दाऊद इब्राहिम के हथियारखाने में सेंध मारने वाला चोर
दाऊद इब्राहिम भले ही अंडरवर्लड का डॉन हो, लेकिन खुद उसका अपना हथियारखाना चोरो से महफूज नहीं है। मुंबई पुलिस ने पकडा है एक ऐसे चोर को जिसने सीधे दाऊद इब्राहिम के हथियारखाने में सेंधमारी। इस चोर के पास से करीब एक हजार जिंदा कारतूस मिले हैं, जिनका इस्तेमाल दाऊद गिरोह करने वाला था।
पुलिस के मुताबिक मकसूद खान का पेशा है चोरी। हाल ही में पुलिस ने इसे तब पकडा जब ये कुछ कारतूस बेचने की कोशिश कर रहा था। जब हवालात में इससे कडी पूछताछ की गई तो इसने जो जानकारी उगली उससे पुलिस अधिकारी भी चकरा गये। मकसूद खान को ये कारतूस मिले थे दक्षिण मुंबई के दो टाकी इलाके की एक मिल से। सालों से बंद पडी अहमद उमर मिल का इन दिनों दाऊद गिरोह बतौर हथियारखाना इस्तेमाल कर रहा था। सीधे दाऊद के हथियारखाने पर हाथ मारा था मकसूद खान ने। पकडे जाने पर मकसूद पुलिस की टीम को यहां लेकर आया जहां से पुलिस ने कुछ और कारतूस बरामद किये।
मकसूद खान ने न तो कभी डी कंपनी के लिये काम किया था और न ही उसे मालूम था कि यहां कारतूस रखे हैं। वो इस मिल में घुसा था कबाड चुराने के इरादे से, लेकिन इसी दौरान इसके हाथ लग गये कारतूस जो कि मिल के एक कोने में छुपा कर रखे गये थे। मकसूद को लगा कि इनसे उसे मोटी रकम मिल सकती है। वो इन्हें बेचने निकला और पक़डा गया। जिस इलाके में ये मिल है दरअसल वो दाऊद इब्राहिम का गढ माना जाता है। दाऊद इब्राहिम का पुस्तैनी घर जिस पाकमोडिया स्ट्रीट में है, वो यहां से बमुश्किल आधा किलोमीटर भी दूर नहीं। छोटा शकील का अड्डा टेमकर मोहल्ला भी पास ही में है।
जिस मिल का इस्तेमाल दाऊद गिरोह बतौर हथियारखाना कर रहा था वो तेल की मिल थी। पार्टनरों के आपसी विवाद की वजह से ये मिल अबसे चंद साल पहले ये मिल बंद हो गई। भले ही मिल अब एक खंडहर में तब्दील हो रही हो, लेकिन दाऊद इब्राहिम के गिरोह के लिये ये जगह बहुत ही फायदेमंद थी। सूत्र बताते हैं कि गिरोह की गैरकानूनी गतिविधियों को चलाने के लिये जो भी हथियार और कारतूस मुंबई आते थे उन्हें इस जर्जर मिल में छुपाया जाता था और जरूरत पडने पर यहां से हथियार निकाल कर शूटरों को बांटे जाते। आमतौर पर अंडरवर्लड के गिरोह ऐसी जगहों पर ही अपने हथियार छुपाते हैं, जो सुनसान होती है और जहां ज्यादा लोगों का आना-जामा नहीं होता।
डी कंपनी को ऐसा विश्वास था कि यहां हथियार छुपाने से उनपर पुलिस की नजर नहीं पडेगी..उनका अंदाजा ठीक भी था, लेकिन पुलिस के बजाय डी का खेल बिगाडा एक चोर ने। मकसूद से पुलिस ने कुल 916 जिंदा कारतूस बरामद किये हैं, जिनमें 0.30, 0.22, 9 एमएम और 12 बोर के कारतूस शामिल हैं। पुलिस और दूसरी एजेंसियां अब इस मिल की खाक छान रहीं हैं कि मिल के दूसरे कोनों में भी हथियार नहीं छुपे हैं।
पहली नजर में आपको शायद ही लगे कि एक बंद पडी, जर्जर मिल में खतरनाक हथियारों का जखीरा हो सकता है। अंडरवर्लड का स्टाइल ही ऐसा है,कि वो अपने तौर तरीकों से सभी को चौकां देता है लेकिन एक अदने से चोर ने जो हरकत की है उससे अंडरवर्लड भी सकते में है। मयांक भागवत के साथ जीतेंद्र दीक्षित, स्टार न्यूज, मुंबई।
