अंदर की बात: कैसे संजय दत्त को मिलते मिलते रह गई 2 महीने की सजा माफी।

बीते गुरूवार को यरवदा जेल के कैदी संजय दत्त का पुणे के बाल गंधर्व नाट्यगृह में एक खास शो आयोजित होने वाला था। सामाजिक कामों के लिये फंड जुटाने की खातिर संजय दत्त ने बाकी कैदियों के साथ मिलकर कुछ छोटे छोटे नाटक तैयार किये थे जिनमें दत्त के मुन्नाभाई अवतार की झलक देखने मिलती। दत्त कई डांस नंबरों पर भी नाचने वाले थे। कई दिनों पहले से इस शो की तैयारी शुरू हो गई थी और टिकट भी बेच दिये गये थे। शो में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और गृहमंत्री आर.आर.पाटिल भी शिरकत करने वाले थे। अखबारों में भी शो को लेकर पहले से खबरें छपवा दी गईं थीं और दूरदर्शन को शो के अधिकार बेच दिये गये थे, लेकिन गुरूवार दोपहर अचानक शो को रद्द कर दिया गया। शो रद्द करने के पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया। कहा गया कि ऐसी जानकारी मिली है कि शो के दौरान कोई गडबडी हो सकती है, लेकिन क्या हकीकत में बात यही थी ?

अब पढिये शो के रद्द किये जाने के पीछे की असली कहानी जो महाराष्ट्र जेल प्रशासन के एक आला सूत्र से पता चली।

सबसे पहले इस सवाल पर गौर करते हैं कि इस तरह के शो को आयोजित करने का आईडिया किसका था और इसे आयोजित किये जाने के पीछे असली मकसद क्या था?
सूत्रों के मुताबिक संजय दत्त से इस तरह का शो करवाने का ख्याल डीआईजी रैंक के एक जेल अधिकारी को आया। ये वही अधिकारी हैं जो पहले भी अपनी जेल के कुछ खास कैदियों के साथ विशेष बर्ताव करने के मामले में चर्चित रहे हैं। अगर कोई फिल्मस्टार बतौर कैदी इनकी जेल में आ जाता तो ये उसकी मेहमान नवाजी में कोई कसर नहीं छोडते। संजय दत्त जब पिछली बार यरवदा जेल गये थे तब इन्ही के कार्यकाल में जेल से निकलते वक्त वर्दीधारी जेलकर्मियों की दत्त से गले मिलने और हाथ मिलाने की तस्वीरें स्टार न्यूज (अब एबीपी न्यूज) ने दिखाईं थीं। 2002 में हिट एंड रन मामले में ठाणे जेल से न्यायिक हिरासत से रिहा होते वक्त यही जनाब ठाणे जेल के प्रभारी थे। सलमान की गुजारिश पर उन्हें मीडिया के कैमरों से बचाने के लिये इन्होने हर मुमकिन कोशिश की।  इस मामले में भी डीआईजी के बर्ताव पर गौर करना इसलिये जरूरी है क्योंकि डीआईजी रैंक के अफसर को जेल नियमों के मुताबिक ये अधिकार होता है कि वो उस कैदी की सजा 60 दिनों तक (2 महीने) तक माफ कर दे जिसने किसी सामाजि, सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया हो या जेल में होने वाले किसी गलत काम को रोकने के लिये जेल प्रशासन की मदद की हो। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या संजय दत्त को इस शो में लेकर क्या उन्हें विशेष सजा माफी की खातिर भूमिका बनाई जा रही थी। ( जेल सुपिरिंटेंडेंट 30 दिन और आई.जी रैंक का अधिकारी 90 दिनों की सजा माफी दे सकता है।) जेल सूत्रों को कहना है कि मौजूदा आई.जी. (पुलिस में एडीजी रैंक) मीरा बोरवणकर 90 दिनों की अपनी विशेष माफी देने से रहीं क्योंकि उनका नाम मुंबई पुलिस कमिश्नर की रेस में चल रहा है और ऐसे में वे किसी विवाद में पडना नहीं चाहेंगीं, लेकिन सुपिरिंटेंडेंट और डीआईजी अपने अधिकार के इस्तेमाल के लिये स्वतंत्र हैं।

अब जानते हैं कि आखिर शो रद्द क्यों हुआ।
सूत्र के मुताबिक आर.आर.पाटिल और पृथ्वीराज चव्हाण को उनके कुछ करीबी पत्रकारों ने चेताया कि इस शो में शामिल होकर आप नय विवाद नये खडा कर देंगे। जिस पुणे शहर में महीनेभर पहले ही अंधश्रद्धा के विरोध में काम करने वाले समाजसेवी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुई है, जिनके हत्यारों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला, जिस पुणे शहर की जर्मन बेकरी में बम धमाके का आरोपी अफजल उस्मानी पुलिस की हिरासत से फरार हो गया, उसी शहर में जाकर आप अपराधियों के शो में शरीक होंगे, उनके काम पर तालियां बजायेंगे इससे लोगों के बीच अच्छा संदेश नहीं जायेगा। मीडिया में आपकी काफी छीछालेदर होगी। कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर सरकार पहले ही कमजोर नजर आ रही है। पत्रकारों की इसी सलाह पर पुणे जेल प्रशासन के पास मंत्रालय से एक फोन गया, जिसके बाद आनन फानन में शो रद्द कर दिया गया। अब इज्जत बचाने के लिये कुछ बहाना तो बनाना ही था, इसलिये मीडिया में प्रचारित किया गया कि सुरक्षा कारणों से शो रद्द किया जा रहा है।


संजय दत्त को आर्मस् एक्ट के तहत 5 साल जेल की सजा मिली है जिसमें से उन्होने 2 साल तो गुजार लिये। अब बाकी के 3 साल उन्हें सलाखों के पीछे गुजारने हैं। अगर गुरूवार का शो हो जाता तो डीआईजी की कृपा से कम से कम 2 महीने की उनकी सजा कम हो जाती। खैर, ऐसे मौके अभी संजय दत्त को और मिलेंगे और दत्त 3 साल पूरे होने से काफी पहले जेल से बाहर आ जायेंगे।

Comments

Hepzi Anthony said…
Nice article with good inside info Jitu. Wonder how the print guys missed this info.

Popular posts from this blog

#Bombayphile Telgi Scam: Crime Reporting In Mumbai 20 Years Ago

नागरिक बनो, भक्त नहीं!

#Bombayphile : The Cosmopolitanism of Mumbai And Its Aberrations