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Showing posts from June, 2011

5 legal loopholes in J.Dey murder case.

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After assessing the information provided by Mumbai Police in J Dey’s case, I find that it is legally very weak. Police will face a tough time in the court. Following are the points which could jeopardize prosecution’s case during the trial. 1)     No Motive : Police has not come on record with a concrete motive on why Chota Rajan killed J Dey? It has to substantiate before the court that Rajan became an enemy of Dey & got him killed. So far there is no motive. Nothing could be fetched from the interrogation of Satish Kaliya as Rajan never revealed the identity of the target, nor he told Kaliya why he wanted to kill J Dey. It was a simple contract killing. Rajan asked Kaliya to kill a man for money, which he did. 2)     Link between Chota Rajan & Satish Kaliya: Police have nothing except Satish Kaliya’s extra judicial confession that he got a call from Chota Rajan to do the job. The question is how the police are going to prove in the court that...

छोटा राजन और जे.डे का रिश्ता: देशप्रेम, दोस्ती और दुश्मनी

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मुंबई के जिन पत्रकारों से अंडरवर्लड डॉन छोटा राजन अक्सर संपर्क में रहता था उनमें से एक थे मिड डे अखबार के जे.डे। जहां तक मेरी जानकारी है डे और छोटा राजन करीब पिछले 12 सालों से एक दूसरे से बातचीत करते थे। अक्सर जब डे अपने साथियों के साथ रहते और छोटा राजन का फोन आता तो वे अपने साथियों से भी उसकी बात करा देते। साथी खुश हो जाते कि डे ने इतने बडे डॉन से बात करवा दी। राजन भी डे के साथियों को कहता- “ कुछ काम हो तो बोलना। “ डे और छोटा राजन के बीच बड़ा ही दोस्ताना रिश्ता था और अगर ये रिश्ता पत्रकार और अपराधी के बीच जानकारी हासिल करने के लिये जो रिश्ता होता है उसकी सीमा लांघ चुका हो तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। जे.डे. छोटा राजन से प्रभावित थे। वे इस बात को मानते थे कि राजन वाकई में देशभक्त डॉन है। छोटा राजन ने 1994 में दाऊद गिरोह से अलग होते वक्त कहा था कि 1993 में मुंबई बम धमाके करने वाला दाऊद इब्राहिम देशद्रोही है और इसलिये वो उसके गिरोह को छोड रहा है। राजन ने ऐलान किया कि वो देशभक्त है और दाऊद गिरोह का खात्मा ही उसकी जिंदगी का मिशन बन चुका है। अपने आप को देशभक्त दिखाने के लिये राजन जब भी ...

God & Pursuit of Positivity. (इस हफ्ते की जिंदगी)

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Last Saturday I went to trek at Anjaneri, a place near Tryambakeshwar, Nasik . The place is popular among locals as the birth place of Lord Hanuman (although, there are other 2 places also in India , where people claim the same.) There is a magnificent Hanuman idol just adjoining Nasik-Trayambak road. From this idol people have to trek through the forest & reach the apex of Anjangad mountain where a small temple of Anjanimata is located. Since last 2 years I have been visiting this place again & again for 2 reasons. Firstly, the place is a good weekend getaway destination from Mumbai & you get an opportunity to enjoy & appreciate the natural splendor of the area. The 7 kilometers long trekking on Anjangad mountain & back also makes your adrenaline pump. My second interest to visit this place is religious one & this write up focuses on my notion of religion. In today’s world it is not the religion you are born in or it is not also about following your parents...

Encounter Specialists: Double edged swords to combat underworld.

