला करने की तैयारी कर रहे हैं। चूंकि अमेरीकी कंसूलेट समुद्र के किनारे है, उनका इरादा था कि वे एक विस्फोटको से लदी एक बोट लाकर उससे टकरा दें। इस काम के लिये वो सलीम की ही मध्यम आकार की मोटरबोट का इस्तेमाल करने वाले थे जो उसने मार्च 2005 में अपनी पत्नी मुमताज के नाम खरीदी थी। दक्षिण मुंबई के कई और ठिकाने भी उनके टार्गेट पर थे। इसी साजिश को अंजाम देने के लिये दोनो मुंबई आये थे और यहां सलीम उनके एक मोहरे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था। उसे ये भी पता चला कि दोनो शख्स अक्टूबर 2002 में बाली में हुए धमाकों के आरोपी के रिश्तेदार थे।
सलीम अब सोच में पड गया था कि आखिर वो क्या करे। एक तरफ भारी रकम का लालच था तो दूसरी ओर देश से गद्दारी। काफी सोचने के बाद उसने ये फैसला किया कि वो वतन से गद्दारी नहीं करेगा और सबकुछ इंटैलिजैंस ब्यूरो का बता देगा।
दक्षिण मुंबई के एक गुप्त ठिकाने पर सलीम ने आईबी अधिकारियों के साथ मीटिंग की और दोनों इंडोनेशियाई नागरिकों के बारे में सबकुछ उन्हें बता दिया। आईबी के अफसर तुरंत हरकत में आये। उन्होने सलीम से कहा कि वो उन दोनों आतंकियों के साथ बना रहे और उनकी जानकारी देता रहे। कुछ दिनों बाद ही दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके से आईबी ने दोनों इंडोनेशियाई नागरिकों को उठा लिया और कडी पूछताछ करने के बाद गुपचुप उन्हें भारत से डीपोर्ट कर दिया गया। ये पूरी कार्रवाई मुंबई पुलिस के स्पे्शल ब्रांच की मदद से की गई और इसमें पूरी गोपनीयता बरती गई। न तो दोनो इंडोनेशियाई नागरिकों के नाम कभी सामने आये और न ही उन्हें डीपोर्ट किये जाने या उनके मंसूबों की खबर किसी अखबार में छपी।
आईबी का ये पूरा ऑपरेशन कामियाब हो सका था सलीम लंगडे की वजह से जिसने पैसों के आगे वतनपरस्ती को तरजीह दी और दोनों इंडोनेशियाई नागरिकों को पकडवाया...लेकिन ये ऑपरेशन बतौर खबरी उसकी जिंदगी का आखिरी ऑपरेशन था।
8 सितंबर 2007 को मुंबई बंदरगाह के पास दारूखाना इलाके से सलीम जब अपनी पत्नी मुमताज के साथ एक स्कूटर पर गुजर रहा था तो सामने से आये एक ट्रक ने उसकी स्कूटर को टक्कर मार दी। मौके पर ही ट्रक से कुचल कर सलीम और मुमताज की मौत हो गई। शिवडी पुलिस थाने ने मामला दर्ज किया और सडक हादसे का साधारण मामला दर्ज करके ट्रक ड्राईवर को गिरफ्तार कर लिया। भले ही सलीम की मौत की वजह सडक हादसा बताया गया हो लेकिन उसके करीबियों को ये पूरा यकीन है कि उसकी हत्या हुई है। सलीम अपनी बीवी से बेहद प्यर करता था और वो उसकी राजदार भी थी..लेकिन इस वारदात में दोनों के साथ सारे राज भी दफन हो गये।
अब तक दाऊद गिरोह का वो शख्स भी पुलिस के हत्थे नहीं चढा है जिसने सलीम की मुलाकात उन दोनो इंडोनेशियाई नागरिकों से करवाई थी। खासकर ये बात इसलिये भी अहमियत रखती है क्योंकि जो दस आतंकी 26 नवंबर की रात समुद्र के रास्ते कोलाबा पहुंचे थे, उन्हें एक लोकल आदमी ने ही मदद की थी। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर सलीम लंगडे को किसने मारा?
