सावधान! ये बारिश फर्जी है
मुंबई में अगर कोई एक मौसम तकलीफ देता है तो वो है मानसून। हर साल जून से लेकर अगस्त के बीच आपको तमाम टीवी चैनलों पर एक जैसी तस्वीरें देखने मिलेंगीं। वही सडकों पर भरा पानी, उसमें फंसे वाहन, वही पटरियों पर फंसीं लोकल ट्रेनें और छाता लगाकर उसके किनारे चलते लोग। मिलन सबवे, खार सबवे, मालाड सबवे जैसी जगहों के नाम राष्ट्रीय चैनलों पर इतनी बार पिछले चंद सालों में चल चुके हैं कि लगता है जल्द ही वे कुतुब मिनार की तरह मशहूर हो जायेंगे। आज सुबह 8 बजे के करीब भी मैने एक राष्ट्रीय चैनल पर ऐसी ही तस्वीरें चलतीं देखीं। तस्वीरों के साथ रिपोर्टर का फोनो भी चल रहा था कि मुंबई में सबकुछ अस्तव्यस्त हो गया है, त्राही त्राही मच गई है, लोकल ट्रेन लेट हो गई है। सारे सबवे भर चुके हैं वगैरह वगैरह.....उस चैनल पर ये खबर देख मैने इस ख्याल के साथ एक लंबी सांस ली कि लगता है आज भी बारिश के कवरेज पर ही रिपोर्टरों की पूरी फोर्स लगानी होगी। दूसरी खबरों पर काम नहीं हो पायेगा।
इसी उलझन के साथ मैं घर की बालकनी में पहुंचा। बाहर देखा तो चौंक पडा। सडक गिली थी, लेकिन भारी बारिश हुई हो ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था। कुछ देर पहले हल्की फुहारें पडी होंगीं बस इसका अंदाजा आ रहा था।
मैने अपने नाईट रिपोर्टर को फोन किया।
क्या रात को बहुत बरसात हुई ?
नहीं सिर्फ हल्की फुल्की बारिश सुबह के वक्त हुई थी।
क्या ट्रेनें और बसें देर से चल रहीं हैं ?
नहीं। कंट्रोल चैक किया। सब सामान्य है। सुबह की शिफ्ट के सारे कर्मचारी भी वक्त पर पहुंचे हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई।
मेरे रिपोर्टर की जानकारी उस राष्ट्रीय चैनल पर दिखाई जा रही तस्वीरों के बिलकुल विपरीत थी। तसल्ली के लिये मैने विलेपार्ले में रहने वाले एक और रिपोर्टर को फोन किया।
क्या तुम्हारे इलाके में भारी बारिश हो रही है और पानी भरा है ?
नहीं तो...यहां तो अब धूप निकली है
ट्रेन लेट है क्या ?
नहीं टाईम पर है। मैं ऑफिस आने के लिये स्टेशन पर खडा हूं।
मैने टीवी पर फिर वही चैनल लगाया। ध्यान से देखने पर पूरा माजरा समझ में आ गया। दरअसल ये तस्वीरें पिछले शनिवार की थीं, जब वाकई में बारिश ने मुंबई में कहर बरपाया था। इस चैनल ने आज वही तस्वीरें दिखाई ये बताते हुए कि ये आज की तस्वीरें है। झूठ, अविश्वनीयता और धोखेबाजी का उस चैनल पर “लाईव प्रसारण” हो रहा था। लोगों को बेवजह डराने का गुनाह कर रहा था ये चैनल और अक्सर ऐसा करने वाले करने वाले कई और भी चैनल हैं।
टीआरपी की अंधी दौड में कुछ न्यूज चैनलों की ऐसी हरकतें ही टीवी पत्रकारों और चैनलों के समाज में सम्मान और विश्वनीयता को मटियामेट कर रहीं है। ऐसी करतूतों की वजह से ही न्यूज चैनल मजाक का विषय बनते जा रहे हैं। इन्हीं की वजह से महाराष्ट्र सरकार को इतनी हिम्मत आ गई है कि वो बात बात पर टीवी चैनलों को धमकाती है। परसों ही सरकार की ओर से ये चेतावनी आई कि अगर कोई टीवी चैनल बारिश की पुरानी तस्वीरों को बिना फाईल का स्लग दिये चलाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी और जिम्मेदार व्यकित को जेल में ठूंसा जायेगा। आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों ???जाहिर है हम टीवी पत्रकारों की बीच ही कुछ ऐसी ओछी मानसिकता के लोग भर गये हैं जिन्हें न तो इस व्यवसाय की गरिमा की कोई परवाह है और न ही समाज की। एक टीवी पत्रकार होने के नाते मैं ऐसे पाप का विरोध करता हूं और अपने आप से ये वादा करता हूं कि कम से कम अपने कार्यक्षेत्र में ऐसी हरकतों की गुंजाईश नहीं बनने दूंगा।
इसी उलझन के साथ मैं घर की बालकनी में पहुंचा। बाहर देखा तो चौंक पडा। सडक गिली थी, लेकिन भारी बारिश हुई हो ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था। कुछ देर पहले हल्की फुहारें पडी होंगीं बस इसका अंदाजा आ रहा था।
मैने अपने नाईट रिपोर्टर को फोन किया।
क्या रात को बहुत बरसात हुई ?
