इस हफ्ते की जिंदगी: गैंगवार का मीडिया माध्यम।

17 मई की रात मुंबई की पाकमोडिया स्ट्रीट पर हुई फायरिंग की वारदात ने फिर एक बार न्यूज चैनलों पर अंडरवर्लड और गैंगवार से जुडी खबरों का दौर वापस ला दिया । फिर से एक बार दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और छोटा शकील के वही सालों पुराने फाईल शॉट्स सभी चैनल दिखाने लगे। ज्यादातर चैनल इसी सवाल के साथ खबर दिखा रहे थे- क्या मुंबई में फिर छिडेगा गैंगवार? क्या अपने इलाके में हुए शूटआउट का दाऊद बदला लेगा? मीडिया की पहुंच और मीडिया की ताकत ने अंडरवर्लड के खिलाडियों का भी ध्यान अपनी ओर खींचा और जैसा कि वे हर चीज में अपना फायदा खोजते हैं, मीडिया को भी अपने फायदे के लिये इस्तेमाल करने की गुंजाइश उन्हें नजर आई। जाने-अनजाने मीडिया ने भी उनका मकसद पूरा करने में मदद की। उनका मकसद था अपने दुश्मनों तक संदेश पहुंचाना, लोगों के बीच अपने खौफ को बरकरार रखना और अपनी ताकत की नुमाइश करना।
शूटआऊट के तीसरे दिन मुझे छोटा राजन का फोन आया। राजन ने कहा कि शूटआउट का टार्गेट दाऊद का भाई इकबाल कासकर नहीं था, लेकिन इलाके में उसकी गतिविधियां बहुत बढ गईं थीं इसलिये इकबाल को चेतावनी देने के लिये ये शूटआउट करवाया गया। राजन के मुताबिक शूटआउट नागपाडा के एक युवक उमेद ने करवाया था, जो कि उसके प्रति वफादार है। राजन के मुताबिक उमेद ने उसको जानकारी देने के बाद ही पाकमोडिया स्ट्रीट में फायरिंग करवाई थी। उमेद के निशाने पर इकबाल कासकर नहीं बल्कि मारा गया आरिफ और हनीफ तलवार नाम का एक शखस था। राजन का कहना था कि उमेद दोनो को इसलिये मारना चाहता था क्योंकि अगर वो उन्हें नहीं मारता तो दोनो उमेद को मार देते। उमेद के शूटरों ने उस रात आरिफ नाम के शख्स को तो मार दिया लेकिन हनीफ तलवार बच गया। आरिफ और हनीफ, उमेद को इसलिये मारना चाहते थे क्योंकि पिछले साल उमेद ने नागपाडा इलाके में ही दाऊद के 2 लोगों पर अलग अलग वारदातों में फायरिंग करवाई थी। एक वारदात में दाऊद का गुर्गा छोटे मियां मारा गया जबकि दूसरी फायरिंग दाऊद के गुर्गे आसिफ दाढी पर करवाई गई थी। दाढी उस फायरिंग में बच गया था, लेकिन 2 बेगुनाह लोगों की उसमें मौत हो गई थी।

