सफरनामा: बाली, इंडोनेशिया (Travelogue-Bali, Indonesia)
बीते हफ्ते इंडोनेशिया के बाली में हुई माफिया छोटा राजन की गिरफ्तारी के
सिलसिले में बाली जाना हुआ। एक क्राईम रिपोर्टर की नजर से बाली में छोटा राजन से
जुडा एक ब्लॉग मैं पहले ही लिख चुका हूं। छोटा राजन के पकडे जाने के बाद कुछ दिनों
तक बाली का जिक्र भारतीय मीडिया में होता रहा, लेकिन इंडोनेशिया का ये प्रांत एक
बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है जो दुनियाभर से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
मेरा ये ब्लॉग एक घुम्मकड की नजर से है और उन लोगों के लिये है जो भविष्य में बाली
घूमने की हसरत रखते हैं।
बाली में दाखिल होते वक्त...
अगर बाली में लैंड करते वक्त आप विमान की खिडकी वाली सीट पर बैठे हैं तो समझिये
कि आप खुशनसीब हैं। बाली के नुआरा राय एयरपोर्ट का रनवे बिलकुल समुद्र से सटा हुआ
है और जैसे जैसे विमान नीचे उतरता है आप को लगेगा कि विमान पानी पर लैंड करने जा
रहा है। मुझे और बाकी के सहयात्रियों को ये बेहद रोमांचक अनुभव लगा। हवाई अड्डा
ज्यादा बडा नहीं हैं। विमान से उतरने के चंद पलों बाद ही आप इमीग्रेशन की कतार में
खडे हो जाते हैं। भारतियों के लिये बाली में आना उतना ही आसान है जितना भारत के
किसी एक शहर से दूसरे शहर में पहुंचना। बाली में भारतियों के लिये पहले से वीजा
लेने की जरूरत नहीं है और न ही वीजा के लिये एक पैसा देना पडता है। इमीग्रेशन पर
30 दिनों का टूरिस्ट वीजा का ठप्पा लगवाइये और बेधडक आगे बढ जाईये। यहां एक तख्ती
जरूर आपको दिखाई देगी कि गलत वीजा पर बाली में दाखिल होने वालों को 5 साल तक की
कैद होगी।
शहर के भीतर...
जब आप कार में बैठकर एयरपोर्ट से शहर में दाखिल होते हैं तो आपको पहली नजर में
शायद ये लगेगा ही नहीं कि आप किसी दूसरे देश में आये हैं। कभी आप महसूस करेंगे कि
आप दक्षिण भारत के किसी शहर में हैं तो कहीं आपको बाली गोवा के जैसा लगेगा...लेकिन
थोडा गौर से देखने पर फर्क मालूम पडने लग जाता है। सडक पर वाहनों की आवाजाही बेहद
अनुशासित है। यहां भी भारत की तरह सडक की बायीं ओर से वाहन चलते हैं। सडकें भीडभरी
न होने पर भी शहर के भीतर कोई भी वाहन 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ज्यादा
नहीं चलाता। ।भारत की तरह यहां भी कई दुपहिया वाहन चालक आपको ट्रैफिक नियम तोडते
दिख जायेंगे। यहां भी दुपहिये पर सवार दोनों लोगों को हेलमेट पहनना जरूरी है और इस
नियम पर सख्ती से अमल होता है। सिटी बसें सडक पर बिलकुल नजर नहीं आयेंगी और न ही
यहां लोकल ट्रेनें और मेट्रो रेल चलतीं हैं। हर किसी के पास खुद की गाडी है। बुझी
हुई सिगरेट के टुकडों के अलावा यहां सडकों पर और किसी तरह की गंदगी नहीं दिखाई
देगी। हमारे देश के चौक चौबारों पर नेताओं और राजनेताओं की प्रतिमाएं लगीं दिखतीं
हैं लेकिन बाली के चौराहों पर आपको रामायाण, महाभारत और पौराणिक पात्रों जैसे
कृष्ण, अर्जुन, गरूड की प्रतिमाएं जगह जगह दिखाई देंगीं। कई इमारतों के दरवाजे भी
आपको भारतीय शैली में बनाए दिखाई देंगे।
नकद नारायण।
अगर मैं ये कहूं कि मैने बाली में पानी की एक बोतल 5 हजार रूपये में खरीदी तो
शायद आपको लगेगा कि मुझे ठग लिया गया। दरअसल इंडोनिेशिया की करंसी का नाम भी भारत
की तरह ही “रूपया” है लेकिन इस रूपये का मूल्य भारतीय रूपये की तुलना में
काफी कम है। एक अमेरीकी डॉलर में आपको 13100 इंडोनिशियाई रूपये से लेकर 13600
इंडोनेशियाई रूपये तक मिल सकते हैं। मेरी सलाह है कि बाली में उतरने पर एयरपोर्ट