नहीं सिर्फ हल्की फुल्की बारिश सुबह के वक्त हुई थी।
क्या ट्रेनें और बसें देर से चल रहीं हैं ?
नहीं। कंट्रोल चैक किया। सब सामान्य है। सुबह की शिफ्ट के सारे कर्मचारी भी वक्त पर पहुंचे हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई।
मेरे रिपोर्टर की जानकारी उस राष्ट्रीय चैनल पर दिखाई जा रही तस्वीरों के बिलकुल विपरीत थी। तसल्ली के लिये मैने विलेपार्ले में रहने वाले एक और रिपोर्टर को फोन किया।
क्या तुम्हारे इलाके में भारी बारिश हो रही है और पानी भरा है ?
नहीं तो...यहां तो अब धूप निकली है
ट्रेन लेट है क्या ?
नहीं टाईम पर है। मैं ऑफिस आने के लिये स्टेशन पर खडा हूं।
मैने टीवी पर फिर वही चैनल लगाया। ध्यान से देखने पर पूरा माजरा समझ में आ गया। दरअसल ये तस्वीरें पिछले शनिवार की थीं, जब वाकई में बारिश ने मुंबई में कहर बरपाया था। इस चैनल ने आज वही तस्वीरें दिखाई ये बताते हुए कि ये आज की तस्वीरें है। झूठ, अविश्वनीयता और धोखेबाजी का उस चैनल पर “लाईव प्रसारण” हो रहा था। लोगों को बेवजह डराने का गुनाह कर रहा था ये चैनल और अक्सर ऐसा करने वाले करने वाले कई और भी चैनल हैं।
टीआरपी की अंधी दौड में कुछ न्यूज चैनलों की ऐसी हरकतें ही टीवी पत्रकारों और चैनलों के समाज में सम्मान और विश्वनीयता को मटियामेट कर रहीं है। ऐसी करतूतों की वजह से ही न्यूज चैनल मजाक का विषय बनते जा रहे हैं। इन्हीं की वजह से महाराष्ट्र सरकार को इतनी हिम्मत आ गई है कि वो बात बात पर टीवी चैनलों को धमकाती है। परसों ही सरकार की ओर से ये चेतावनी आई कि अगर कोई टीवी चैनल बारिश की पुरानी तस्वीरों को बिना फाईल का स्लग दिये चलाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी और जिम्मेदार व्यकित को जेल में ठूंसा जायेगा। आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों ???जाहिर है हम टीवी पत्रकारों की बीच ही कुछ ऐसी ओछी मानसिकता के लोग भर गये हैं जिन्हें न तो इस व्यवसाय की गरिमा की कोई परवाह है और न ही समाज की। एक टीवी पत्रकार होने के नाते मैं ऐसे पाप का विरोध करता हूं और अपने आप से ये वादा करता हूं कि कम से कम अपने कार्यक्षेत्र में ऐसी हरकतों की गुंजाईश नहीं बनने दूंगा।
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your sincerly..