मुझे फोन करने वाला छोटा राजन ही है इस बात का मुझे यकीन था क्योंकि इसके पहले भी मैं राजन की आवाज सुन चुका हूं और मेरे पास राजन की आवाज के सैंपल भी मौजूद हैं जो कई साल पहले मुझे एक पुलिस अधिकारी दोस्त ने दिये थे। राजन मुझे इस शूटआउट के बारे में ये जानकारी इसलिये दे रहा था क्योंकि इस जानकारी को वो टी.वी पर देखना चाहता था। शूटआउट की जिम्मदारी लेकर वो ये साबित करना चाहता था कि उसका गिरोह कमजोर नहीं है और वो आज भी दाऊद के गढ में घुसकर वारदातों को अंजाम दे सकता है और अगर चाहे तो दाऊद के भाई तक को अपना निशाना बना सकता है। मैने उसकी ओर से दी गई सारी जानकारी नोट कर ली लेकिन उसे ये बता दिया कि उसका इंटरव्यू मेरे चैनल पर नहीं दिखाया जायेगा। जो भी जानकारी उसने दी है उसे टीवी पर मैं खुद बताऊंगा। दरअसल हमारे चैनल ने News Broadcaster Association (NBA) के उस नियम को अपनाया है जिसमें किसी भी अंडरवर्लड डॉन या भगोडे आरोपी को अपनी बात रखने के लिये या फिर किसी को धमकाने के लिये न्यूज चैनल माध्यम नहीं बनेंगे। अगर इस तरह कोई शख्स कोई जानकारी दे रहा है तो वो चैनल पर दिखाई जा सकती है, लेकिन फोन पर लाईव इंटरव्यू या फिर उसकी आवाज को रिकॉर्ड कर सुनाना प्रतिबंधित है।

छोटा राजन से बातचीत खत्म होने के बाद मैने मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच में अपने सूत्रों और कुछ आला अधिकारियों से फोन पर बात की। उन्होने इस बात की पृष्टि की कि पाकमोडिया शूटआउट के मामले में उन्हें उमेद की तलाश है और उमेद छोटा राजन के लिये काम करता है। खबर की पृष्टि होने के बाद मैने चैनल पर एक लाईव चैट दिया और खबर उतार दी कि पाकमोडिया शूटआउट छोटा राजन गिरोह की ओर से करवाया गया।
मेरा अपना आंकलन ये है कि छोटा राजन इस शूटआउट के बाद सिर्फ बहती गंगा में हाथ धो रहा है। उमेद ने अपनी व्यकितगत दुश्मनी के चलते इस शूटआउट को अंजाम दिलवाया था लेकिन चूंकि वो राजन के लिये काम कर चुका है और शूटआउट राजन के कट्टर दुश्मन दाऊद के आंगन में हुआ इसलिये राजन ने क्रेडिट लेने का मौका नहीं छोडा।
बहरहाल ये शूटआऊट राजन की मर्जी से हुआ हो या नहीं, मेरे चैनल पर खबर के उतरने के घंटेभर के भीतर ही एक प्रतिदवंदवी हिंदी चैनल पर दाऊद के दाहिने हाथ छोटा शकील का फोनो (फोन पर लिया गया इंटरव्यू) चलने लगा। छोटा शकील ने उस फोनो में अपनी आक्रमकता और गुस्सा दिखाने की पूरी कोशिश की थी- हम भी बदला लेंगे उनसे..”, “घर में घुसकर मारेंगे.. ,“क्या जरूरत थी ये करने की..”, एक बेगुनाह को मारा है उन्होने...”, “फैमिली वालों को हाथ नहीं लगाने का रूल उन्होने तोडा है वगैरह जैसे धमकी भर वाक्य बोल कर वो चैनल पर मिले एयरटाईम का पूरा इस्तेमाल कर रहा था। दुर्भाग्यवश इस चैनल ने NBA के उस नियम को नहीं माना कि किसी गैंगस्टर की आवाज चैनल पर नहीं सुनानी है, राष्ट्र के नाम संदेश देने के लिये उसे मंच नहीं देना है।

दोनो डॉन एक दूसरे को टीवी के जरिये धमका रहे थे। गैंगवार में पिस्तौल और रिवॉल्वर का इस्तेमाल करने वाले ये अपराधी अपनी लडाई टीवी चैनलों को फोन करके लड रहे थे। टीवी पर चल रहा था गैंगवार। एक पर राजन था तो दूसरे पर उसका दुश्मन शकील। मुझे ये सब देख कर हंसी भी आ रही थी और गुस्सा भी। दोनो डॉन के बोले वाक्य किसी फिल्मी डायलॉग से कम न थे। दुख की बात थी कि उनकी आपसी लडाई में न्यूज चैनल माध्यम बन गये थे...लेकिन दोनो डॉन क्या कह रहे हैं न्यूज चैनल इस बात को नजर अंदाज भी नहीं कर सकते क्योंकि सवाल भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की कानून व्यवस्था का भी था और कई बार गिरोहों के बीच चलने वाले इस आपसी गैंगवार का शिकार मुंबई के आम बेगुनाह नागरिक भी हो चुके हैं।

