डिलाईल रोड का भूषण फंस गया पाकिस्तान में !

मुंबई के रहने वाले कुलभूषण जाधव का नाम इस वक्त खबरों में है। कुलभूषण को भारत के लिये जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी एजेंसियों ने पकडा है। कुलभूषण का नाम भले ही पहली बार खबरों में आया हो, लेकिन उनका परिवार पहले भी खबरों में रह चुका है। कुलभूषण के बचपन के दोस्तों, उसके सहपाठियों और पडोसियों से मिली जानकारी के आधार पर उसके परिवार की जो तस्वीर उभरती है, वो यहां पेश है।



डिलाईल रोड से नाता।
कुलभूषण के पिता सुधीर जाधव और चाचा सुभाष जाधव दोनो ही मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी रैंक पर रिटायर हुए। दोनो ही पुलिस में थे और दोनो ही एक ही पद से रिटायर हुए, लेकिन दोनों की सोच में बडा फर्क था और दोनो की एक दूसरे से अनबन थी। कुलभूषण के पिता सुधीर जाधव की इमेज बडे ही ईमानदार पुलिस अधिकारी थी। उनके पुलिसिया करियर में कभी विवाद नहीं हुआ। डिलाईल रोड में जहां आज क्राईम ब्रांच की यूनिट 3 का दफ्तर है, उसी के ऊपर पुलिस क्वाटर्स में पहली मंजिल पर सुधीर जाधव का घर था। सुधीर जाधव का मराठी के सांस्कृतिक, सामाजिक और कलाजगत से जुडे लोगों से अच्छी दोस्ती थी और ये लोग अक्सर पूजा इत्यादि जैसे पारिवारिक समारोह में शिरकत करने के लिये उनके घर आते थे। कुलभूषण अपने माता-पिता और बहन के साथ यहीं रहता था।

कुलभूषण के चाचा यानी कि सुधीर जाधव के भाई सुभाष जाधव उनके घर के ठीक सामने एक निजी इमारत पृथ्वीवंदन सोसायटी में रहते थे। सुभाष जाधव वही एसीपी हैं जिनकी तस्वीरें 28 सितंबर 2002 को सलमान खान की कार एक्सीडैंट मामले में गिरफ्तारी के बाद टीवी चैनलों पर दिखाईं गईं थीं जिसमें वो सलमान के साथ किसी आरोपी की तरह नहीं बल्कि पारिवारिक सदस्य की तरह आत्मीयता से पेश आते नजर आ रहे थे। एक एसीपी की ओर से एक आरोपी के साथ किये गये इस बर्ताव को लेकर उस वक्त काफी विवाद हुआ था।...पर 2002 से 10 साल पहले यानी कि 1992-93 में सुभाष जाधव की ऐसी इमेज नहीं थी। उस दौरान बतौर इंस्पेक्टर सुभाष जाधव की पोस्टिंग दक्षिण मुंबई के एल.टी.मार्ग थाने में हुई थी। इस थाने की हद में देश का सोने-चांदी का सबसे बडा करोबारी इलाका जवेरी बाजार आता है। जवेरी बाजार में सुभाष जाधव की दहशत भी थी और इज्जत भी। बताया जाता है कि जाधव जब भी यहां किसी चोर को पकडते थे तो उसकी जमकर पिटाई करते थे, फिर हाथ में बेडियां बांधकर उसे जवेरी बाजार की जुम्मा मसजिद से मुंबादेवी मंदिर की ओर जाने वाली सडक पर घुमाते थे। चोर को कहते थे कि वो लगातार बोलता चले मैं चोर हूं। मैं चोर हूं। जैसे ही कथित चोर ये बोलना बंद करता पीछे चल रहे सुभाष जाधव उसे अपना डंडा दिखाते और आरोपी फिर चिल्लाने लग जाता मैं चोर हूं। आज की तरह मोबाईल कैमरे और सोशल नेटवर्किंग साईट्स का वो जमाना नहीं था, नहीं तो सुभाष जाधव अपने इस दबंग और सिंघम स्टाईल के फिल्मी इंसाफ के लिये बडी मुसीबत में फंस जाते। जाधव की ये खूंखार इमेज ऐसी थी कि जब भी वो जवेरी बाजार से पैदल राउंडअप के लिये निकलते थे तो भीडभरी सडक पर सन्नाटा पसर जाता था। सुभाष जाधव ने अपनी स्टाईल में कई कथित चोरों की जवेरी बाजार में परेड करवाई लेकिन कभी मुसीबत में नहीं फंसे लेकिन जब उनका तबादला बांद्रा पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर के तौर पर हुआ तब चोरी के आरोप में पकडे गये एक युवक को लेकर विवाद में फंस गये। उस दौरान ज्वाइंट कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर वाय.सी.पवार थे। पवार के पास शिकायत आई थी कि युवक की गिरफ्तारी सही नहीं थी। इस मामले को लेकर पवार ने सुभाष जाधव को काफी खरी खोटी सुनाई और अपशब्दों के साथ उनकी बेइज्जती की। जाधव काफी देर तक सुनने के बाद जब पवार के केबिन से निकले तो उन्होने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर एम.एन.सिंह के पास पवार की शिकायत कर दी। उस शिकायत के बाद सिंह और पवार के बीच जो विवाद हुआ वो अलग कहानी है। चंद महीने बाद पवार रिटायर हो गये और सुभाष जाधव का बांद्रा में ही बतौर एसीपी प्रमोशन हो गया।

