सालभर पहले आज के दिन: जिंदगीभर न भूलेगी...वो खौफनाक दोपहर



जिंदगीभर न भूलेगी वो बरसात की दोपहरबीते सोमवार मैं और मेरा कैमरामैन अजीत एक मछुआरे की छोटी सी नौका लेकर अरब सागर में डूबे जहाज MSC CHITRA की तस्वीरें लेने पहुंचे।मुंबई बंदरगाह के पास इस जहाज को अल खलीजिया नाम के दूसरे जहाज ने टक्कर मार दी थी। दोपहर 2 बजे के करीब हम बीच समुद्र में पहुंचे ही थे कि तेज आंधी के साथ भारी बारिश शुरू हो गई...हॉलीवुड की किसी फिल्म की तरह पहली मंजिल जितनी ऊंची लहरें हमारी कश्ती से टकरा रहीं थीं। लहरों के हमले से नौका 2 बार पलटते पलटते बची। सिर नीचे और टांगें ऊपर हो गईं थीं। मैने कई समुद्री सफर किये हैं लेकिन इतनी खतरनाक और डरावनी समुद्री यात्रा पहले कभी नहीं की।

जब तेज बारिश और आंधी शुरू हुई तो मुझे लगा कि अब जहाज तक पहुंचना मुमकिन नहीं है और मैने नाव चला रहे मछुआरों से कहा कि वापस चलते हैं..मौसम ठीक होने पर फिर लौटेंगे। मछुआरों का कहना था कि मौसम मानसून में ऐसा ही रहेगा। उन्होने भरोसा दिलाया कि कुछ नहीं होगा, घबराने की कोई बात नहीं है। मैने भी उनपर यकीन करके रिस्क लेने की ठान ली। ये सोचकर कि बहुत दिनों बाद कोई एडवेंचरस स्टोरी करने का मौका मिला है हम बिना लाईफ जैकेट पहने बीच समुद्र में मौसम का हमला झेलते हुए आगे बढने लगे। वक्त के साथ साथ समुद्र में हालत और बदतर होती जा रही थी। लहरों के टकराने से कभी हमारी नाव रॉकेट की तरह सीधी खडी हो जाती थी तो कभी कार की तरह समतल। नाव पर कभी इस ओर गिरते कभी उस ओर। सिर बुरी तरह चकराने लगा था। कैमरामैन अजीत के सामने दोहरी चुनौती थी। अजीत को खुद को भी संभालना था और कैमरे को भी।

जो दोनो मछुआरे शुरूवात में हमें बेफिक्र रहने के लिये कह रहे थे उनके चेहरे भी खौफजदा हो गये। मैने चिल्लाकर पूछा- अरे हम बचेंगे या नहीं। साले तुमको पहले ही कह रहा था वापस चलो।
उसने घबराई आवाज में जवाब दिया- भगवान का नाम लो..भगवान का ...भगवान चाहेगा तो बच जायेंगे।
इतना कहकर अविनाश कोली नाम का वो मछुआरा लहरों की ओर देखकर जोर जोर से नारे लगाने लगा- गणपति बाप्पा मौर्या.. देवा वाचवा रे वाचवा (भगवान बचा लो..)

नाव के तेजी से हिलने डुलने की वजह से मेरा जी मिचलाने लगा। मुझे तैरना आता है। मन कर रहा था कि नाव से छलांग लगाकर पानी में कूद जाऊं..लेकिन समुद्र के आक्रमक बहाव को देखकर अंदाजा लग रहा था कि तैरने के लिये मैं हाथ पैर भी शायद न हिला पाऊं और पलों में नाव से दूर बहकर चला गया तो फिर लौटूंगा कैसे? अजीत को भी तैरना आता था, लेकिन कैमरे साथ होने की मजबूरी और समुद्र के तेवर ने उसे भी ऐसा करने से रोका। समुद्र के पानी में जहाज से रिसा काला तेल और जहरीले कैमिकल भी नजर आ रहे थे। समुद्र में डूबने से बच भी गये तो ऐसे पानी में उतरने के बाद जो तमाम बीमारियां हमें अपनी चपेट में लेतीं उनसे बचने का भरोसा न था।

गनीमत रही कि 10 मिनट बाद समुद्र थोडा शांत हुआ और हम सागर में विसर्जित होने से बच गये। 2 दिन बाद ही दिन इसी जगह एक टीवी क्रिव की नाव से गिरकर एक मछुआरा डूब गया। उसकी लाश को कोस्ट गार्ड इस ब्लॉग के लिखे जाने तक तलाश रही है।

Comments

ओह डरवाना था सब. शुक्र है कि सकुशल हैं.
दीर्घायु हों...
सकुशल लौटने के लिए ईश्वर का धन्यवाद दें. शुभकामनाएँ.
seema gupta said…
सच में बेहद खोफ्नाक मंजर. भगवान का शुक्र है वो आपके साथ थे और आप सभी की रक्षा की. उस मछुआरे के बारे में जान कर दुःख हुआ.
regards
सकुशल लौटने के लिए बधाई सर,लेकिन वो मंज़र ही क्या जो खौफनाक हो...और आप तो कई ऐसे मंजर देख चुके हैं...।
बडी हिम्‍मत का परिचय दिया। लेकिन आप सब सकुशल हैं यह जानकर अच्‍छा लगा।
Hungry Mind said…
While listening to your description of the whole story i just felt like i m listening to a real life story of the Discovery ka famous show I SUDNT BE ALIVE. n of course yeh usse kuch kam nahi tha. Yeh doosri baari hai ek saal mein i think. Few months back aapka car accident bhi hua tha. Par god is with you. Aap toh khatro ke khiladi hai..
सकुशल लौट आने के लिए मै आपको बधाई और ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूँ जो लोग ऊपर वाले पर बिना स्वार्थ विश्वाश करते है वो हमेशा बुरे वक़्त में उनके साथ होता है लेकिन हम मिडिया वालो को भी सावधानी बरतनी चाहिए लेकिन हमें भी कभी कभी जानबूझ कर रिस्क लेना ही पड़ता है सो आलवेज टेक केयर सर
Ashutosh said…
Jeetu tumhein sabse pahle covrage ke liye badhai. himmat ho to kuchh bhi asambhav nahin hai, you better understand, but one thing is very true- JAKO RAKHE SAIYAN, MAR SAKE NA KOYE, BAL NA BANKA KAR SAKE JO JAG BAIRI HOYE. God bless u.....

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