मीडिया की इस बात पर भी नजर रहती है कि पुलिस इन आपराधिक गिरोहों को आपस में भिडने से रोकने के लिये क्या कर रही है। वैसे कुछ पुलिस अधिकारियों का मानना है डॉन के फोनो चैनल पर दिखाकर मीडिया ही उनका महिमामंडन करती है और उन्हें बडा बनाती है। ये एक कडवा सच है जिससे मैं सहमत हूं। बात साल 2005 की है। एक सुबह मुझे विदेशी नंबर से एक फोन आया। सामने वाले ने दावा कि वो रवि पुजारी बोल रहा है और उसने अभी अभी अपने शूटरों के जरिये मुंबई के मशहूर वकील मजीद मेमन पर फायरिंग करवाई है। मैने तुरंत तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ए.एन.रॉय को फोन पर इसकी जानकारी दी। उन्होने इस बात की पृष्टि की कि एडवोकेट मेमन पर फायरिंग हुई है, लेकिन वो बाल बाल बच गये हैं। उस वक्त NBA नहीं बना था और न ही ऐसा कोई नियम टीवी चैनलों ने खुद अपनाया था कि गैंगस्टरों का फोनो नहीं दिखाएंगे। हमारे चैनल ने तय किया कि मजीद मेमन पर फायरिंग का दावा करते हुए रवि पुजारी का लाईव फोनो चैनल पर दिखाया जायेगा। जब एंकर ने पुजारी से लाईव सवाल जवाब शुरू किये तो पुजारी ने इस मौके का पूरा गलत फायदा उठाने की कोशिश की। उसने न केवल मेमन पर फिरसे हमाला करने की धमकी दी बल्कि साथ साथ शहर के कई बिल्डरों और कारोबारियों को भी धमकाया। ये बात मुझे बिलकुल गलत लगी। रवि पुजारी उन दिनों छोटा राजन गिरोह से अलग होकर अपना अलग गिरोह खडा कर रहा था और इसके लिये वो हमारे चैनल का इस्तेमाल कर रहा था। जब लोग जानेंगे कि रवि पुजारी कौन है तो वे उससे डरेंगे और डरकर उस तक पैसे भी पहुंचाएंगे। मैने तय कर लिया कि अब चाहे जो भी रवि पुजारी को चैनल के इस्तेमाल का मौका नहीं देना है। उस घटना के बाद रवि पुजारी के गिरोह ने 2-3 बार और फायरिंग की वारदातों को अंजाम दिया। हर बार फायरिंग की जिम्मेदारी लेने के लिये मुझे फोन करता इस उम्मीद में कि मैं फिर से उसका चैनल पर लाईव इंटरव्यू करवाउंगा, लेकिन उसे मुझसे नाउम्मीद ही होना पडता। मैं हर बार उसके फोन की जानकारी क्राईम ब्रांच के अपने परिचित अधिकारियों को दे देता और साथ ही रवि पुजारी को भी ये बता देता कि मैं ऐसा कर रहा हूं। मेरे साथ अपनी दाल न गलती देख रवि पुजारी फिर दूसरे चैनलों को फोन करने लगा। पुजारी की तरह ही संतोष शेट्टी और बंटी पांडे जैसे छोटा राजन से अलग हुए दूसरे गैंगस्टरों ने भी अलग अलग चैनलों को फोन करके मुंबई अंडरवर्लड़ में अपनी ब्रांडिंगकरने की कोशिश की।
फोन चाहे छोटा राजन की ओर से आया हो या फिर रवि पुजारी की ओर से, हर बार मैं बिना देर किये इसकी जानकारी मुंबई पुलिस को जरूर दे देता हूं। (वैसे इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि मेरे सूत्रों के मुताबिक पुलिस और चंद एजेंसियां पहले से चुनिंदा क्राईम रिपोर्टरों का फोन सुनती रहतीं हैं।) मजीद मेमन पर हुई फायरिंग के मामले की जांच मेरे एक मित्र पुलिस अधिकारी के पास ही आई। उसने हिचकिचाते हुए मुझसे पूछा कि क्या मैं उस मामले में गवाह बन पाऊंगा। मैने तुरंत अपनी सहमति दे दी। बतौर पत्रकार हमारा काम सच को खोजना और उसे लोगों तक पहुंचाना है, ऐसे में कठघरे में खडे रहकर अदालत के सामने सच बोलने से क्या परहेज। अदालत में मैने अपनी गवाही दी। पहले सरकारी वकील ने मुझसे सवाल पूछे और फिर बचाव पक्ष के 4 वकीलों ने।
आक्रमक तेवर, भौंहे टेढी कर, कडे शब्दों के साथ सवाल पूछकर बचाव पक्ष का हर वकील अदालत के सामने यही साबित करना चाहता था कि मैं पुलिस का आदमी हूं और पुलिस के कहने पर ही मैं ये बयान दे रहा हूं कि मजीद मेमन पर फायरिंग रवि पुजारी ने करवाई। मैने सभी की आंखों में आंख डालकर उनके जवाब दिये और अपने शरारती स्वभाव के चलते कुछेक को चिढाने के लिये उलटा उनपर सवाल दाग दिये और गर्मागर्म बहस भी की। कई बार जज को हमें शांत कराना पडा। मेरी गवाही के दौरान वो शूटर भी बतौर आरोपी अदालत में मौजूद था जिस पर रवि पुजारी के आदेश से मेमन पर फायरिंग करने का आरोप था।  

