मुंबई के रिपोर्टर का मानसून (कविता)
आई आई आई जमकर बरसात,
छाता, रेनकोट अब ले लो साथ,
बूम माईक को टोपी पहनाओ
पाकिट, मोबाइल पर प्लास्टिक चढवाओ
पानी भरने कि खबर जो आये,
ट्रेन, सडक जब बंद हो जाये
निकल कर औफिस से सरपट भागो
हिंदमाता, परेल पर ओबी मांगो
कुर्ला, सायन भी छूट न जाये
मिलन सबवे को भी दिखलायें
भीग भीग कर करो रिपोर्टिंग
काले बादलों से हो गई है सेटिंग
स्टोरी आईडिया देने का टेंशन नहीं आये
जब बादल रिमझिम कृपा बरसाये
खाओ गर्मागरम वडापाव, भजिया प्लेट
संभल कर रहना गडबड न हो पेट
भीगने में आता है खूब मजा
तबियत को मिल जाती है खराब होने की वजह
जब सर्दी, खांसी, सिरदर्द सताये
विक्स, बाम और ब्रांडी काम आये
यहां गिरी बिजली, वहां उखडा पेड
लगातार चेक करते रहो फायर ब्रिगेड
अगर बडी कोई बिल्डिंग गिर जाये
दिन और रात एक हो जाये
मीठी नदी बडी है कडवी
नजर रहे उसकी सरहद भी
लाईव चैट और वाक थ्रू गिरवाओ
वक्त मिले तो पैकेज कटवाओ
बीएमसी, सरकार को बचने न देना
2005 की 26 जुलाई याद कर लेना
वीकेंड पर पिकनिक को जाना
झरनो में फिर खूब नहाना
भीगा भागा सा है न्यूज रूम
सभी रिपोर्टरों को हैप्पी मानसून
-महाकवि जीतेंद्र दीक्षित J
Comments
महालक्ष्मी में हुई महाबारिश
परेल में मच गई रेल्लम पेल
दादर में देखो दरिया का खेल
माहिम में रुक गई लोकल रेल
बांद्रा में बदरा के अजब ही रंग
अंधेरी की मौज-मस्ती में भंग
बोरिवली में काले बादल बरसें
मायानगरी में मदिरा छलके
देखो! मानसून में मुंबई के रंग
सीधे सेटेलाइट से D-गैंग के संग
--मासूनवादी कवि 'रितेश श्रीवास्तव'
prerna
झरनो में फिर खूब नहाना
भीगा भागा सा है न्यूज रूम
सभी रिपोर्टरों को हैप्पी मानसून
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सर जी ये वो बंद जो जीतेंद्र दीक्षित को 'जीतू सर' बनाता है। काम से समझौता किए बिना आप जैसे लोग ही इस विधा से जुड़े लोगों के होठों पर स्मित ला सकते हैं।