पर करंसी एक्सचेंज कराने के बजाय शहर के भीतर करंसी एक्सचेंज कराएं जहां आपको डॉलर
का ज्यादा मूल्य मिलेगा। इंडोनेशियाई करंसी की इस हालत के मद्देनजर आपको हर चीज
यहां हजार या लाख में खरीदनी पडेगी। मसलन अगर आपने इंडोनेशियाई करंसी में अगर 1
लाख रूपये का खाना खाया है तो इसका मतलब आपने 7 या 8 अमेरीकी डॉलर खर्च किये हैं।
वैसे एक पर्यटन के ठिकाने के तौर पर बाली तुलनात्मक रूप से काफी सस्ता है बस खर्च
करते वक्त “हजार” और “लाख” जैसे शब्दों को ज्यादा गंभीरता से मत लीजिये।
जुबान और शाहरूख खान।
“तुम पास आये...यूं
मुसकुराए...तुम ने न जाने क्या सपने दिखाये...”- फिल्म “कुछ कुछ होता है” का ये गीत बाली में बेहद लोकप्रिय है। ये बात हमें तब पता
चली जब कार में सफर करते वक्त मेरे सहकर्मी गणेश ठाकुर ने अपने मोबाईल पर ये गाना
लगाया तो हमारा स्थानीय ड्राईवर गदेय भी साथ गुनगुनाने लगा। हमें ये देखकर बडा
ताज्जुब हुआ। उसने हमें बताया कि शाहरूख का ये गाना बाली में बेहद लोकप्रिय है और
लोग मतलब न जानते हुए भी इसकी प्यारी धुन की वजह से इसको गुनगुनाते हैं। उसकी इस
बात की पृष्टि कई और बालीवासियों ने भी की। बाली के लोग शाहरूख खान को काफी पसंद
करते हैं। वैसे बाली में भाषा एक छोटी सी समस्या है। ज्यादातर लोगों को अंग्रेजी
समझ नहीं आती और जिनको आती है उनको टूटीफूटी ही आती है। बेहतर होगा कि बाली
पहुंचने से पहले थोडे-बहुत बाली के शब्द सीखकर जायें। वैसे ज्यादा घबराने की बात
नहीं है कामचलाऊ अंग्रेजी हर कोई समझ ही लेता है।
धरम-करम।
इंडोनेशिया एक मुसलिम देश है, लेकिन बाली उसका एक हिंदू बहुल प्रांत है। यहां
83 फीसदी हिंदू हैं और बाकी लोगों में मुसलिम, इसाई और बौद्ध धर्म को मानने वाले
लोग हैं। इनके बीच किसी भी तरह की सांप्रदायिक कटुता बाली में नजर नहीं आती है।
जगह जगह पर हिंदू मंदिर और धर्म के प्रतीक दिखाई देंगे। बाली के हिंदू बडे धार्मिक
हैं और आमतौर पर दिन में तीन बार पूजा करते हैं। सुबह सुबह घरों-दुकानों के बाहर
फूलों से सजी थाली लेकर लोग पूजा करते नजर आयेंगे। अक्सर कार ड्राईवर छोटी सी एक
पूजा की थाली अपने कार के डैश बोर्ड पर भी रख लेते हैं, जहां हम भगवान की मूर्ति
लगाते हैं। उस थाली से चावल की एक अलग तरह की महक पूरी कार में फैल जाती है। आपको
ये महक पसंद भी आ सकती है और कई लोग इससे परेशान भी हो सकते हैं। आमतौर पर लोगों
को देवी देवताओं से जुडे संस्कृत के मंत्र कंठस्थ हैं। हमारे ड्राईवर ने हमें
गायत्री मंत्र से लेकर शिव स्तोत्र तक पढकर सुनाया। शुक्रवार के दिन यहां भी नमाज
के लिये कई सडकें बंद कर दी जातीं हैं।
गुनाह और पुलिस।
बाली एक शांतिपूर्ण जगह है और यहां अपराध लगभग न के बराबर हैं। ज्यादातर
अपराधी जो पकडे जाते हैं वो ड्रग्स के गुनाहों से जुडे होते हैं। पर्यटकों के साथ
लूटपाट, ठगी वगैरह जैसी वारदातें यहां नहीं होतीं। एक वक्त था जब बाली पुरूष
वेश्यावृत्ति यानी जिगैलो के लिये जाना जाता था, जिनकी ज्यादातर ग्राहक ऑस्ट्रेलिया
और यूरोप से अकेले आने वाली महिलाएं होतीं थीं। मसाज की आड में वेश्यावृत्ति यहां
भी होती है। होटल से शाम को बाहर निकलते वक्त हल्की आवाज में “गुड मसाज?” “गुड गर्ल?” बुदबुदाते हुए दल्ले आपके पीछे लग जायेंगे...लेकिन एक बार
आपने आवाज कडक करके मना कर दिया तो आपको तंग नहीं करेंगे।
बाली में जगह जगह पर पुलिस की मौजूदगी है। ज्यादातर पुलिसकर्मी मिलनसार हैं। आम
पुलिसकर्मी को आप हथियारों या फिर लाठी के साथ भी नहीं देखेंगे।
भले ही वैसे अपराध के मामले में बाली सुरक्षित हो, लेकिन आतंकवाद यहां भी अपना