अंडरवर्लड की खबरों में ड्रामा भी होता है, एक्शन भी और रोमांच भी। बिजनी, पानी, मकान, महंगाई जैसी नियमित खबरों और बयानबाजी पर आधारित ज्यादातर राजनीतिक खबरों से हटकर जो लोग न्यूज चैनलों पर कुछ देखना चाहते हैं उन्हें अंडरवर्लड की खबरें दिलचस्प लगतीं हैं। चैनल भी दर्शकों की इस पसंद से वाकिफ हैं ही और इसलिये इस तरह की खबरों को न्यूज चैनलों पर तरजीह मिलती है। सवाल बस इतना है कि अंडरवर्लड का हथियार बने बिना अंडरवर्लड की रिपोर्टिंग कैसे हो?

Comments

abhineet kumar said…
सर,
पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा..कभी-कभार हम पूरी बात जान नहीं पाते लेकिन ब्लॉग के माध्यम से शूटआउट का पूरा सच पता चल गया.. उम्मीद है आगे भी इसी तरह ब्लॉग पर आपके अनुभव पढ़ने को मिलेंगे
- अभिनीत
जीतेंद्र सर,
बेहद दिलचस्प और रोचक अंदाज में आपने अपनी
बात कही है. आपके ब्लॉग पर ही मुंबई के अंडरवर्ल्ड के काले दलदल की अंदरूनी जानकारी पढ़ने को मिलती है. "इस हफ्ते की जिंदगी" भी अच्छा लगा.
एक बात जो आपके ब्लॉग पर पढ़ना चाहता हूं वो ये कि क्या कभी ऐसा हुआ है कि दाऊद भारतीय एजेंसियों के शिकंजे में आते-आते रह गया. मुंबई में, दुबई में या पाक में.
उम्मीद है कि आप निराश नहीं करेंगे.
अनुराग शर्मा

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