इस हफ्ते की जिंदगी: शैतान Narco Terrorism का।
इस हफ्ते हम बात करेंगे Narco Terrorism पर जो हमारे देश के बच्चों से उनका बचपन छीन रहा है।हाल ही में बडे दिनों बाद मेरी मुलाकात हुई डॉक्टर यूसुफ मर्चंट से जो कि मुंबई में Drugs Abuse Information Research & Rehabilitation नाम का संगठन चलाते हैं। उनका बेटा समीर विल्सन कॉलेज में मेरा सहपाठी था। समीर के जरिये ही मेंरी दोस्ती उसके पिता डॉ.मर्चंट से हुई थी। डॉक्टर मर्चंट से गुफ्तगू करते हुए ड्रग्स की दुनिया के बारे में कई ऐसी बातें पता चलीं जो कि चौंकाने वालीं हैं, डरावनीं हैं।
मुंबई के कई स्कूली बच्चे ड्रग्स की गिरफ्त में हैं। डॉक्टर मर्चंट कई ऐसे बच्चों का इलाज कर रहे हैं जो कि दूध के दांत गिरने के चंद साल बाद ही ड्रग्स के खतरनाक जाल में फंस गये। अब तक आप शायद ये मान रहे होंगे कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र ही ड्रग्स के शिकार बनते हैं, लेकिन नशीले पदार्थों की काली दुनिया से अब ये एक और हकीकत सामने आई है। ड्रग्स के कारोबारी अब स्कूल जाने वाले बच्चों को जहर की पुडिया बेच रहे हैं और उनका जाल दिन ब दिन फैलता ही जा रहा है। मुंबई और दिल्ली के कई बडे और नामचीन स्कूल के छात्र ड्रग्स के आदी बन रहे हैं। जो लोग ड्रग्स के शिकार लोगों के पुनर्वसन और सुधार का काम कर रहे हैं उनके मुताबिक पहले उनके पास आनेवाले ज्यादातर मरीजों की उम्र 20 से 30 साल के बीच होती थी, लेकिन अब उनके पास 12 साल तक की उम्र के बच्चे इलाज के लिये आ रहे हैं। अगर आंकडों की बात करें तो हर सौ में से 25 ड्रग्स के शिकार शख्स की उम्र 18 साल से कम है।
90 की दशक की शुरूवात से लेकर साल 2005 तक भारत के बडे शहरों में ड्रग्स का गैरकानूनी कारोबार काबू में था। नशीले पदार्थ बिकते जरूर थे लेकिन आज की तुलना में बहुत ही कम..लेकिन साल 2005 के बाद हालात बिगड गये। सरकारी एजेंसियां ढीली पड गईं और ड्रग्स माफिया से जुडे लोग मजबूत होते गये। वक्त के साथ बाजार में बिकने वाले ड्रग्स भी बदले और उनको खरीदने वाले भी। 90 के दशक के पहले तक ड्रग्स के बाजार में हेरोईन की खूब मांग थी। नशेडी युवाओं के बीच हेरोईन सबसे लोकप्रिय ड्रग्स मानी जाती थी लेकिन अब हेरोइन बाजार से गायब है, हेरोईन की मांग लगभग खत्म सी हो गई है। हेरोइन की जगह अब ले ली है कोकेन और एलएसडी ने। ड्रग्स लेने वाले स्कूली बच्चे ज्यादातर कोकेन और एलएसडी के आदी हैं।
इन दिनों ड्रग्स के बाजार में कोकेन और एलएसडी का शुमार प्रीमियम ड्रग्स में किया जाता है लेकिन हशीश और चरस की बात करें तो वे बाजार में इतने आम हो गये हैं जैसे सिग्रेट और तंबाकू। जो बच्चे कोकेन और एलएसडी नहीं खरीद पाते वो इन सस्ते ड्रग्स का सेवन करते हैं।
सवाल ये है कि आखिर बच्चों तक कैसे पहुंचते हैं ये ड्रग्स? बच्चों की जान से खेलकर कौन मुनाफा कमा रहा है? क्या हमारे कानून के हाथ उन तक नहीं पहुंच रहे? डॉक्टर मर्चंट के मुताबिक पडोसी मुल्क पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई न केवल आतंकवाद के जरिये हमारे देश में खून खराबा कराती रही है बल्कि उसने नार्को टेरेरिज्म की शक्ल में भी हमारे देश के खिलाफ जंग छेड रखी है। हाल के सालों में पाकिस्तान की ओर से भारत में ड्रग्स की बडे पैमाने पर तस्करी शुरू की गई है। नाईजीरियाई और दूसरे अफ्रीकी देशों के नागरिक इस काम में बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं और इसलिये पाकिस्तान पर से नकाब नहीं उठ पाता।
अब सवाल ये उठता है कि आप अपने बच्चों को ड्रग्स का आदी होने से बचाये कैसें और कैसे पता करें कि वो नशे का आदी बन रहा है। जानकारों के मुताबिक ये काम ज्यादा मुश्किल नहीं। कुछ ऐसी बातें हैं जो संकेत देती है कि बच्चा ड्र्ग्स का आदी हो गया है जैसे-
- नींद के पैटर्न में अचानक बदलाव।अगर वो रात को देर से सोता है और सुबह काफी देर से उठता है।
- बातचीत करते वक्त नजर मिलाने से कतराता है।
- अचानक से उसके पैसों की मांग बढ गई है या फिर वो घर से पैसे चुरा रहा है।
- अचानक उसके दोस्तों की संख्या बढ गई है।
- अगर वो चरस लेता है तो खूब खायेगा, लेकिन अगर वो कोकेन या कोई दूसरा ड्रग्स ले रहा है तो उसकी खुराक बिलकुल कम हो जायेगी।
- अगर वो बाथरूम में असामान्य रूप से ज्यादा वक्त बिता रहा है।
- घर में अगर कई सारी जली हुई माचिस की तीलियां मिलतीं हैं।
- पढाई और खेलकूद से उसकी दिलचस्पी कम हो रही है।
अगर माता –पिता को अपने बच्चे में इस तरह के बदलाव दिख रहे हैं तो उन्हें सावधान रहने की और बच्चे की निगरानी करने की जरूरत है। Narco Terrorism के शैतान की नजर आपके बच्चे पर है।
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