टार्गेट मुंबई
इंडियन मुजाहिदीन ने अब अपना निशाना मुंबई को बनाने की धमकी दी है।देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पहले भी आतंकवादियों का निशाना बन चुकी है। पिछले 15 साल में मुंबई के लगभग सभी प्रमुख इलाकों में बम धमाके हो चुके हों। चाहे लोकल ट्रेनें हो, बेस्ट की बसें हों, बाजार हों या फिर टूरिस्ट सेंटर हो आतंकवादियों ने हर जगह पर खूनी साजिशों को अंजाम दे चुके हैं।
12 मार्च 1993 को आतंकवादियों ने मुंबई में सिलसिलेवार धमाके किये थे, जिनमें 257 लोग मारे गये, जबकि करीब 700 लोग घायल हुए थे। उस हमले के बाद भी मुंबई को आतंकवादियों ने 7 बार अपना निशाना बनाया।
2 दिसंबर 2002- घाटकोपर रेल स्टेशन के बाहर एक बेस्ट की बस में विस्फोट होता है। इस धमाके में 2 लोग मारे गये जबकि दर्जभर लोग घायल हुए। धमाकों के लिये प्रतिबंधित संगठन सिमी को जिम्मेदार माना गया। कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने सिमी पर बैन का ऐलान किया था।
6 दिसंबर 2002- घाटकोपर बस धमाके के 4 दिन बाद ही मुंबई सेंट्रल रेल स्टेशन पर मैक डॉनाल्ड रेस्तरां में जोरदार धमाका होता है। एयरकंडिश्नर डक्ट में छुपाये गये इस बम के विस्फोट से 25 लोग घायल हुए। इस हमले के पीछे भी सिमी का हाथ माना गया।
27 जनवरी 2003- विलेपार्ले रेस स्टेशन के बाहर सब्जी बाजार में साईकिल पर रखे एक बम में धमाका होता है। 30 लोग घायल होते हैं, जबकि 1 की मौत होती है। इस धमाके में भी मुंबई पुलिस सिमी के सदस्यों को गिरफ्तार करती है।
13 मार्च 2003- मुलुंद रेल्वे स्टेशन पर पहुंच रही एक लोकल ट्रेन के एक डिब्बे में जोरदार विस्फोट हुआ जिसमें 11 लोग मारे गये और 65 लोग घायल हुए। ये धमाका भीड के वक्त हुआ था, जब लोग कामकाज की जगह से अपने घर लौट रहे थे।
28 जुलाई 2003- मुंबई के घाटकोपर इलाके में बेस्ट की बस में फिर एक बार धमाका हुआ। इस हमले में 3 लोग मारे गये, जबकि आधा दर्जन लोग घायल हुए।
25 अगस्त 2003- दोपहर के वक्त दक्षिण मुंबई के जवेरी बाजार और गेटवे औफ इंडिया पर जबरदस्त धमाके हुए। इन धमाकों में 60 लोग मारे गये जबकि 200 लोग घायल हुए। धमाकों के लिये लश्कर ए तैयबा को जिम्मेंदार
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए धमाकों को इस दशक में हुए देश के सबसे बडे आतंकवादी हमलों में से एक माना जा रहा है। आतंकी संगठन लश्कर ए कहर ने खार, बांद्रा, माहिम, माटुंगा, जोगेश्वरी, बोरिवली और मीरा रोड में लोकल ट्रेनों के पहले दर्जे के डिब्बों में धमाके किये जिनमें 187 लोग मारे गये और 700 के करीब लोग घायल हुए। हर धमाके के बाद मुंबई पुलिस ने जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी का दावा किया, लेकिन पुलिस को शक है शहर में आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल भी मौजूद हैं, जो हरकत में आने के लिये अपने आकाओं के आदेश का इंतजार करते हैं।