सलीम के 3 बच्चे अब अनाथ हो चुके हैं। सालभर पहले ही सलीम और उसकी बीवी की एक सडक हादसे में मौत हो गई...पर क्या वो मौत वाकई में सडक हादसे की वजह से हुई थी या फिर दोनों किसी साजिश का शिकार हुए थे? इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश जब हमने की तो कई चौंकानेवाली जानकारी हाथ आई...लेकिन इससे पहले सलीम के काम और उसकी शख्सियत पर एक नजर डालना जरूरी है।अबसे करीब डेढ साल पहले तक दक्षिण मुंबई के कोलाबा की गलियों में घूमने वाले इस शख्स को लोग सलीम लंगडे के नाम से भी जानते थे। एक एक्सीडैंट में उसके पैर में चोट लग गई थी जिसकी वजह से वो लंगडा कर चलता था।सलीम पहले मुंबई बंदरगाह में विदेश से आये जहाजों में सेंधमारी का काम करता था। इस सिलसिले में उसे कई कई बार जेल भी जाना पडा। जेल में उसकी जान पहचान कई ड्रग्स के तस्करों से हुई। कुछ दिनों तक सलीम ने उनके लिये काम किया और फिर वो पुलिस और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का खबरी बन गया। सलीम को सबसे बडी कामियाबी मिली साल 2001 में जब उसने फिल्मस्टार फरदीन खान को कोकेन खरीदते रंगेहाथ पकडवाया था। सलीम हवालात में फरदीन के साथ निकाली गई तस्वीरों को बडी शान से दिखाता था। उसे उन तमाम सर्टीफिकेट्स पर भी बडा नाज था जो ड्रग्स के बडे कंसाईनमेंट पकडवाने पर तमाम सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उसे मिले थे। नशे के काले कारोबार की जानकारी के मामले में सलीम नंबर वन खबरी बन गया था। उसका घर भी कंसाईनमेंट पकडवाने पर मिलने वाले सरकारी ईनाम से चलता था।
सलीम नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और मुंबई पुलिस के लिये तो काम करता ही था, उसके ताल्लुकात एक ऐसे आदमी से भी थे जो एक तेल माफिया था और दाऊद गिरोह के लिये काम करता था। 2007 में इस तेल माफिया ने उसकी मुलाकात 2 विदेशियों से कराई। दोनों इंडोनेशिया से आये थे।सलीम को एक मोटी रकम देते हुए तेल माफिया ने उससे कहा कि वो इनकी मदद करे
सलीम भले ही पुलिस और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के लिये काम कर रहा था, लेकिन पैसों के लालच ने उसे ये पूछने से रोक दिया कि दोनो किस मकसद से मुंबई आये थे और क्या करना चाहते थे। उसे यही लगा कि शायद ड्रग्स या तेल के काले कारोबार के सिलसिले में दोनो मुंबई आये हैं। दोनो इंडोनेशियाई नागरिक दक्षिण मुंबई के ताज प्रेसीडेंट होटल में ठहरे। उनके पास सोनी का एक लैप टॉप और सैटेलाईट फोन थे। उन्होने काले रंग की एक एसयूवी कार भी किराये पर ली और हर रोज दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके से लेकर मध्य मुंबई के वर्ली समुद्र तट तक चक्कर मारते और रास्ते में रूक रूक कर तस्वीरें लेते। बाद में इन्ही तस्वीरों को वे किसी को ईमेल करते।
सलीम हर वक्त उनके साथ होता। जिस नरीमन हाऊस में आतंकियों के साथ एनएसजी का एनकाउंटर हुआ, उसी के पास दोनो ने उसे एक घर भी किराये पर लेने को कहा थे। सलीम ने उनके कहने पर अपनी पत्नी मुमताज के नाम पर यहां एक घर किराये पर ले लिया। प्रेसीडेंट होटल को छोडकर फिर दोनो इंडोनेशियाई यहां रहने लगे।