रंग दिखा चुका है। साल 2002 में यहां के 2 नाईट क्लबों में इमाम समुद्र नाम के
आतंकी ने बम धमाके किये थे, जिनमें पश्चिमी देशों से आये 100 से ज्यादा पर्यटक
मारे गये। साल 2005 में भी जिंबारन और कुटा बीच पर बम धमाके हुए थे जिनमें कई
लोगों की मौत हो गई। आतंकवाद का शिकार होने के बावजूद आज भी बाली में सुरक्षा
व्यवस्था भारत जैसी नजर नहीं आती और ये एक चिंता की बात है।(कहने का मतलब ये भी
नहीं कि भारत में आतंकवाद से निपटने के संतोषजनक इंतजाम हैं)
खानपान।
बाली की सबसे लोकप्रिय डिश है नासी गोरेंग (Nasi Goreng) । ये डिश हलके फ्राई किये हुए चावल के साथ तैयार की जाती है और इसे चिकन,
अंडा, मछली, केकडा, गोश्त या सब्जी के साथ पेश किया जाता है। नासी गोरेंग को
इंडोनेशिया की राष्ट्रीय डिश माना जाता है। जिस तरह से भारत में शाम के वक्त जगह
जगह चाट वगैरह के ठेले खुल जाते हैं उसी तरह से यहां शाम को सी फूड से बनाई गई चाट
बेची जाती है। वैसे बाली के लोग तले हुए खाने के बजाय उबाला गया खाना ज्यादा पसंद
करते हैं और यहां की कई स्थानीय डिश भारतियों को स्वादहीन या खराब लगें।
यहां पर कई भारतीय रेस्तरां भी हैं जैसे गणेश, सितारा, क्वींस ऑफ इंडिया वगैरह
जहां भारतीय शैफ खाना तैयार करते हैं। ये रेस्तरां भारतियों के अलावा यूरोपियन
पर्यटकों में भी खासे लोकप्रिय हैं।
बिंतांग और बाली हाई यहां की सबसे लोकप्रिय बियर हैं और इनकी यहां वही हैसीयत
है जो भारत में किंगफिशर की। यहां की एक विशेष प्रकार की कॉफी भी दुनियाभर में
मशहूर है और जो काफी महंगी आती है। उसे लुवाक कॉफी कहते हैं और ये बिल्ली जैसे एक
जानवर के मल से बनाई जाती है। (हमने नहीं पी)
सैर सपाटा
बाली की सबसे बडी खासीयत यहां के खूबसूरत और साफसुथरे बीच हैं। लगभग सभी बीचों
पर वॉटर स्पोरट्स का इंतजाम है जैसे स्कूबा डाईविंग, अंडर सी वॉक, पैराग्लाईडिंग,
जेट स्की वगैरह। दक्षिण बाली का नूसा दुआ बीच खास इसी के लिये जाना जाता है। कुटा
बीच पर शाम के वक्त सैकडों लोग सूर्यास्त देखने के लिये जुटते हैं। जिंबारन बीच
नाईट लाईफ के लिये जाना जाता है। सानूर बीच शहर से सटा हुआ है जहां स्थानीय पर्यटक
ज्यादा दिखाई देते हैं।
अक्टूबर में यहां का अधिकतम तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
नवंबर के आखिर तक बारिश का मौसम शुरू होता है, लेकिन वैसी बारिश नहीं होती जैसी कि
हम मुंबई में देखते हैं।
बाली के देनपसार से करीब घंटेभर की दूरी पर उबुद नाम की जगह है। यहां का वानर
वन (मंकी फोरेस्ट) काफी मशहूर है जिसमें कई प्रजातियों के बंदर देखने मिलते हैं।
ऊबुद थोडा ऊंचाई पर है और यहां मौसम ठंडा रहता है। खरीददारी, अध्यात्म, योगा और सांस्कृतिक
कार्यक्रमों के लिये भी उबुद जाना जाता है।
हवाई अड्डे के करीब कृष्णा नाम का एक मार्केट है जहां बाली के कपडे, खिलौने और
स्म़ृति चिन्ह पर्यटकों को ठीकठाक दामों पर मिल जाते हैं। लोग बाली से वापस लौटते
वक्त अक्सर यहां खरीददारी करने के लिये कुछ देर रूकते हैं।
आम लोग।
बाली के ज्यादातर लोग शांतिप्रिय और भोले भाले हैं, पर्यटकों का सम्मान करते
हैं और किसी तरह के विवाद से बचते हैं। ये भारतियों को काफी पसंद करते हैं और
उन्हें अपने से ऊंचा समझते हैं क्योंकि इन्हें लगता है कि भारतीय उनके आराध्य
भगवानों के देश से आये हैं।
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पोस्ट को पढकर बाली घूमने जाने का विचार सिर उठाने लगा है
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