कुलभूषण जाधव के चचेरे भाई यानी कि सुभाष जाधव के बेटे हैं राईबन और माणिक। इनके दोनो के दोस्तों में विलासराव देशमुख के बेटे का भी शुमार था। राईबन लंबे वक्त तक कानून की पढाई करने के बाद चंद साल पहले ही वकील बना है। माणिक कानूनी पचडों में फंस चुका है और अपने पिता को भी परेशानी में डाल चुका है।


ठिकाना छूटा, दोस्ताना नहीं।
रिटायरमेंट के बाद कुलभूषण के पिता सुधीर जाधव ने डिलाईल रोड का आधिकारिक घर छोड दिया और पवई में फ्लैट लेकर रहने लगे। सुभाष जाधव ने रिटायरमेंट के बाद शिवाजी पार्क में घर खरीदा और डिलाईल रोड का घर किराये पर उठा दिया। हालांकि कुलभूषण के परिवार का ठिकाना अब डिलाईल रोड नहीं था लेकिन उसका मन इसी इलाके से जुडा था जहां उसका बचपन बीता और जहां उसके बचपन के दोस्त थे। कुलभूषण को उसके दोस्त भूषण कहकर पुकारते थे और उम्र से छोटे युवकों के लिये वो भूषण दादा था। भूषण फुटबॉल का शौकीन था और पास के मैदान में अक्सर दोस्तों के साथ फुटबॉल खेलता था। दोस्तों का साथ उसके लिये सबकुछ था। जब बतौर नेवी अफसर एनडीए में उसकी पासिंग आउट परेड हुई तो वो डिलाईल रोड के अपने सभी दोस्तों को साथ ले गया। ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद भी छुट्टियां मिलने पर वो डिलाईल रोड ही आ जाता था और अपने पुराने दोस्तों के साथ वक्त गुजारता था। एक बार ट्रेनिंग के दौरान जब भूषण को छुट्टी मिली तो उसने अपने तमाम दोस्तों को कश्मीर घूमने के लिये आमंत्रित किया और वहां उनके साथ मिलकर खूब मस्ती की।

चलो दोस्तों, फौज में चलें...
भूषण के दोस्त शुभ्रतो मुखर्जी के मुताबिक उसमें देशभकित की भावना काफी मजबूत थी और इसी वजह से उसने नेवी का करियर चुना ताकि वो देश सेवा कर सके। जब भी छुट्टियों में वो अपने दोस्तों से मिलने आता तो नेवी में अपनी नौकरी के रोमांचक किस्से सुनाता और दोस्तों को भी प्रेरित करता कि वे भी मिलिट्री में भर्ती हों।

हिम्मत सिर्फ लडकर ही दिखाई नहीं जाती !
भूषण नेवी की नौकरी करता था यानी कि एक ऐसे संगठन में जिसका ताल्लुक जंग से है और जहां काम करने के लिये हिम्मत चाहिये...लेकिन भूषण की हिम्मत नेवी की नौकरी के बाहर भी झलकती थी। भूषण के एक दोस्त तुलसीदास के मुताबिक एक बार जब भूषण को छुट्टी मिली तो वो डिलाईल रोड अपने दोस्तों से मिलने आया। वो अपने दोस्तों के साथ मोहल्ले में टहल रहा था, तभी उसकी नजर फुटपाथ पर पडी एक बूढी भिखारी महिला पर पडी। महिला के सिर पर जख्म था, जिसमें कीडे लग गये थे और वो दर्द के मारे बुरी तरह से कराह रही थी। बाकी लोगों को महिला से आ रही बदबू और उसके सिर में लगे जख्म को देखकर घिन आ रही थी और कोई उसके करीब तक नहीं जा रहा था। भूषण का दिल उस महिला की हालत देखकर पसीज गया। उसने तुरंत महिला को अपने हाथों से उठाया और अपनी गाडी में डालकर अस्पताल पहुंचा दिया। भूषण की ओर से दिखाई गई इस हिम्मत से इलाके के लोगों में उसके प्रति सम्मान और बढ गया।

कहीं सरबजीत न बन जाये भूषण...

जबसे भूषण के पाकिस्तान में पकडे जाने की खबर आई है तबसे उसके दोस्त बेचैन हैं और ईश्वर से उसकी सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं। जासूसी के आरोप में दुश्मन मुल्क में पकडे जाने पर क्या हश्र होता है ये सरबजीत के मामले में दुनिया देख चुकी है जिसे पाकिस्तान की जेल में पीटपीटकर मार डाला गया। अब भूषण के दोस्त सरकार से यही गुजारिश कर रहे हैं कि वो अपनी पूरी ताकत झोंक दे ताकि उसे सही सलामत वापस उसके वतन लाया जा सके। (www.jitendradiary.blogspot.com)

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