("इस हफ्ते की जिंदगी" का साप्ताहिक लेख इस बार अंग्रेजी में) Those who have seen the decade of 90s in Mumbai might be experiencing a déjà vu. That was the time when shootouts were rampant, gangster called to extort money & killed those who didn’t pay up. It seemed that mafia was ruling the city & law & order machinery went haywire. What is the scenario today? It seems to be returning back to those old dreaded days. 4 people are kidnapped & killed within hours, a senior journalist is shot dead in broad daylight, gangsters have again started calling up for extortion & fire on people who don’t respond & the figures of kidnappings are rising. The situation calls for a tough retort from the law enforcement authorities before the situation escalates. Before discussing the ways to deal with the current alarming situation, we should briefly have a glimpse on the strategy which was adopted in 90s to silent the mafias. To control the underworld, government came...

J Dey Assasination Case: CBI enquiry is not a prudent option.

The federation of journalists in Mumbai has urged a probe by Central Bureau of Investigation (CBI) in veteran journalist J.Dey’s murder case. Intending no offence to the sentiments & emotions of fellow journalists I wish to highlight that an enquiry by CBI in this case will not be prudent. The demand for a CBI enquiry in Dey’s murder case seems to be a knee jerk decision & influenced by emotions. While, it is true that the incident was shocking to the whole journalist fraternity across the nation & led to an emotional response, I feel that the further strategy to nab the culprits & to secure a safe environment for journalists in Mumbai, emotions must not be allowed to dominate. Being a crime reporter for over 13 years I have closely observed the functioning of various investigating agencies like Mumbai Police, Narcotics Control Bureau, Central Investigation Bureau, Enforcement Directorate & so on. My experience says that investigation of J.Dey’s murder by CBI will ...

इस हफ्ते की जिंदगी: हत्या एक पुराने दोस्त की

“ अरे यार जरा चैक करो जे.डे. पर फायरिंग हुई है क्या ?” शनिवार की दोपहर करीब साढे तीन बजे एक परिचित पत्रकार के फोन पर पूछे इस सवाल ने होश उडा दिये। मैने तुरंत जे.डे के ही मोबाइल नंबर पर फोन लगाया, लेकिन उनका फोन बंद था। मेरी चिंता बढ गई। मैने मन ही मन प्रार्थना की कि ये खबर गलत निकले। मोबाइल फोन न लगने पर मैने उनके घाटकोपर वाले घर के लैंड लाईन पर फोन किया, जो उनकी मां ने उठाया। “ आंटी मैं जीतेंद्र बोल रहा हूं। डे कहां है ?” “ अभी थोडी देर पहले ही वो घर से निकला है..घंटाभर हुआ होगा ..” मेरी आवाज की हडबडाहट सुनकर उन्हें कुछ गडबडी का शक हुआ। उन्होने मुझसे सवाल किया- “ क्यों पूछ रहे हो ऐसा ?” …. अब मैं उन्हें क्या बताता कि किस अनहोनी की आशंका की वजह से मैने उन्हें फोन किया है। “ डे का मोबाइल नहीं लग रहा है इसलिये इधर फोन किया था आपको...कोई बात नहीं ” । “… और कैसे हो तुम ? सिर्फ टी.वी पर ही दिखते हो … कभी घर पर भी आओ ” । “ जी आंटी जरूर आऊंगा ” । इतना कहकर मैने फोन रख दिया। कुछ देर बाद खबर आई कि जे.डे. नहीं रहे। फायरिंग के बाद उन्हें हिरानंदानी अस्पताल लाया गया था, जहां उन्हें मृत घोषित क...

10 things I like & dislike about Baba Ramdeo.

Like: 1)       Baba Ramdeo with his communicative skills made optimum use of modern media(television per se) to popularize Yoga among masses. 2)       Baba Ramdeo contributed to the popularity of Indian Yoga at the international sphere. 3)       He intends to channelise his popularity for bringing about a socio-political change in the country. 4)       He uses non-violent means to convey his message & press his demands. 5)       He intends to become a politician & seems to be a cleaner new comer in the existing sordid scenario. Dislike: 1)       Baba Ramdeo’s unsubstantiated claims to cure any illness known in this universe through Yoga. 2)       His act of running away from Ramleela Maidan when police came & by making himself an article of ridicule by attiring as a woman. If he would have followed Ga...

