जापान का जज्बा: भाग-3
बडे ही कम समय की पूर्व सूचना पर मुझे मुंबई से जापान के लिये निकलना पडा। सोमवार की रात डेढ बजे की फ्लाइट थी और दिन का वक्त वीसा वगैरह हासिल करने में, जापान का विशेष फोन लेने में और विदेशी करंसी का हिसाब किताब करने में निकल गया। जापान के फुकूशिमा डाईची परमाणु संयंत्र से रेडिएशन होने की खबर लगातार आ रही थी। मुझे दफ्तर के लोगों ने और शुभचिंतकों ने सलाह दी कि मैं जापान निकलने से पहले एंटी रेडीएशन कपडे खरीद लूं। मुझे भी ये जरूरी लगा लेकिन मैं उन कपडों को खरीद नहीं सका। पहली बात तो ये कि एंटी न्युक्लयर रेडीएशन कपडे इतनी आसानी से मुंबई के खुले बाजार में, मेडीकल स्टोर्स में या फिर अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। दूसरा उस जगह को खोजने का इतना वक्त मेरे पास नहीं था जहां ये कपडे मिल पाते। लिहाजा मैने फैसला किया कि बिना एंटी रेडीएशन कपडों के ही मैं जापान जाऊंगा और मुमकिन हुआ तो टोकियो में ही ये कपडे खरीद लूंगा। वहां उनके उपलब्ध होने की ज्यादा गुंजाइश है। टोकियो में स्थानीय समय के मुताबिक रात के करीब 9 बजे हम पहुंचे। जापान की धरती पर कदम रखने के कुछ ही मिनटों बाद हिंदी और मराठी चैनलों के लिये लाईव औ...