कुछ दिनों में सलीम उनके भरोसे का आदमी बन चुका था। अब दोनो शख्स उसके सामने बात करने से भी नहीं हिचकिचाते और उन्होने मुंबई में अपने मिशन के बारे में भी उससे चर्चा करनी शुरू कर दी। उनसे बातचीत में जो कुछ भी सलीम ने सुना उससे उसके होश उड गये। जिनको वो अंडरवर्लड का आदमी समझ रहा था, दरअसल वे आतंकवादी थे। सलीम को उनकी बातों से संकेत मिला कि दोनो दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी इलाके में अमेरीकी कंसूलेट पर समुद्र के रास्ते हमला करने की तैयारी कर रहे हैं। चूंकि अमेरीकी कंसूलेट समुद्र के किनारे है, उनका इरादा था कि वे एक विस्फोटको से लदी एक बोट लाकर उससे टकरा दें। इस काम के लिये वो सलीम की ही मध्यम आकार की मोटरबोट का इस्तेमाल करने वाले थे जो उसने मार्च 2005 में अपनी पत्नी मुमताज के नाम खरीदी थी। दक्षिण मुंबई के कई और ठिकाने भी उनके टार्गेट पर थे। इसी साजिश को अंजाम देने के लिये दोनो मुंबई आये थे और यहां सलीम उनके एक मोहरे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था। उसे ये भी पता चला कि दोनो शख्स अक्टूबर 2002 में बाली में हुए धमाकों के आरोपी के रिश्तेदार थे।
सलीम अब सोच में पड गया था कि आखिर वो क्या करे। एक तरफ भारी रकम का लालच था तो दूसरी ओर देश से गद्दारी। काफी सोचने के बाद उसने ये फैसला किया कि वो वतन से गद्दारी नहीं करेगा और सबकुछ इंटैलिजैंस ब्यूरो का बता देगा।
दक्षिण मुंबई के एक गुप्त ठिकाने पर सलीम ने आईबी अधिकारियों के साथ मीटिंग की और दोनों इंडोनेशियाई नागरिकों के बारे में सबकुछ उन्हें बता दिया। आईबी के अफसर तुरंत हरकत में आये। उन्होने सलीम से कहा कि वो उन दोनों आतंकियों के साथ बना रहे और उनकी जानकारी देता रहे। कुछ दिनों बाद ही दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके से आईबी ने दोनों इंडोनेशियाई नागरिकों को उठा लिया और कडी पूछताछ करने के बाद गुपचुप उन्हें भारत से डीपोर्ट कर दिया गया। ये पूरी कार्रवाई मुंबई पुलिस के स्पे्शल ब्रांच की मदद से की गई और इसमें पूरी गोपनीयता बरती गई। न तो दोनो इंडोनेशियाई नागरिकों के नाम कभी सामने आये और न ही उन्हें डीपोर्ट किये जाने या उनके मंसूबों की खबर किसी अखबार में छपी।
आईबी का ये पूरा ऑपरेशन कामियाब हो सका था सलीम लंगडे की वजह से जिसने पैसों के आगे वतनपरस्ती को तरजीह दी और दोनों इंडोनेशियाई नागरिकों को पकडवाया...लेकिन ये ऑपरेशन बतौर खबरी उसकी जिंदगी का आखिरी ऑपरेशन था।
8 सितंबर 2007 को मुंबई बंदरगाह के पास दारूखाना इलाके से सलीम जब अपनी पत्नी मुमताज के साथ एक स्कूटर पर गुजर रहा था तो सामने से आये एक ट्रक ने उसकी स्कूटर को टक्कर मार दी। मौके पर ही ट्रक से कुचल कर सलीम और मुमताज की मौत हो गई। शिवडी पुलिस थाने ने मामला दर्ज किया और सडक हादसे का साधारण मामला दर्ज करके ट्रक ड्राईवर को गिरफ्तार कर लिया। भले ही सलीम की मौत की वजह सडक हादसा बताया गया हो लेकिन उसके करीबियों को ये पूरा यकीन है कि उसकी हत्या हुई है। सलीम अपनी बीवी से बेहद प्यर करता था और वो उसकी राजदार भी थी..लेकिन इस वारदात में दोनों के साथ सारे राज भी दफन हो गये।
अब तक दाऊद गिरोह का वो शख्स भी पुलिस के हत्थे नहीं चढा है जिसने सलीम की मुलाकात उन दोनो इंडोनेशियाई नागरिकों से करवाई थी। खासकर ये बात इसलिये भी अहमियत रखती है क्योंकि जो दस आतंकी 26 नवंबर की रात समुद्र के रास्ते कोलाबा पहुंचे थे, उन्हें एक लोकल आदमी ने ही मदद की थी। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर सलीम लंगडे को किसने मारा?
Comments