इस हफ्ते की जिंदगी: शैतान Narco Terrorism का।

इस हफ्ते हम बात करेंगे Narco Terrorism पर जो हमारे देश के बच्चों से उनका बचपन छीन रहा है।हाल ही में बडे दिनों बाद मेरी मुलाकात हुई डॉक्टर यूसुफ मर्चंट से जो कि मुंबई में Drugs Abuse Information Research & Rehabilitation  नाम का संगठन चलाते हैं। उनका बेटा समीर विल्सन कॉलेज में मेरा सहपाठी था। समीर के जरिये ही मेंरी दोस्ती उसके पिता डॉ.मर्चंट से हुई थी। डॉक्टर मर्चंट से गुफ्तगू करते हुए ड्रग्स की दुनिया के बारे में कई ऐसी बातें पता चलीं जो कि चौंकाने वालीं हैं, डरावनीं हैं। मुंबई के कई स्कूली बच्चे ड्रग्स की गिरफ्त में हैं। डॉक्टर मर्चंट कई ऐसे बच्चों का इलाज कर रहे हैं जो कि दूध के दांत गिरने के चंद साल बाद ही ड्रग्स के खतरनाक जाल में फंस गये। अब तक आप शायद ये मान रहे होंगे कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र ही ड्रग्स के शिकार बनते हैं, लेकिन नशीले पदार्थों की काली दुनिया से अब ये एक और हकीकत सामने आई है। ड्रग्स के कारोबारी अब स्कूल जाने वाले बच्चों को जहर की पुडिया बेच रहे हैं और उनका जाल दिन ब दिन फैलता ही जा रहा है। मुंबई और दिल्ली के कई बडे और नामचीन स्कूल के छात्र ड...

"No Nonsense Blog" is now "Address to the Nation."

Although, the name has changed but the content will still adhere to its "No Nonsense" character & will continue to focus on issues which make sense for Indian urban citizens. Henceforth, the attempt will be to make this blog more vibrant & disciplined with regular entries. The address remains the same: www.jitendradiary.blogspot.com. Happy reading.

मुंबई के रिपोर्टर का मानसून (कविता)

आई आई आई जमकर बरसात, छाता, रेनकोट अब ले लो साथ, बूम माईक को टोपी पहनाओ पाकिट, मोबाइल पर प्लास्टिक चढवाओ पानी भरने कि खबर जो आये, ट्रेन, सडक जब बंद हो जाये निकल कर औफिस से सरपट भागो हिंदमाता, परेल पर ओबी मांगो कुर्ला, सायन भी छूट न जाये मिलन सबवे को भी दिखलायें भीग भीग कर करो रिपोर्टिंग काले बादलों से हो गई है सेटिंग स्टोरी आईडिया देने का टेंशन नहीं आये जब बादल रिमझिम कृपा बरसाये खाओ गर्मागरम वडापाव, भजिया प्लेट संभल कर रहना गडबड न हो पेट भीगने में आता है खूब मजा तबियत को मिल जाती है खराब होने की वजह जब सर्दी, खांसी, सिरदर्द सताये विक्स, बाम और ब्रांडी काम आये यहां गिरी बिजली, वहां उखडा पेड लगातार चेक करते रहो फायर ब्रिगेड अगर बडी कोई बिल्डिंग गिर जाये दिन और रात एक हो जाये मीठी नदी बडी है कडवी नजर रहे उसकी सरहद भी लाईव चैट और वाक थ्रू गिरवाओ वक्त मिले तो पैकेज कटवाओ बीएमसी, सरकार को बचने न देना 2005 की 26 जुलाई याद कर लेना वीकेंड पर पिकनिक को जाना झरनो में फिर खूब नहाना भीगा भागा सा है न्यूज रूम सभी रिपोर्टरों को हैप्पी मानसून -महाकवि जीतेंद्र दीक्षित J