वक्त के साथ साथ आतंकवादियों ने अपने काम करने का तरीका भी बदला है। अब वे समझ चुके हैं कि किसी भी आतंकी हमने के बाद जांच एजेंसियां कैसे रिएक्ट करतीं हैं। आतंकवादी अब इन्ही बातों का ध्यान रख अपनी साजिशों को अंजाम देते हैं।
12 मार्च 1993 को आतंकवादियों ने मुंबई में सिलसिलेवार धमाके किये थे, जिनमें 257 लोग मारे गये, जबकि करीब 700 लोग घायल हुए थे। उस हमले के बाद भी मुंबई को आतंकवादियों ने 7 बार अपना निशाना बनाया।
2 दिसंबर 2002- घाटकोपर रेल स्टेशन के बाहर एक बेस्ट की बस में विस्फोट होता है। इस धमाके में 2 लोग मारे गये जबकि दर्जभर लोग घायल हुए। धमाकों के लिये प्रतिबंधित संगठन सिमी को जिम्मेदार माना गया। कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने सिमी पर बैन का ऐलान किया था।
6 दिसंबर 2002- घाटकोपर बस धमाके के 4 दिन बाद ही मुंबई सेंट्रल रेल स्टेशन पर मैक डॉनाल्ड रेस्तरां में जोरदार धमाका होता है। एयरकंडिश्नर डक्ट में छुपाये गये इस बम के विस्फोट से 25 लोग घायल हुए। इस हमले के पीछे भी सिमी का हाथ माना गया।
27 जनवरी 2003- विलेपार्ले रेस स्टेशन के बाहर सब्जी बाजार में साईकिल पर रखे एक बम में धमाका होता है। 30 लोग घायल होते हैं, जबकि 1 की मौत होती है। इस धमाके में भी मुंबई पुलिस सिमी के सदस्यों को गिरफ्तार करती है।
13 मार्च 2003- मुलुंद रेल्वे स्टेशन पर पहुंच रही एक लोकल ट्रेन के एक डिब्बे में जोरदार विस्फोट हुआ जिसमें 11 लोग मारे गये और 65 लोग घायल हुए। ये धमाका भीड के वक्त हुआ था, जब लोग कामकाज की जगह से अपने घर लौट रहे थे।
28 जुलाई 2003- मुंबई के घाटकोपर इलाके में बेस्ट की बस में फिर एक बार धमाका हुआ। इस हमले में 3 लोग मारे गये, जबकि आधा दर्जन लोग घायल हुए।
25 अगस्त 2003- दोपहर के वक्त दक्षिण मुंबई के जवेरी बाजार और गेटवे औफ इंडिया पर जबरदस्त धमाके हुए। इन धमाकों में 60 लोग मारे गये जबकि 200 लोग घायल हुए। धमाकों के लिये लश्कर ए तैयबा को जिम्मेंदार
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए धमाकों को इस दशक में हुए देश के सबसे बडे आतंकवादी हमलों में से एक माना जा रहा है। आतंकी संगठन लश्कर ए कहर ने खार, बांद्रा, माहिम, माटुंगा, जोगेश्वरी, बोरिवली और मीरा रोड में लोकल ट्रेनों के पहले दर्जे के डिब्बों में धमाके किये जिनमें 187 लोग मारे गये और 700 के करीब लोग घायल हुए। हर धमाके के बाद मुंबई पुलिस ने जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी का दावा किया, लेकिन पुलिस को शक है शहर में आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल भी मौजूद हैं, जो हरकत में आने के लिये अपने आकाओं के आदेश का इंतजार करते हैं।
वक्त के साथ साथ आतंकवादियों ने अपने काम करने का तरीका भी बदला है। अब वे समझ चुके हैं कि किसी भी आतंकी हमने के बाद जांच एजेंसियां कैसे रिएक्ट करतीं हैं। आतंकवादी अब इन्ही बातों का ध्यान रख अपनी साजिशों को अंजाम देते हैं।
Comments
reallly informtive but kaun khufia bibhag ko hamle se pahle suchit kare aur suchit hone ke baad hamle ko tal sake,kya FBI se hame sikh leni chahiye?