पुलिस के मुताबिक मकसूद खान का पेशा है चोरी। हाल ही में पुलिस ने इसे तब पकडा जब ये कुछ कारतूस बेचने की कोशिश कर रहा था। जब हवालात में इससे कडी पूछताछ की गई तो इसने जो जानकारी उगली उससे पुलिस अधिकारी भी चकरा गये। मकसूद खान को ये कारतूस मिले थे दक्षिण मुंबई के दो टाकी इलाके की एक मिल से। सालों से बंद पडी अहमद उमर मिल का इन दिनों दाऊद गिरोह बतौर हथियारखाना इस्तेमाल कर रहा था। सीधे दाऊद के हथियारखाने पर हाथ मारा था मकसूद खान ने। पकडे जाने पर मकसूद पुलिस की टीम को यहां लेकर आया जहां से पुलिस ने कुछ और कारतूस बरामद किये।
मकसूद खान ने न तो कभी डी कंपनी के लिये काम किया था और न ही उसे मालूम था कि यहां कारतूस रखे हैं। वो इस मिल में घुसा था कबाड चुराने के इरादे से, लेकिन इसी दौरान इसके हाथ लग गये कारतूस जो कि मिल के एक कोने में छुपा कर रखे गये थे। मकसूद को लगा कि इनसे उसे मोटी रकम मिल सकती है। वो इन्हें बेचने निकला और पक़डा गया। जिस इलाके में ये मिल है दरअसल वो दाऊद इब्राहिम का गढ माना जाता है। दाऊद इब्राहिम का पुस्तैनी घर जिस पाकमोडिया स्ट्रीट में है, वो यहां से बमुश्किल आधा किलोमीटर भी दूर नहीं। छोटा शकील का अड्डा टेमकर मोहल्ला भी पास ही में है।
जिस मिल का इस्तेमाल दाऊद गिरोह बतौर हथियारखाना कर रहा था वो तेल की मिल थी। पार्टनरों के आपसी विवाद की वजह से ये मिल अबसे चंद साल पहले ये मिल बंद हो गई। भले ही मिल अब एक खंडहर में तब्दील हो रही हो, लेकिन दाऊद इब्राहिम के गिरोह के लिये ये जगह बहुत ही फायदेमंद थी। सूत्र बताते हैं कि गिरोह की गैरकानूनी गतिविधियों को चलाने के लिये जो भी हथियार और कारतूस मुंबई आते थे उन्हें इस जर्जर मिल में छुपाया जाता था और जरूरत पडने पर यहां से हथियार निकाल कर शूटरों को बांटे जाते। आमतौर पर अंडरवर्लड के गिरोह ऐसी जगहों पर ही अपने हथियार छुपाते हैं, जो सुनसान होती है और जहां ज्यादा लोगों का आना-जामा नहीं होता।
डी कंपनी को ऐसा विश्वास था कि यहां हथियार छुपाने से उनपर पुलिस की नजर नहीं पडेगी..उनका अंदाजा ठीक भी था, लेकिन पुलिस के बजाय डी का खेल बिगाडा एक चोर ने। मकसूद से पुलिस ने कुल 916 जिंदा कारतूस बरामद किये हैं, जिनमें 0.30, 0.22, 9 एमएम और 12 बोर के कारतूस शामिल हैं। पुलिस और दूसरी एजेंसियां अब इस मिल की खाक छान रहीं हैं कि मिल के दूसरे कोनों में भी हथियार नहीं छुपे हैं।
पहली नजर में आपको शायद ही लगे कि एक बंद पडी, जर्जर मिल में खतरनाक हथियारों का जखीरा हो सकता है। अंडरवर्लड का स्टाइल ही ऐसा है,कि वो अपने तौर तरीकों से सभी को चौकां देता है लेकिन एक अदने से चोर ने जो हरकत की है उससे अंडरवर्लड भी सकते में है। मयांक भागवत के साथ जीतेंद्र दीक्षित, स्टार न्यूज, मुंबई।
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